उधार के बरामदे में संचालित हो रहा सरकार का स्कूल
सब पढ़े, सब बढ़े के श्लोगन की जमीनी हकीकत देखना हो तो नगर परिषद नवादा के वार्ड संख्या नौ में संचालित प्राथमिक विद्यालय गढ़पर को देख सकते हैं।
सब पढ़े, सब बढ़े के श्लोगन की जमीनी हकीकत देखना हो तो नगर परिषद नवादा के वार्ड संख्या नौ में संचालित प्राथमिक विद्यालय गढ़पर को देख सकते हैं। यह विद्यालय उधार के बरामदे पर चलता है। जहां बच्चों के बैठने के लिए न तो पर्याप्त स्थान है और न ही अन्य बुनियादी सुविधाएं। यहां के बच्चे खल्ली-डस्टर और ब्लैकबोर्ड क्या होता है यह भी नहीं जान पाते हैं। स्थापना करीब 42 साल पूर्व हुई। इतने वर्षों बाद भी इस विद्यालय को अपना भवन नसीब नहीं हो सका है। स्कूल करीब 25 साल पूर्व नगर के पातालपुरी मोहल्ला में तत्कालीन प्रधानाध्यापक के आवास पर संचालित हो रहा था। पिछले 16 साल से विद्यालय का संचालन गढ़पर मोहल्ला में हो रहा है। समाजसेवी ब्रह्मदेव प्रसाद द्वारा विद्यालय संचालन के लिए अपने घर का बरामदा सहयोग के रूप में दे रखे हैं। जहां बच्चे दरी पर बैठकर पढ़ाई करते हैं। जगह के अभाव में बच्चों को पढ़ाई करने में काफी परेशानी होती है। हालांकि शिक्षा विभाग द्वारा बच्चों को छात्रवृति व पौशाक राशि का लाभ दिया जा रहा है। एमडीएम योजना भी संचालित हो रही है। लेकिन इस विद्यालय में न तो साइन बोर्ड लगा है और न ही ब्लैक बोर्ड ही है। 1976 में हुआ था स्थापना
- इस विद्यालय की स्थापना वर्ष 1976 में की गई थी। स्थापना काल से ही विद्यालय का कोई स्थाई ठिकाना नहीं रहा। करीब 25 साल तक स्कूल तत्कालीन प्रधानाध्यापक के पातालपुरी मोहल्ला स्थित आवास पर संचालित हुआ। पिछले 16 साल से गढ़पर स्थित एक व्यक्ति के घर के बरामदे में किया जा रहा है। भूमि के अभाव में अभीतक विद्यालय भवन का निर्माण नहीं हो सका है। 76 बच्चों का है नामांकन
- इस विद्यालय में कुल 76 बच्चों का नामांकन है। जगह के अभाव में बच्चों को बैठने में काफी परेशानी होती है। जिसके कारण बच्चों की उपस्थिति काफी कम रहती है। जिससे बच्चों की शिक्षा पर बुरा असर पड़ रहा है।
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तीन शिक्षक हैं पदस्थापित
- विभाग द्वारा बच्चों को पढ़ाने के लिए तीन शिक्षकों की पदस्थापना की गई है। जिसमें एक प्रधानाध्यापक व दो सहायक शिक्षक हैं। जगह के अभाव में शिक्षकों को भी काफी परेशानी उठानी पड़ रही है।
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कहते हैं छात्र
- बरामदा में दरी पर बैठकर पढ़ाई करना पड़ रहा है। शौचालय व पेयजल की सुविधा नहीं है। जिसके कारण काफी परेशानी होती है। भोला कुमार,छात्र।फोटो-15.
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- जगह कम रहने के कारण बैठने में काफी परेशानी होती है। बच्चों की उपस्थिति भी काफी कम रहती है। शौच त्याग व पेयजल के लिए घर जाना पड़ता है।
सुमन कुमारी,छात्रा।फोटो-16.
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- बरामदा में दरी पर बैठकर पढ़ाई करने में परेशानी होती है। बरसात के दिनों में बैठना भी मुश्किल हो जाता है। जिसके कारण शिक्षा प्रभावित हो रही है।
रोहित कुमार,छात्र।फोटो-17.
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- भवन नहीं रहने के कारण जमीन पर बैठकर पढ़ाई करना पड़ रहा है। पेयजल व शौचालय उपलब्ध नहीं रहने से काफी परेशानी होती है।
कशिश कुमारी,छात्रा।फोटो-18.
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कहते हैं शिक्षक
- भवन के अभाव में बच्चों को पढ़ाने में काफी परेशानी हो रही है। बच्चों को दरी पर बैठकर पढ़ाई करना पड़ता है। जगह कम रहने के कारण बच्चों की उपस्थिति भी कम रहती है। पेयजल व शौचालय नहीं रहने के कारण काफी परेशानी होती है। इसके लिए विभागीय अधिकारियों को ध्यान देना चाहिए।
कुमारी सुनीता,सहायक शिक्षिका।फोटो-19.
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- भूमि के अभाव में विद्यालय भवन का निर्माण नहीं हो पा रहा है। समाजसेवी ब्रह्मदेव प्रसाद के सहयोग से उनके घर के बरामदे में करीब 16 साल से विद्यालय का संचालन किया जा रहा है। जगह का काफी अभाव है। जिसके कारण बच्चों की उपस्थिति कम रहती है। पेयजल व शौचालय की सुविधा नहीं रहने से शिक्षक व बच्चों को काफी परेशानी होती है। विभाग द्वारा बच्चों को छात्रवृति,पोशाक व एमडीएम योजना का लाभ दिया जा रहा है। लेकिन भवन के अभाव में बच्चों की शिक्षा प्रभावित हो रही है। ऐसे मेरे द्वारा विभागीय अधिकारी को भवन की समस्या से अवगत कराया गया है। साथ ही प्रत्येक वर्ष वार्षिक रिर्पोट में भवन की कमी को दर्शाया जा रहा है। लेकिन भूमि के अभाव में भवन निर्माण का मामला अटका है।
कन्हैया कुमार,प्रधानाध्यापक। फोटो-20.