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बदहाल सड़क पर बिफरे ग्रामीणों ने कहा, रोड नहीं तो वोट नहीं

प्रखंड के एरूरी में खराब सड़क का मुद्दा गहराने लगा है। इसे लेकर गांव की पब्लिक एकजुट हो गई है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 10 Mar 2019 11:54 PM (IST)Updated: Sun, 10 Mar 2019 11:54 PM (IST)
बदहाल सड़क पर बिफरे ग्रामीणों  ने कहा, रोड नहीं तो वोट नहीं
बदहाल सड़क पर बिफरे ग्रामीणों ने कहा, रोड नहीं तो वोट नहीं

प्रखंड के एरूरी में खराब सड़क का मुद्दा गहराने लगा है। इसे लेकर गांव की पब्लिक एकजुट हो गई है। रविवार को पंचायत के कई गांव के ग्रामीणों ने एरूरी सूर्यमंदिर परिसर में बैठक कर इस बदहाल सड़क को चुनावी मुद्दा बनाने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया। मंदिर परिसर में अर्जुन सिंह की अध्यक्षता में बैठक हुई। ग्रामीणों ने रोड नहीं तो वोट नहीं का नारा लगाते हुए आगामी लोक सभा चुनाव में वोट का बहिष्कार करने का मन बनाया है। ग्रामीणों की मानें तो इस संघर्ष में बडिहा, लक्ष्मीपुर, बलियारि, एरूरी, भलूकी, सलेमपुर, बरियारपुर गांव के ग्रामीणों का भी सहयोग मिल रहा है। उनके अनुसार गांव की सड़क राजनीतिक भेंट का शिकार हो गया है। वर्षों से रोड निर्माण के लिए ग्रामीणों द्वारा प्रयास किया जाता रहा है। उपेक्षा की शिकार यह पथ खपुरा तक तो बना दी गई है । वहीं शेष भाग को छोड़ दिया गया है। बडिहा के पास पथ में नाली का पानी बहता है। इससे जलजमाव रहती है। राहगीरों को पैदल चलने में काफी परेशानी झेलनी पड़ती है। सड़क खराब रहने से मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाने में भारी फजीहत फजीहत होती है। खासकर गर्भवती माताओं को इलाज के लिए ले जाने में दिक्कत होती है। ग्रामीण अब तक इलाके में सड़क नहीं होने के चलते खुद को उपेक्षित महसूस करते हैं।

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पिछले चुनाव में भी हुआ था विरोध प्रदर्शन, आश्वासन कोरा निकला

ग्रामीण ओंकार मिश्रा बताते हैं कि पिछले चुनाव में भी इस सड़क को लेकर स्थानीय ग्रामीणों ने चुनावी मुद्दा बनाया था। सड़क निर्माण के लिए ग्रामीणों ने खपुरा मोड़ के समीप सड़क जाम किया था। कई ग्रामीणों की गिरफ्तारी भी हुई थी। बाद में सड़क निर्माण का आश्वासन देकर लोगों को वोट के लिए राजी किया गया था। परंतु वह आश्वासन भी महज कोरा निकला। ग्रामीणों की मानें तो 2015 से ही वे सड़क निर्माण के लिए संघर्षरत हैं। ग्रामीणों की मानें तो मुख्य बाजार से गांव की दूरी 5 किमी. है। जिसमें 1.5 किमी. पथ का निर्माण ठीकेदार द्वारा किया गया है। 2009 में पथ का टेंडर प्रधानमंत्री सड़क योजना से किया गया था। जिसके तहत पथ में मिट्टी भराई व पत्थर बिछाने का काम कर शेष कामों को छोड़ दिया गया। अब तक इस रास्ते को दुरुस्त कराने के लिए विधायक से लेकर सांसद तक को कहा गया लेकिन किसी ने इसी ओर ध्यान नहीं दिया है। लेकिन इस बार इलाके की जनता पूरी तरह से एकजुट दिख रही है।

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क्या कहते हैं ग्रामीण

खराब पथ का दंश हमलोग वर्षों से झेल रहे हैं। 2015 में भी पथ के लिए संघर्ष किया गया। परंतु इस बार हमलोग डटकर खड़े हैं। सड़क बननी चाहिए। यदि ऐसा नहीं हुआ तो अगामी लोक सभा चुनाव में हम सभी पांच गांव के लोग वोट का बहिष्कार करेंगे।

ओंमकार मिश्रा, ग्रामीण

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पथ निर्माण को लेकर हमलोगों का आंदोलन 2009 से चल रहा है। बावजूद किसी भी जनप्रतिनिधि का इस ओर ध्यान नहीं जा रहा है। पिछले चुनाव के समय भी हम सबने ने इस सड़क को बनाने की मांग की थी।

रामकृष्ण सिंह, ग्रामीण -------------

खराब सड़क के कारण ग्रामीणों को काफी परेशानी होती है। बरसात के दिनों में तो स्थिति और भी गंभीर हो जाती है। विषम स्थिति में मरीजों को खाट पर लाद कर अस्पताल ले जाना पड़ता है।

विनय मिश्रा, ग्रामीण ------------

-सड़क को लेकर संघर्ष निरंतर जारी रहेगा। जब तक पथ निर्माण नहीं हो जाता हमारा विरोध जारी रहेगा। यदि सड़क नहीं बनती है तो इस बार चुनाव में वोट का बहिष्कार किया जाएगा।

अर्जुन सिंह, ग्रामीण ----------------

क्या कहते हैं पंचायत की मुखिया

-एरूरी पंचायत मुखिया कृष्णनंदन प्रसाद बताते हैं कि पक्की सड़क नहीं बनाने के कारण गांव का विकास अधूरा है। शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि जैसे कई कार्य नहीं हो पाते हैं। मामले को लेकर ग्रामीण जनता ने प्रधानमंत्री कार्यालय तक भी पत्राचार किया गया है। पंरतु स्थिति यथावत है। अगामी लोकसभा चुनाव में वोट का बहिष्कार लोग कर रहे हैं। जिसका मैं भी समर्थन करता हूं।


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