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जेल से मांग रहा था रंगदारी, छापेमारी में मिला मोबाइल व सिम

जिले के गोविदपुर थाना क्षेत्र में पुल निर्माण कंपनी के संवेदक से जेल से रंगदारी की मांग की जा रही थी। पुलिस की सूचना पर सोमवार को मंडल कारा में छापेमारी की गई।

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 May 2020 09:29 PM (IST)Updated: Tue, 19 May 2020 09:29 PM (IST)
जेल से मांग रहा था रंगदारी, छापेमारी में मिला मोबाइल व सिम
जेल से मांग रहा था रंगदारी, छापेमारी में मिला मोबाइल व सिम

जिले के गोविदपुर थाना क्षेत्र में पुल निर्माण कंपनी के संवेदक से जेल से रंगदारी की मांग की जा रही थी। पुलिस की सूचना पर सोमवार को मंडल कारा में छापेमारी की गई। जिसमें बंदी व गोविदपुर थाना क्षेत्र के बकसोती गांव निवासी चांद अंसारी के पास से एक मोबाइल व एक सिम तथा नारदीगंज थाना क्षेत्र के बुच्ची गांव निवासी छोटे लाल गुप्ता के पास से एक सिम बरामद किया गया है। जेल में बंदियों के पास से मोबाइल व सिम की बरामदगी को लेकर नगर थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। गौरतलब है कि चांद पुल निर्माण कंपनी से रंगदारी मांगने और मजदूरों के साथ मारपीट आदि के मामले में जेल में बंद है। जबकि छोटेलाल राजद नेता कैलाश हत्याकांड में जेल में बंद है।

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बताया जाता है कि गोविदपुर थाना क्षेत्र के बकसोती में सकरी नदी पर पुल का निर्माण चल रहा है। 17 मई को पुल निर्माण कंपनी के सुजीत कुमार उर्फ पपलू ने गोविदपुर थाना में आवेदन देकर प्राथमिकी दर्ज कराई कि जेल में बंद चांद अंसारी एक बार फिर रंगदारी की मांग कर रहा है और केस उठाने की धमकी दे रहा है। जिसके बाद त्वरित कार्रवाई करते हुए पुलिस ने जेल प्रशासन से संपर्क साधा। जिसके बाद जेल में बंद चांद अंसारी की तलाशी ली गई। इस दौरान एक मोबाइल व सिम कार्ड बरामद हुए। वहीं एक अन्य बंदी छोटेलाल गुप्ता से भी सिम कार्ड की बरामदगी हुई। गोविदपुर थानाध्यक्ष डॉ. नरेंद्र कुमार ने बताया कि पुल निर्माण कंपनी की ओर से रंगदारी मांगे जाने और केस उठाने की धमकी के बाबत प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। इधर, रजौली एसडीपीओ संजय कुमार ने मोबाइल व सिम कार्ड की बरामदगी की पुष्टि करते हुए बताया कि इस संबंध में नगर थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है।

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जेल प्रशासन की भूमिका पर सवाल

- मोबाइल व सिम बरामदगी के मामले में जेल प्रशासन की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं। जेल प्रशासन की चुस्त-दुरुस्त सुरक्षा व्यवस्था का दावा खोखला साबित हो रहा है। कहा जा रहा है कि जेल अधिकारियों की मिलीभगत से जेल के अंदर गोरखधंधा चल रहा है। सवाल भी लाजिमी है कि आखिर बंदियों तक प्रतिबंधित सामान कैसे पहुंच जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि शुभ-लाभ के फेर में जेल की सुरक्षा ताक पर रख दिया गया है। पूर्व में भी कई बार जिला प्रशासन की छापेमारी में आपत्तिजनक सामान बरामद हुए हैं। इस मामले पर जेलर से संपर्क साधने का प्रयास किया गया। लेकिन उन्होंने मोबाइल कॉल रिसीव नहीं किया।


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