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पकरीबरावां के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में फार्मासिस्ट व ड्रेसर भी नहीं

भले ही प्रदेश सरकार बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने का दावा करती हो। मगर पकरीबरावां में पीएचसी बदहाल होने से स्थानीय लोगों को इलाज के लिए दिक्कतें उठानी पड़ रही है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 15 Jul 2019 07:34 PM (IST)Updated: Tue, 16 Jul 2019 06:32 AM (IST)
पकरीबरावां के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में फार्मासिस्ट व ड्रेसर भी नहीं
पकरीबरावां के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में फार्मासिस्ट व ड्रेसर भी नहीं

भले ही प्रदेश सरकार बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने का दावा करती हो। मगर पकरीबरावां में पीएचसी बदहाल होने से स्थानीय लोगों को इलाज के लिए दिक्कतें उठानी पड़ रही है। स्वास्थ्य संबंधी पूर्ण सुविधाएं न मिलने से लोगों को इलाज कराने के लिए जिला मुख्यालय या किसी निजी स्वास्थ्य केंद्र भटकना पड़ता है। बदहाली का आलम यह है कि डॉक्टरों के साथ ही स्वास्थ्यकर्मियों की घोर कमी है। एक अदद फार्मासिस्ट व ड्रेसर भी नहीं है। ऐसे में मरीजों के सही इलाज को लेकर यक्ष प्रश्न खड़ा है।

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कर्मियों की कमी भीड़ को संभालने में अक्षम

- पकरीबरावां पीएचसी में सिर्फ दो एमबीबीएस डॉक्टर तैनात हैं। पोलियो, मिशन इंद्रधनुष, फाइलेरिया, मलेरिया जैसे कार्यक्रमों में इनकी ड्यूटी लगने से स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित होती है। ओपीडी में प्रतिदिन लगभग 100 से 150 मरीज आते हैं। मगर सुविधाओं और डॉक्टरों की कमी के चलते मरीजों को बैरंग लौटना पड़ता है। लोगों को निजी क्लीनिकों व झोलाछाप का सहारा लेना पड़ता है। जानकारों की मानें तो पीएचसी में एमबीबीएस डॉक्टरों के 7 पद स्वीकृत है, इसके विरुद्ध मात्र 2 चिकित्सक ही कार्यरत हैं। महिला चिकित्सक का एक पद स्वीकृत है, लेकिन आज तक पीएचसी को महिला चिकित्सक नसीब नहीं हुआ। एएनएम की स्वीकृत 22 पदों में मात्र 14 कार्यरत हैं। क्षेत्र की आबादी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, वहीं कर्मचारियों की अनुपलब्धता बढ़ती भीड़ को संभालने में अक्षम है।

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- गंभीर मरीजों को नहीं मिलती एम्बुलेंस की सेवा

- पकरीबरावां पीएचसी से जिला मुख्यालय तक इमरजेंसी में मरीजों को ले जाने के लिए कोई भी एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं है। अस्पताल में एकमात्र एम्बुलेंस है जो प्रसूता को लाने में ही व्यस्त है। ऐसी स्थिति में लोगों को काफी परेशानी हो रही है। रेफर किए जाने पर मरीजों को प्राइवेट एंबुलेंस का सहारा लेना पड़ता है।

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पेयजल की समुचित व्यवस्था नहीं

- पीएचसी में मरीजों व उनके तीमारदारों के लिए पानी की भी समुचित व्यवस्था नहीं है। परिसर में लगे इंडिया मार्का हैंडपंप से लोगों को अपनी प्यास बुझानी पड़ती है। वहीं शुद्ध पेयजल के लिए लगा वटर कूलर वर्षों से खराब पड़ा है। लेकिन अस्पताल प्रबंधन उसे ठीक कराने में भी दिलचस्पी नहीं ले रहा है।

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- पीएचसी में सुविधा नगण्य है। महिला डॉक्टरों की कमी के चलते इलाज कराने में परेशानी होती है। महिला चिकित्सक की पदस्थापना के लिए सरकार को पहल करना चाहिए।

रूबी देवी, वाजितपुर। फोटो-31

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- अस्पताल में पानी के लिए भटकना पड़ता है। वाटर कूलर वर्षों से खराब पड़ा है। वहीं डॉक्टरों व कर्मियों की कमी के चलते स्वास्थ्य सेवाओं का समुचित लाभ नहीं मिल रहा है।

कंचन कुमारी, मदह। फोटो-30

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- अस्पताल में गंदगी होने से रोगियों को काफी परेशानी होती है। यहां साफ सफाई एवं दवाई की व्यवस्था ठीक ढंग से नहीं है। सरकार को इस ओर पहल करना चाहिए।

नूसरत बानो, थाना रोड पकरीबरावां। फोटो-32

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कहते हैं प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी

- पीएचसी में दो एमबीबीएस, एक डेंटल व दो आयुष चिकित्सक पदस्थापित हैं। 14 एएनएम हैं। 34 प्रकार की दवाईयां है। किसी भी आपात स्थिति से निबटने में अस्पताल प्रशासन सक्षम है। पीएचसी में 2 वाटर फिल्टर लगे हैं। खराब वाटर फिल्टर को भी जल्द ठीक करा दिया जाएगा।

डॉ. जुबेर, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, पकरीबरावां।


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