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उपेक्षित इतना कि तालाब का नाम भी भूल गए ग्रामीण

प्रखंड मुख्यालय नीचे बाजार स्थित देवी स्थान तालाब बरसों से उपेक्षित है। आलम ये कि ग्रामीण इसका सही नाम तक भूल गए है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 07 Jul 2019 08:42 PM (IST)Updated: Sun, 07 Jul 2019 08:42 PM (IST)
उपेक्षित इतना कि तालाब का नाम भी भूल गए ग्रामीण
उपेक्षित इतना कि तालाब का नाम भी भूल गए ग्रामीण

प्रखंड मुख्यालय नीचे बाजार स्थित देवी स्थान तालाब बरसों से उपेक्षित है। आलम ये कि ग्रामीण इसका सही नाम तक भूल गए है। इस तालाब की स्थिति का हाल जानने जब जागरण टीम पहुंची तो अधिकांश लोग इसे देवी स्थान का तालाब ही कह रहे थे। काफी कुरेदने के बाद कुछ बुजुर्गों ने अपने मस्तिष्क पर दबाव दिया तो उन्हे इस तालाब का नाम याद आया बड़ोखर तालाब। ताज्जुब की बात तो ये रही कि नाम सुनकर वहां मौजूद लोगों में कुछ विवाद भी हुआ। परंतु फिर लोगों ने बुजुर्गों की बात मान ली। क्योंकि गांव के उत्तर दिशा में कजोखर व पश्चिम रतोखर नाम से पोखर है। ऐसे में पूरब स्थित पोखर का नाम बड़ोखर में दम भी है।

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प्रशाशनिक उपेक्षा का शिकार

- लगभग तीन एकड़ सत्रह डिसमिल क्षेत्र में फैला यह तालाब प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार है।  10 वर्ष पूर्व तत्कालीन मुखिया ममता देवी के द्वारा इसकी खोदाई कराई गई थी। परंतु ग्रामीणों की मांग व जरूरत के अनुसार आज तक ना तो इस तालाब में पानी पहुंचाने की व्यवस्था की गई और ना ही सीढि़यों का निर्माण कराया गया। जिसके कारण छठ के दिनों में  लगभग एक किलोमीटर दूरी पर स्थित कजोखर पोखर में अर्घ देने के लिए व्रतियों को जाना पड़ता है।

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अतिक्रमण का शिकार

-  ग्रामीणों द्वारा तालाब के उत्तर व पश्चिम दिशा में बड़े पैमाने पर अतिक्रमण कर घर बना लिया गया है। घरों का गंदा पानी को भी तालाब में गिराया जाता है। जिसके कारण लोग इस तालाब का पानी पास स्थित देवी मंदिर में पूजा-पाठ के लिए भी इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं।

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किसानों के लिए वरदान था तालाब

- इस तालाब में बरसात का जमा पानी से सालों भर आसपास की खेतों की सिचाई होती थी। जिसके कारण किसान भी खुशहाल रहते थे। परंतु आज बारिश की कमी से तालाब नहीं भर पाता है। क्योंकि खेतों में अत्यधिक बारिश के बाद जमा पानी को तालाब तक पहुंचने के रास्ते कई लोगों के द्वारा अतिक्रमण कर बद कर दिया गया है। ऐसे में यह तालाब खुद ही प्यासा रहता है। 

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डाक में बोली भी नहीं लगा पाते लोग

- इस पोखर में मछली पालन के लिए प्रतिवर्ष डाक होता था। परंतु पानी की किल्लत व अतिक्रमण के कारण डाक में बोली लगाने वाले लोग भी नहीं पहुंचते। तीन साल पूर्व इस तालाब का मात्र नौ हजार रुपये में डाक हुआ था। उसके बाद से यह बंद है। अब इस तालाब में मछली पालन के लिए प्रशासन की ओर से डाक नहीं कराया जाता है।

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कहते हैं ग्रामीण 

-देवी स्थान रोह के इस तालाब को लोग काफी पवित्र मानते थे। तालाब का पानी पूजा पाठ के लिए घरों में ले जाते थे। दस वर्ष पूर्व खुदाई के समय इस तालाब से दो फीट ऊंची भगवान विष्णु की मूर्ति भी निकली थी। जो पास स्थित देवी मंदिर में स्थापित है। आज तालाब प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार है।

प्रेम कुमार उर्फ राम जी, ग्रामीण सह अमीन

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-इस तालाब में बरसात के बाद खेतों की सिचाई के लिए पर्याप्त पानी रहता था। जिससे ग्रामीणों को बिजली की कमी नहीं खटकती थी। परंतु आज तालाब में पानी नहीं रहने से बरसात के बाद रबी फसलों की खेती में किसानों को परेशानी उठानी पड़ती है।

चुरावन महतो, ग्रामीण सह पंच

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- शासन-प्रशासन द्वारा तालाब-आहर को बचाने व पुनर्जीवित करने की बात यहां बेमानी दिखती है। अगर इस तालाब का जीर्णोद्धार कर दिया जाए तो किसानों को पटवन का भी लाभ मिलेगा, इलाके का जलस्तर भी बना रहेगा।

नंदकिशोर प्रसाद, ग्रामीण

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-प्रशासनिक उपेक्षा का दंश झेल रहे इस तालाब के जीर्णोद्धार के लिए हम ग्रामीण जल्द ही कोई ठोस कदम उठाने वाले हैं। श्रमदान से इस पोखर को पुराने अस्तित्व में लाया जाएगा। ताकि खरीफ फसल के पटवन के लिए किसानों को  मशक्कत न करना पड़े।

राधे महतो, ग्रामीण

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-इस तालाब के जीर्णोद्धार के लिए  कई बार स्थानीय प्रशासन वह जनप्रतिनिधियों का ध्यान आकृष्ट कराया गया है। परंतु किसी ने संज्ञान नहीं लिया।

गोपाल चौधरी, ग्रामीण।

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कहते हैं मुखिया

-देवी स्थान स्थित बड़ोखर तालाब की खोदाई और सुंदरीकरण के लिए मनरेगा से कार्य कराने की योजना है। जल्द ही  तालाब के दो ओर पक्का घाट का निर्माण कराया जाएगा।

रिकु देवी, मुखिया, ग्राम पंचायत रोह।

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कहते हैं अधिकारी

-अतिक्रमण की जानकारी पहले से मुझे नहीं थी। जानकारी मिली है तो स्थानीय लोगों के साथ मिल बैठ कर अतिक्रमण मुक्त कराने का प्रयास करूंगा। बात नहीं बनेगी तो अतिक्रमण करने वाले लोगों पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।

ज्ञानचंद प्रसाद, अंचल अधिकारी, रोह

गोपाल चौधरी, ग्रामीण।


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