पकरीबरावां कन्या उच्च विद्यालय में कमरे की कमी, बरामदे में पढ़ती हैं बेटियां
पकरीबरावां कन्या उच्च विद्यालय में कमरे के कमी से बरामदे पर पढ़ती हैं बच्चियां
पकरीबरावां कन्या उच्च विद्यालय में कमरे की कमी, बरामदे में पढ़ती हैं बेटियां
राजेश प्रसाद, पकरीबरावां (नवादा):
पकरीबरावां प्रखंड मुख्यालय स्थित प्रोजेक्ट कन्या उच्च विद्यालय बेटियों के लिए एक मात्र उच्च विद्यालय है। जहां इन्हें पढ़ाने का शिक्षकों में जुनून और उनकी जिद के आगे संसाधन कम पड़ रहे हैं। शिक्षकों का कहना है कि बच्चों का भविष्य संवारना उनकी प्राथमिकता है। पर छात्राओं को बैठाने के लिए कमरे का घोर अभाव है। छात्राएं स्कूल के बरामदे में लगी बेंच पर बैठकर पढ़ाई करती हैं। वहीं पढ़ाई के दौरान वर्षा हुई तो काफी फजीहत झेलना पड़ती है।
विद्यालय में न ही पर्याप्त क्लासरूम, न खेल का मैदान
इस विद्यालय में कक्षा नौ से 12वीं तक पढ़ाई होती है। इसके लिए मात्र चार कमरे हैं। लेकिन इनमें एक कमरा में आफिस संचालित हैं। शेष बचे तीन कमरे में विद्यालय को दो शिफ्ट में किया गया। पहले शिफ्ट में 11वीं एवं 12वीं की छात्राएं पढ़ती हैं। वहीं दूसरी शिफ्ट में नवमी एवं दशमी के बच्चियां पढ़ाई करती है। क्लास रूम की कमी के वजह से बरामदा पर बच्चियां को पढ़ना बाध्यता है। शिक्षकों के लिए मीटिंग हाल भी उपलब्ध नहीं है। ना हीं बच्चियों के लिए खेल का कोई मैदान है।
कीचड़मय रास्ते से होकर स्कूल जाने की मजबूरी
स्कूल की छात्राओं को कीचड़ व गंदगी से होकर विद्यालय पहुंचना पड़ता है। विद्यालय जाने वाला रास्ते कीचड़ में तब्दील है। यहां सड़क के दोनों ओर से ग्रामीणों के घर व चापाकल आदि से पानी निकासी का मार्ग अवरुद्ध होने के कारण हालत बदतर है। हल्की भी वर्षा हुई तो विद्यालय जाना मुश्किल होता है। हालांकि प्रधानाचार्य को इस संबंध में वर्तमान पंचायत के मुखिया से मौखिक आश्वासन मिला है। बजट आने पर जल्द ही इस रास्ते को दुरुस्त कर दिया जाएगा। विद्यालय जाने का रास्ता काफी खराब है। हम लोग किसी तरह से विद्यालय जा पाते हैं। वर्षा के दिनों में कीचड़ में चल कर जाना मजबूरी है।
निशु कुमारी, छात्रा, वर्ग नवम
विद्यालय में वर्ग कक्ष की कमी के कारण हम लोग बरामदे में पढ़ने को मजबूर हैं। विभाग को इस ओर ध्यान देना चाहिए।
राकीवा प्रवीण, छात्रा, वर्ग दसवीं
वर्षा के दिनों में बरामदे में पढ़ना काफी मुश्किल भरा होता है। सरकार इस ओर कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है।
निशु रानी, छात्रा, वर्ग नवम
विद्यालय जाने का एकमात्र मार्ग जर्जर व कीचड़मय है। इसी मार्ग से सभी गुजर कर विद्यालय आते हैं। कभी-कभी कीचड़ में फंस जाने पर जूता चप्पल के अलावा कपड़े भी खराब हो जाते हैं।
अंशु कुमारी, छात्रा, वर्ग ग्यारहवीं
क्या कहती हैं प्रधानाचार्य::
इस बाबत विद्यालय की प्रधानाचार्य कुमारी पुष्पलता सिन्हा कहती हैं कि विद्यालय के शिक्षकों का जुनून है, कि जहां चाह, वहीं राह की कहावत पर वह अपना कदम बढ़ाते रहे। शिक्षक पर्याप्त संख्या में पदस्थापित हैं। 860 नामांकित विद्यार्थियों की पढ़ाई के लिए 18 शिक्षक पदस्थापित हैं। अब तक जितने भी अधिकारी आए हैं, सभी ने कमरे की कमी को देखते हुए सहायता देने की बात की। लेकिन जमीन पर बातें लागू नहीं हुई। वर्ग कक्ष की कमी से परेशानी होती है।