हिसुआ के मॉडल अस्पताल में एम्बुलेंस तक की सुविधा नहीं
नवादा। यहां सरकार की तमाम चिकित्सा सुविधाओं से इतर गर्भवती महिलाओं को उनके परिजन झरझरी, ट्रैक्टर, टे
नवादा। यहां सरकार की तमाम चिकित्सा सुविधाओं से इतर गर्भवती महिलाओं को उनके परिजन झरझरी, ट्रैक्टर, टेंपो एवं रिक्शा से ही अस्पताल लाते और ले जाते हैं। सरकारी उपेक्षा के कारण हिसुआ स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की दुर्दशा हो गई है। मॉडल अस्पताल का दर्जा मिलने के बावजूद यहां मरीजों की स्वास्थ्य के साथ सौतेला व्यवहार हो रहा है। चिकित्सकों का अभाव एवं उपयोगी दवाईयों की किल्लत तो है ही, सबसे जरूरी और उपयोगी एम्बुलेंस सेवा भी ठप है। विगत कई दिनों से यहां का एकमात्र एम्बुलेंस खराब रहने के कारण सुदूर ग्रामीण इलाकों से मरीजों को लाने ले जाने में काफी परेशानी हो रही है। यहां से रेफर किए गए मरीजों को नवादा सदर अस्पताल ले जाने के लिए प्राइवेट गाड़ियों का सहारा लेना पड़ता है।
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कहती है प्रसूता
-शनिवार को कुल 10 गर्भवती महिलाओं की डिलेवरी अस्पताल में हुआ। जिसमें हिसुआ समेत नरहट, नारदीगंज की महिलाएं भी शामिल है। इन लोगों को 10 से 20 किलोमीटर की दूरी झरझरी, टेम्पो व ट्रैक्टर से आना पड़ा और नवजात को लेकर इन्हीं सुविधाओं के जरिए घर लौटना है। नरहट प्रखंड के छोटी पाली निवासी गीता देवी पति शैलेन्द्र कुमार, हिसुआ बुधौल की विभा देवी पति धर्मेन्द्र मांझी ,एकनार निवासी कुसुम देवी पति डब्लू मांझी, बेलदरिया की सुषमा कुमारी पति अशोक कुमार, शंकर विगहा की शांति देवी पति सचिन साव, चीता विगहा की साहीला प्रवीण पति मो. गोलेन, ¨सघौली की रेणु देवी पति मुकेश चौधरी, कहरिया की ¨रकी देवी पति रुपलाल चौधरी, करमचक की ललिता देवी पति इंदल मांझी कुल 10 महिलाओं का प्रसव हुआ। सभी ने आने -जाने में परेशानी एवं स्वास्थ्य व्यवस्था पर प्रश्न खड़ा किया। बोला नवजात को ले जाने में काफी परेशानी होगी। कई प्रसूता वाहन के इंतजार में अस्पताल में हीं पड़ी है।
मात्र तीन चिकित्सक के सहारे अस्पताल
-हिसुआ का मॉडल अस्पताल चार प्रखंडों के मरीजों को सुविधा दे रहा है। लेकिन तीन चिकित्सक की तैनाती है। चिकित्सा प्रभारी डॉ. राजेश्वर शर्मा को छोड़ मात्र दो चिकित्सक शैलेन्द्र कुमार एवं स्वीटी कुमारी ही हैं। जिनके सहारे इस मॉडल अस्पताल में मरीजों का इलाज होता है। इनमें से कोई चिकित्सक छुट्टी पर होते हैं तो यहां के कम्पाउंडर एवं एएनएम चिकित्सक की भूमिका में नजर आते हैं। जो स्वस्थ भारत मिशन और चिकित्सा व्यवस्था पर प्रश्न खड़ा करता है।
रैवीज एवं सांप काटने की दवा का आवंटन कम
कुत्ता एवं सांप काटने पर इसके निरोधक दवाइयों का भी यहां किल्लत है। यहां का एरिया बड़ा है। आवश्यकतानुसार दवाइयों का आवंटन नहीं हो पाता है। रैवीज की सुई की मांग अधिक होती है पर 30 से 40 वैक्सीन ही उपलब्ध कराया जाता है। जिस कारण कुछ ही दिनों में दवाईयां समाप्त हो जाती है और मरीजों को निराश होकर लौटना पड़ता है।
कहते हैं चिकित्सा प्रभारी
- यहां दो एम्बुलेंस था। एक तो लगभग साल भर पूर्व खराब हो गया दूसरा भी खराब पड़ा है, जिसे बनाने के लिए भेजा गया है। चिकित्सक का अभाव है। कई बार विभाग के समक्ष अस्पताल सम्बंधी कमियों को रखे हैं। बावजूद चिकित्सक एवं दवाइयों की कमी बनी है। हम अपने मौजूदा चिकित्सकों एवं संसाधनों से बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने के लिए प्रयासरत हैं।
डॉ. राजेश्वर शर्मा, चिकित्सा प्रभारी, सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र, हिसुआ।