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करंट लगने से किराना व्यवसायी की मौत

थाना क्षेत्र के मुख्य बाजार के पास वारिसलीगंज मोड़ के समीप शुक्रवार की सुबह करंट से किराना व्यवसायी 40 वर्षीय शंभू दास की मौत हो गई। इस घटना से परिजनों के बीच कोहराम मच गया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 24 May 2019 07:15 PM (IST)Updated: Fri, 24 May 2019 07:15 PM (IST)
करंट लगने से किराना व्यवसायी की मौत
करंट लगने से किराना व्यवसायी की मौत

थाना क्षेत्र के मुख्य बाजार के पास वारिसलीगंज मोड़ के समीप शुक्रवार की सुबह करंट से किराना व्यवसायी 40 वर्षीय शंभू दास की मौत हो गई। इस घटना से परिजनों के बीच कोहराम मच गया।

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परिजनों के अनुसार, शंभू दुकान खोलने के बाद चाय पीने के लिए निकले थे। इसी बीच घर से 100 मीटर की दूरी पर ट्रांसफॉर्मर के पास तार की चपेट में आ गए। इसके बाद ग्रामीणों की सहयोग से उन्हें पीएचसी पहुंचाया गया। जहां देखते ही डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। किराना व्यवसायी की मौत की खबर मिलते ही बाजार में मातम पसर गया। घटना की जानकारी मिलते ही लोगों की भीड़ पीएचसी में जुट गई। हर कोई इस घटना से मर्माहत दिखे। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था। इस बीच वारिसलीगंज विधायक अरुणा देवी भी वहां पहुंची और पीड़ित परिजनों को ढांढ़स बंधाया। उन्होंने सरकारी नियमानुसार मुआवजा दिलाने का भी भरोसा दिलाया। इधर, बाजार के लोगों ने बताया कि वारसलीगंज मोड़ के समीप ट्रांसफॉर्मर वर्षों से जर्जर हाल में है। अक्सर उससे आग की चिगारी निकलती है। वहां पर तार टूटने की घटना भी आम है। इस बाबत कई बार विभागीय अधिकारियों से शिकायत दर्ज कराई गई। लेकिन अधिकारियों ने सुध नहीं ली। गौरतलब है कि यह इलाका काफी भीड़भाड़ वाला है। यहां से अक्सर दूसरे जिलों व राज्यों के लिए वाहनें खुलती हैं। हजारों की संख्या में लोगों का आना-जाना बना रहता है।

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कमाऊ सदस्य की मौत से परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़

- किराना दुकानदार शंभू की मौत से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। वे अपने परिवार के एकमात्र कमाऊ सदस्य थे। उनकी पत्नी शीला देवी का रो-रोकर बुरा हाल है। विलाप करते हुए वह लगातार बेहोश हो जा रही थी। चार बेटियां शालनी कुमारी 17 वर्ष, शालू कुमारी 14 वर्ष, साधना कुमारी 11 वर्ष तथा शिवानी कुमारी 5 साल का भी हाल-बेहाल था। उनके सिर से पिता का साया सदा के लिए छीन गया। परिजनों के विलाप को देख आसपास के लोगों की आंखें भी नम हो जा रही थी। किसी तरह अपनी आंसुओं पर काबू कर लोग उन्हें चुप कराने में जुटे थे।

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