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मुद्दा : तीन दशकों से हर चुनाव में बेचा जा रहा अनुमंडल कासपना

अशोक कुमार वारिसलीगंज पिछले तीन दशकों से वारिसलीगंज को अनुमंडल बनाने का सपना यहां के

By JagranEdited By: Published: Wed, 14 Oct 2020 07:57 PM (IST)Updated: Thu, 15 Oct 2020 05:06 AM (IST)
मुद्दा : तीन दशकों से हर चुनाव में बेचा जा रहा अनुमंडल कासपना
मुद्दा : तीन दशकों से हर चुनाव में बेचा जा रहा अनुमंडल कासपना

अशोक कुमार, वारिसलीगंज : पिछले तीन दशकों से वारिसलीगंज को अनुमंडल बनाने का सपना यहां के वोटरों को दिखाया जाता रहा है। 90 के दशक से यह मुद्दा बना हुआ है। जब भी बनने का मौका आया दो प्रखंडों के बीच खींचतान के कारण अधर में लटकता चला गया। 1980 से 90 तक 10 वर्षों तक यहां बंदी शंकर सिंह कांग्रेस के एमएलए रहे थे। बंदी बाबू बिहार केशरी डॉ. श्रीकृष्ण सिंह के छोटे पुत्र थे। कांग्रेस सरकार में मंत्री भी रहा करते थे। सरकार पर अच्छी पकड़ के कारण उनके लिए क्षेत्र में कुछ भी करना बहुत मुश्किल काम नहीं था। उनकी दिली चाहत थी कि वारिसलीगंज अनुमंडल बन जाए। उन्होंने पहल किया तो विधानसभा क्षेत्र के पकरीबरावां प्रखंड के लोग वारिसलीगंज की बजाय पकरीबरावां को अनुमंडल बनाने की मांग करने लगे। ऐसे में पकरीबरावां के लोगों को संतुष्ट करने के लिए उन्होंने जवाहर नवोदय विद्यालय वहां दे दिया। उन्हें लगा कि पकरीबरावां के लोग संतुष्ट हो जाएंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मामला खींचता गया और 1990 का चुनाव सर पर आ गया। चुनाव में ज्यादा बखेड़ा खड़ा न हो बंदी बाबू ने चुनाव बाद किसी निर्णय पर पहुंचने का मन बनाया। चुनाव का समय आया तो कांग्रेस पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। जन दवाब में वे निर्दलीय चुनाव लड़े। नजदीकी मुकाबले में चुनाव हार गए। सरकार भी बदल चुकी थी। सूबे में जनता दल की सरकार अस्तित्व में आ गई। लालू प्रसाद बिहार के मुख्यमंत्री बन गए थे। यहां से सीपीआइ के एमएलए देवनंदन प्रसाद थे। वाम दलों का समर्थन सरकार को प्राप्त था। उस दौर में सूबे में धड़ल्ले से नए प्रखंड, अनुमंडल व जिला बनाए गए। वारिसलीगंज व पकरीबरावां के कुछ प्रखंडों को काटकर काशीचक को नया प्रखंड बनाया गया। लेकिन, वारिसलीगंज व पकरीबरावां की लड़ाई में अनुमंडल नहीं बन सका। हालांकि उस दौर में 1992 में जिले में एक नया अनुमंडल अवश्य बना, लेकिन वारिसलीगंज की बजाय रजौली। तब रजौली की चर्चा भी नहीं थी। सीपीएम नेता गणेश शंकर विद्यार्थी की बड़ी भूमिका रजौली को अनुमंडल बनाने में रही। 2005 में सत्ता परिवर्तन हुआ, तब फिर से उम्मीद की किरण जगी थी। लेकिन, नीतीश कुमार की सरकार नए प्रखंड, अनुमंडल व जिला सृजन के प्रति ज्यादा इच्छुक नहीं दिखी। वैसे विधि-व्यवस्था के दृष्टिकोण से एक पुलिस अनुमंडल अकटूबर 2014 में पकरीबरावां बना। लेकिन, पूर्ण अनुमंडल अब भी प्रतीक्षा सूची में ही है।

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