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कार्रवाई के बाद भी रजौली वन क्षेत्र में अभ्रक का अवैध खनन बदस्तूर जारी

रजौली वन क्षेत्र की सवैयाटांड़ पंचायत के हनुमंती ललकि शारदा टोपापहाड़ी फगुनी सेठवा अंगिया कोरैया चुहवा पहाड़ व हरदिया पंचायत की भानेखाप महुआ खदान सुरांगो समेत कई छोटे बड़े खदान को खोदकर माफिया के द्वारा अवैध अभ्रक का खनन किया जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 22 May 2020 09:28 PM (IST)Updated: Fri, 22 May 2020 09:28 PM (IST)
कार्रवाई के बाद भी रजौली वन क्षेत्र में अभ्रक का अवैध खनन बदस्तूर जारी
कार्रवाई के बाद भी रजौली वन क्षेत्र में अभ्रक का अवैध खनन बदस्तूर जारी

रजौली वन क्षेत्र की सवैयाटांड़ पंचायत के हनुमंती, ललकि, शारदा, टोपापहाड़ी, फगुनी, सेठवा, अंगिया, कोरैया, चुहवा पहाड़ व हरदिया पंचायत की भानेखाप, महुआ खदान, सुरांगो समेत कई छोटे बड़े खदान को खोदकर माफिया के द्वारा अवैध अभ्रक का खनन किया जा रहा है। हालांकि लॉकडाउन की वजह से अवैध खनन की रफ्तार पर थोड़ी ब्रेक लगी है, लेकिन काम बंद नहीं हुआ है। लॉकडाउन की अवधि में ही पुलिस व वन विभाग के द्वारा अवैध खनन की कई प्राथमिकियां दर्ज कराई जा चुकी है।

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सालाना राज्य सरकार को होता है करोड़ो के राजस्व का नुकसान -रजौली वन क्षेत्र से अभ्रक का अवैध खनन कराने वाले माफिया सरकार को प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये का चूना लगा रहे हैं। यह कारोबार प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। इस कारोबार का हैंडलर पड़ोसी राज्य झारखंड के कोडरमा में बैठे रहते हैं और वहीं से अवैध खनन का सारा सिस्टम चलाते हैं। जिस जगह पर अभ्रक का अवैध उत्खनन होता है वह नवादा जिले का क्षेत्र है, लेकिन यहां स्थानीय लोगों के सहयोग से झारखंड के माफिया अपना वर्चस्व कायम कर रहें हैं। लॉकडाउन की वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में अभ्रक की मांग कम हुई है उसके बाद भी कोडरमा में बैठे व्यापारी मजदूरो से कम दाम में अभ्रक का खरीदारी कर भंडारण कर रहे हैं। ताकि बाजार खुलते ही ऊंचे दामों पर बेचा जा सके।

माफिया व वन अधिकारियों के साठगांठ से इन्कार नहीं

- अवैध खनन को रोकने को लेकर पुलिस से लेकर वन विभाग की टीम कई बार प्रयास कर चुकी है। जिसमें कई बार पुलिस को सफलता भी हाथ लगी है तो कई बार निराशाजनक होकर बैरंग लौटना भी पड़ा है। स्थानीय लोगों ने लिखित रूप से आवेदन देकर खनन माफिया और वन विभाग के अधिकारियों के गठजोड़ का आरोप भी लगाया है। जंगली क्षेत्र होने का लाभ उठाते हैं माफिया

- अभ्रक का अवैध खनन अधिकतर जंगली इलाकों में हो रहा है। जिसका फायदा सीधे तौर पर मफिया को पहुंचता है क्योंकि अभ्रक को बाजार तक लाने के लिए माफिया के द्वारा जंगली क्षेत्र में कच्ची सड़क बनाया जाता है। जिससे पुलिसिया कार्यवाई से बचते हुए अभ्रक सीधा बाजारों तक पहुंच जाता है। अभ्रक माफिया द्वारा कई बार किया गया है छापेमारी दल पर हमला -अवैध खनन करने वाले माफिया इतने बेखौफ है कि छापेमारी करने गई टीम पर कई हमला बोला है और अवैध खनन में जब्त मशीनों को भी छुड़ा कर ले गए है। पहला हमला 20 मार्च को चटकरी गांव मे हुआ था। दूसरा हमला बाराटांड़ में 06 मई को हुआ था। जिसमें माफिया के द्वारा एक जेसीबी मशीन को छापेमारी टीम से छुड़ाकर ले गया था। इससे पहले भी कई बार वन विभाग के कर्मी व माफिया के बीच छोटी छोटी नोकझोंक हुई है।


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