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गोविंदपुर में विवादित स्थल से हटाई गई हनुमान की प्रतिमा

जिले के गोविदपुर थाने से करीब 600 मीटर दूर एक विवादित स्थल पर स्थापित की गई हनुमानजी की प्रतिमा शनिवार को प्रशासन ने हटवा दी। इस दौरान पुलिस-प्रशासन को गोविदपुर डीह के ग्रामीणों का कड़ा विरोध झेलना पड़ा। मूर्ति हटाने गए अधिकारियों व जवानों से लोग उलझ गए और पथराव भी किया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 04 Apr 2020 09:53 PM (IST)Updated: Sat, 04 Apr 2020 09:53 PM (IST)
गोविंदपुर में विवादित स्थल से हटाई गई हनुमान की प्रतिमा
गोविंदपुर में विवादित स्थल से हटाई गई हनुमान की प्रतिमा

जिले के गोविदपुर थाने से करीब 600 मीटर दूर एक विवादित स्थल पर स्थापित की गई हनुमानजी की प्रतिमा शनिवार को प्रशासन ने हटवा दी। इस दौरान पुलिस-प्रशासन को गोविदपुर डीह के ग्रामीणों का कड़ा विरोध झेलना पड़ा। मूर्ति हटाने गए अधिकारियों व जवानों से लोग उलझ गए और पथराव भी किया। पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए बल प्रयोग किया। लोगों के हटने के बाद प्रतिमा हटाई गई। मौके पर बीडीओ कुंजबिहारी सिंह, सीओ शैलेंद्र कुमार, थानाध्यक्ष डॉ. नरेंद्र प्रसाद, एसआइ सतीश कुमार, एएसआइ रामप्रवेश प्रसाद, मिश्री प्रसाद, प्रमोद पासवान, प्रभु गुप्ता आदि महिला व पुरुष जवान के साथ मौजूद थे।

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बताया जाता है कि गोविदपुर अस्पताल, तैलिक वैश्य इंटर विद्यालय और कर्बला के रास्ते में एक परती भूमि पर करीब पांच वर्षो से रामनवमी के मौके पर ध्वजरोहण कर पूजा की जाती थी। इस वर्ष दो अप्रैल को रामनवमी के दिन उक्त स्थल पर ग्रामीणों ने बजरंगबली की मूर्ति स्थापित कर पूजा की। दो दिन के बाद शनिवार को प्रखंड के अधिकारी दलबल के साथ पहुंचे और मूर्ति हटाने को कहा। इसका ग्रामीणों ने विरोध किया, फिर भी अधिकारियों ने मूर्ति को हटाकर कुछ दूरी पर इंटर विद्यालय के पीछे स्थित देवी स्थान के पास रख दिया। थानाध्यक्ष डॉ. नरेंद्र प्रसाद ने बताया कि किसी ने वरीय पदाधिकारी से शिकायत की थी। सीओ शैलेंद्र कुमार ने भी बताया कि इस स्थल पर ध्वज गाड़ने पर एक साल पहले भी आपत्ति की गई थी। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि यह जमीन रैयती है और किसी सेवक राम की जमीन है। अधिकारियों ने कहा, 14 अप्रैल यानी लॉकडाउन के बाद भूमि की मापी कराई जाएगी। भूमी रैयती होगी तो पुन: मूर्ति स्थापित कर दी जाएगी। शिकायतकर्ता अब तक सामने नहीं आया है, लेकिन जिसने भी शिकायत दर्ज कराई, उसका दावा है कि उक्त भूमि विद्यालय के नाम पर दर्ज है। पदाधिकारी भी शिकायतकर्ता का नाम गोपनीय रखे हैं। अधिकारियों के इस रवैए से स्थानीय ग्रामीण काफी नाराज हैं।


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