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निर्णय ग्रेनाइट पत्थर लगाने का और काम रंग-रोगन का

नवादा। नवादा नगर स्थित ऐतिहासिक प्रजातंत्र द्वार अधिकारियों की उदासीनता या यूं कहें कि लापरवाही का दंश झेल रहा है। पिछले कुछ बार से स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस समारोह की तैयारियों से संबंधित बैठक में प्रजातंत्र द्वार पर ग्रेनाइट पत्थर लगाने का निर्णय लिया जाता है। लेकिन उस निर्णय को अमल में नहीं लाया जाता है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 Jan 2021 12:15 AM (IST)Updated: Sat, 23 Jan 2021 12:15 AM (IST)
निर्णय ग्रेनाइट पत्थर लगाने का और काम रंग-रोगन का
निर्णय ग्रेनाइट पत्थर लगाने का और काम रंग-रोगन का

नवादा। नवादा नगर स्थित ऐतिहासिक प्रजातंत्र द्वार अधिकारियों की उदासीनता या यूं कहें कि लापरवाही का दंश झेल रहा है। पिछले कुछ बार से स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस समारोह की तैयारियों से संबंधित बैठक में प्रजातंत्र द्वार पर ग्रेनाइट पत्थर लगाने का निर्णय लिया जाता है। लेकिन उस निर्णय को अमल में नहीं लाया जाता है। प्रोसिडिग में ग्रेनाइट पत्थर लगाने की चर्चा जरुर होती है, लेकिन काम व्हाइट वाशिग का कराकर छोड़ दिया जाता है। हर स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस समारोह में चर्चा के बाद लोगों को लगता है कि अब प्रजातंत्र द्वार की सूरत बदलेगी। प्रजातंत्र द्वार अब नए रूप में देखने को मिलेगा। लेकिन बाद में लोग ठगा हुआ महसूस करते हैं। इस वर्ष भी गणतंत्र दिवस समारोह की तैयारी बैठक में प्रजातंत्र द्वार पर ग्रेनाइट पत्थर लगाने की चर्चा हुई है। हालांकि समय को देखते हुए पुन: कार्य शुरू नहीं होने की उम्मीद है। वैसे देखना दिलचस्प होगा कि बैठक की प्रोसिडिग से इतर धरातल पर काम होता है या नहीं। तैयारियों की समीक्षा बैठक में जिले के आलाधिकारी के साथ ही बुद्धिजीवी भी शामिल होते हैं। लेकिन पिछले बैठक में लिए गए निर्णय के आलोक में हुई कार्रवाई के संदर्भ में चर्चा करना भी मुनासिब नहीं समझते। नगर परिषद के अधिकारी को प्रजातंत्र द्वार को ग्रेनाइट से सजाने का जिम्मा दिया जाता है। लेकिन समारोह समाप्त होने के बाद अधिकारी उसे भूल जाते हैं। अगली बैठक में कोई उसपर याद भी नहीं कराता।

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स्व. कन्हाई बाबू ने कराया था निर्माण

- प्रजातंत्र द्वार का निर्माण शिक्षाविद स्व. कन्हाई लाल साहु ने कराया था। शहर के बीचोंबीच यानि हृदयस्थली पर इसका निर्माण कराया गया था। यह स्थान जिले में काफी प्रसिद्ध है। जिले के वरिष्ठ पत्रकार रामजी प्रसाद बताते हैं कि 26 जनवरी 1950 को तत्कालीन वित्त मंत्री अनुग्रह नारायण सिंह द्वार का उद्घाटन किया था। आजादी के बाद गणतंत्र घोषित हुआ था, तब प्रजातंत्र द्वार का निर्माण कराया गया था। बड़े ही तामझाम के साथ द्वार का उद्घाटन किया गया था।

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हर लम्हों का गवाह बनता है यह द्वार

- शहर का ऐतिहासिक प्रजातंत्र द्वार हर ऐतिहासिक लम्हों का गवाह बनता है। राजनैतिक, गैर राजनैतिक लोगों के कार्यक्रम होते रहते हैं। शाम में दफ्तरों में छुट्टी होने के बाद लोग यहां पर जुटते हैं और इधर-उधर की चर्चाओं का दौर चलता है। बगल में लोकनायक जयप्रकाश नारायण की प्रतिमा है। लेकिन ऐतिहासिक धरोहरों के प्रति काफी उदासीनता बरती जा रही है।

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कहते हैं नगर परिषद के अधिकारी

- इस बार बैठक में निर्णय लिया गया है। लेकिन दो-तीन दिनों में काम को पूरा करना संभव नहीं है। फाइल अभी तक आया नहीं है। लेकिन मामला संज्ञान में आ गया है। 26 जनवरी के बाद देखते हैं कि इसे किस प्रकार पूरा कराया जाए। फाइल आने के बाद बोर्ड की बैठक में इसे रखा जाएगा और अगले समारोह से पहले काम को पूरा कराने की कोशिश की जाएगी। कन्हैया प्रसाद, मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी, नगर परिषद नवादा।


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