Move to Jagran APP

अतीत के आइने में : खांटी मगही संवाद विधायक जी की थी पहचान

-------------------- वरुणेंद्र कुमार नवादा बात 1990 की है। वारिसलीगंज के जवाह

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Oct 2020 08:22 PM (IST)Updated: Tue, 13 Oct 2020 08:22 PM (IST)
अतीत के आइने में : खांटी मगही संवाद विधायक जी की थी पहचान
अतीत के आइने में : खांटी मगही संवाद विधायक जी की थी पहचान

फोटो- 9

loksabha election banner

-------------------- वरुणेंद्र कुमार, नवादा : बात 1990 की है। वारिसलीगंज के जवाहर पार्क में जनसभा थी। मंच के आसपास व मैदान में हसिया -गेहूं की बाली का झंडा लहर रहा था। पार्क में स्थित चबूतरे पर बने मंच से नेतागण बारी-बारी से सभा को संबोधित कर रहे थे। अच्छी खासी संख्या में लोग मैदान में उपस्थित थे। इसी बीच मंच संचालक ने आमंत्रित किया उस शख्स को जो वारिसलीगंज विस सीट से पार्टी के उम्मीदवार थे। तोहरा सब के प्रणाम कर हियो.., मंच से उन्होंने जैसे ही इस पंक्ति से अपना संवाद शुरू किया, भीड़ से लाल सलाम के नारे लगने लगे। दरअसल, वे लोगों से मुखातिब हुए तो अपनी मातृभाषा यानि मगही में। उनके गंवई संबोधन ने ही मंच से नीचे बैठे लोगों में उत्साह भर दिया था। यहां चर्चा कर रहे हैं तीन दफे वारिसलीगंज के विधायक रहे सीपीआइ नेता देवनंदन प्रसाद की। इलाके में बेहद लोकप्रिय थे। चाय की दुकान हो या चुनावी सभा अपनी गंवई भाषा मगही में ही संवाद किया करते थे। समर्थक हो या विरोधी उनकी इस संवाद शैली के कायल थे। आज वे नहीं हैं लेकिन उन्हें देख चुके व जानने वाले लोग आज भी चुनावी मौसम में उन्हें जरूर याद करते हैं। अपने जीवनकाल में जिले में वाम राजनीति की धुरी थे। कांग्रेस के गढ़ वारिसलीगंज में पहली बार उन्होंने ही 1967 में सेंध लगाई थी और सीपीआइ के प्रत्याशी के रूप में जीत हासिल कर लाल झंडा गाड़ा था। इसके बाद 69 और फिर अंतिम बार 90 के चुनाव में जीते। 1990 में उन्होंने बिहार केशरी डॉ. श्रीकृष्ण सिंह के पुत्र बंदी शंकर सिंह को पराजित किया। बंदी शंकर सिंह को कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया था। तब वे निर्दलीय चुनाव लड़े थे।

वारिसलीगंज प्रखंड के ही झौर गांव के निवासी देवनंदन प्रसाद बेहद सरल स्वभाव के थे। विधायक रहें या न रहे सुबह में वारिसलीगंज रेलवे स्टेशन पर किशुन राम की चाय दुकान पर उनका आना होता था। वहां बड़ी चौकड़ी सजती थी। चाय पर चर्चा होती थी। गांव-देहात से लेकर देश-विदेश के घटनाक्रम चर्चा का हिस्सा होता था। दूसरे दलों के नेता व कार्यकर्ता भी चर्चा का हिस्सा होते थे। उनका लोगों से मिलना-जुलना सहज तरीके से होता था। आम-खास का कोई फर्क नहीं था। हर किसी के लिए हर वक्त उपलब्ध रहते थे। 90 से 95 के बीच विधायक रहने के दौरान ठेले रिक्शे की भी सवारी करते शहर में घूमते देखे जाते थे। 97-98 के दौर में जब वारिसलीगंज का सामाजिक तानाबाना छिन्न-भिन्न हो रहा था, तब तत्कालीन कांग्रेसी विधायक रामाश्रय प्रसाद सिंह के साथ कदमताल मिलाकर समाज को बचाने का प्रयास किया। उनके व्यक्तित्व व ताकत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उनके बाद किसी ने लाल झंडा के कारवां को आगे नहीं बढ़ा सका।

--------------------

शिक्षक से राजनीतिक जीवन की यात्रा

-पेशे से शिक्षक रहे देवनंदन प्रसाद आजीवन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य रहे। सेवानिवृत शिक्षक सह मगही लेखक व साहित्यकार मिथिलेश कहते हैं कि जब मैं कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़ा था तब पार्टी के लोग मगही भाषा का विरोध करते थे। जिसपर मैं अडिग रहा और अंतत: पार्टी ने मगही को स्वीकार किया। मकनपुर पंचायत की पूर्व मुखिया द्वारिका पंडित उर्फ लूटर पंडित कहते हैं कि मृदुभाषी व सरल स्वभाव के थे। मकनपुर ग्रामीण किशुन राम की चाय दुकान वारिसलीगंज रेलवे स्टेशन पर थी। वहीं उसकी बैठकी या जनता दरबार कहिए लगती थी। स्टेशन के समीप तुमड़िया बाबा भवन में पार्टी कार्यालय में वे सुलभता पूर्वक लोगों से मिलते थे। बोझवां गांव के रामाश्रय सिंह कहते हैं कि पार्टी में देवनंदन प्रसाद की साफ सुथरी छवि थी। प्राकृतिक आपदा में किसानों को हुई क्षति का सर्वे पार्टी कार्यकर्ताओं की टीम करती थी। जिसको अमल में लाने के लिए देवनंदन बाबू के नेतृत्व में पार्टी आंदोलन करती थी।

--------------------------

1957- चेतू राम- कांग्रेस

1957-राम किशुन सिंह- कांग्रेस

1959-चेतू राम-कांग्रेस

1962-राम किशुन सिंह-कांग्रेस

1967, 1969-देवनंदन प्रसाद-सीपीआई

1972-श्याम सुन्दर सिंह-एनसीओ

1977-राम रतन सिंह-जनता पार्टी

1980,1985-बंदी शंकर सिंह-कांग्रेस

1990-देवनंदन प्रसाद-सीपीआई

1995-रामाश्रय प्र. सिंह-कांग्रेस

2000-अरुणा देवी-निर्दलीय

2005(फरवरी)अरुणा देवी-लोजपा

2005(अक्टूबर) प्रदीप कुमार-निर्दलीय

2010- प्रदीप कुमार- जदयू

2015-अरुणा देवी- भाजपा


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.