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जिले में 15 जनवरी से शुरू होगा खसरा रूबैला अभियान

डीआरडीए सभागार में सोमवार को खसरा रूबैला अभियान से संबंधित कार्यशाला आयोजित हुआ।

By JagranEdited By: Published: Tue, 30 Oct 2018 12:06 AM (IST)Updated: Tue, 30 Oct 2018 12:06 AM (IST)
जिले में 15 जनवरी से शुरू होगा खसरा रूबैला अभियान
जिले में 15 जनवरी से शुरू होगा खसरा रूबैला अभियान

नवादा। डीआरडीए सभागार में सोमवार को खसरा रूबैला अभियान से संबंधित कार्यशाला आयोजित हुआ। उद्घाटन डीएम कौशल कुमार ने किया। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने खसरा-रूबैला (एमआर वैक्सिन) के लिए संयुक्त टीका आरंभ करने का निर्णय लिया है। इस टीके को अभियान के तौर पर 15 जनवरी 19 से चलाया जाएगा। यह खसरे का पहला और दूसरा टीका के अतिरिक्त अभियान में दिया जाएगा। एमआर वैक्सिन का टीका 09 माह से 15 वर्ष के उम्र के बीच के सभी बच्चों के लिए है, चाहे उन्हें पहले खसरा-रूबैला टीका दिया गया है या नहीं। यह कार्यक्रम भारत के 28 राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेश में सफलतापूर्वक संपन्न किया गया है। जिसमें करीब 41 करोड़ बच्चों को टीका दिया जा चूका है। यह टीका भारत के अलावा अन्य 194 देशों में चलाया जा रहा है। खसरा-रूबैला अभियान का लक्ष्य तात्कालिक आधार पर जनसंख्या को खसरा-रूबैला से प्रतिरक्षित करना है। ताकि खसरे के कारण मृत्यु और सीआरएस (जन्मजात रूबैला ¨सड्रोम) की संभावनाएं मुख्य रूप से घट जाए। यह कार्यक्रम प्रथम चक्र में दो सप्ताह तक सभी स्कूलों (सरकारी, गैर सरकारी, मदरसा, अन्य शिक्षण संस्थान) में चलाया जाएगा। अगले दो सप्ताह तक गावों से शहरी क्षेत्र में तथा आउटरीच सत्रों एवं मोबाइल टीम द्वारा स्कूल न जाने वाले बच्चों एवं छूटे हुए बच्चों का टीकाकरण कराया जाना है। कार्यक्रम में सिविल सर्जन डॉ. श्रीनाथ प्रसाद, डॉ. उमेश चन्द्रा, डॉ. अशोक कुमार, एसएमओ डॉ. आशीष मजुमदार, डीपीओ शिक्षा ¨चता कुमारी, डीपीआरओ गुप्तेष्वर कुमार, सभी सीडीपीओ, डॉ. एसकेपी चक्रवर्ती सहित सभी प्रखंड चिकित्सा पदाधिकारी, प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक आदि उपस्थित थे।

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क्या है खसरा रोग

- यह वायरस के कारण होता है, जिसका संक्रमण सक्रंमित व्यक्ति के खांसने एवं छींकने से फैलता है। इस बीमारी में बुखार, गले में खरास, खांसी, नाक बहना और आंख लाल हो जाता है। जिसके कारण बाद में बच्चों को कुपोषण, डायरिया, निमोनिया, मासिक में संक्रमण एवं रोगों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है।

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क्या है रूबैला रोग

- यह रोग भी वायरस के कारण सक्रंमित व्यक्ति के छींकने या खांसने से फैलता है। जिसके क्रम में बुखार, मिचली, कान के पीछे दाने और गर्दन में सूजी हुई ग्रंथियां हो सकती है। जिसके कारण गठिया रोग या जोड़ों में दर्द हो सकता है। यह रोग आमतौर पर हल्का होता है। लेकिन स्त्री गर्भवस्था के आरंभ में रूबैला वायरस से सक्रंमित होती है तो उसके पेट में पल रहे बच्चों को संक्रमण होने की संभावना काफी होती है। इससे भ्रूण में गम्भीर दुष्परिणाम पैदा हो सकता है। जैसे- गर्भपात, मृत प्रसव या गंभीर जन्मदोष जिसमें दिल, आंख, कान और मस्तिष्क आदि का दोष पैदा हो सकता है। इस रोग से पीड़ित शिशु एक से भी ज्यादा वर्ष तक रूबैला वायरस को मल द्वारा त्यागता है। जिससे इसका संक्रमण समुदाय में फैलने की संभावना रहती है।

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एम आर वैक्सीन

- यह टीका उपरी दाहिनी बांह में त्वचा के नीचे इंजेक्शन द्वारा लगाया जाता है। नवादा जिला में अभियान के दौरान करीब 8.6 लाख बच्चों को यह टीका लगाया जाना है।

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मिजिल्स-रूबैला अभियान में बीडीओ का मिली जिम्मेवारी

- कार्यक्रम को सफलता पूर्वक क्रियान्वयन के लिए बीडीओ को जिम्मेवारी दी गई है। वे स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग एवं समाज कल्याण के बीच समन्वय स्थापित करेंगे। कार्यक्रम कि उपलब्धि की समीक्षा हेतु प्रखंड स्तरीय टास्क र्फोस की बैठक अपनी अध्यक्षता में प्रत्येक दो सप्ताह में करेंगे। समस्याओं का समाधान करते हुए संबंधित पदाधिकारियों को निर्देशित करेंगे।

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बनाया गया प्रखंड स्तरीय टास्क फोर्स

-अभियान की सफलता के लिए प्रखंड स्तरीय टास्कफोर्स बनाया गया है। जिसमें बीडीओ के अलावा प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी, बाल विकास परियोजना पदाधिकारी, पंचायत राज के प्रतिनिधि, प्रेस के प्रतिनिधि, धार्मिक नेता या समुदाय के प्रभावशाली/सम्मानित व्यक्ति।

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शिक्षा विभाग को भी मिली जवाबदेही

- इस अभियान में जिला शिक्षा पदाधिकारी को जिले के सभी सरकारी एवं गैर सरकारी स्कूलों की सूची एवं बच्चों की संख्या सिविल सर्जन को उपलब्ध कराने को कहा गया है। इसके साथ ही प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी संबंधित प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को सरकारी एवं गैर सरकारी स्कूलों की सूची एवं बच्चों की संख्या उपलब्ध कराएंगे। अभियान की पूर्ण सफलता के लिए प्रत्येक सरकारी एवं गैर सरकारी स्कूलों में एक नोडल शिक्षक की नियुक्ति की जाएगी। नोडल शिक्षक स्वास्थ्य विभाग के साथ समन्वय स्थापित कर अभियान हेतु प्रशिक्षण प्राप्त करेगें। प्रशिक्षण उपरांत वे अपने स्कूल के सभी शिक्षकों को प्रशिक्षित करेंगे।

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समाज कल्याण विभाग को भी जिम्मेवारी

-अभियान के लिए प्रखंडवार तैयार की गई कार्य योजना अनुसार 09 माह से 06 वर्ष तक के बच्चों को योजनाबद्ध तरीके से टीकाकरण कार्यक्रम में शत-प्रतिषत बच्चों की उपस्थिति सुनिश्चित करते हुए टीका दिलवाएंगें। साथ हीं साथ वैसे बच्चों, बालक-बालिका जो 09 महीने की आयु से लेकर 15 वर्ष तक के गैर पंजीकृत हैं और विद्यालय थवा आंगनबाड़ी केंद्र नहीं आते हैं, उन्हें भी संग्रहित कर टीका दिलवाएंगें। सेविका, सहायिका, पोषण सखी एवं एएनएम टीम के सदस्यों एवं लाभार्थियों को केंद्र तक लाना सुनिश्चित करेंगे ।


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