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मौलिक अधिकार की आड़ में देश की अखंडता पर चोट

हिसुआ (नवादा)। टीएस कालेज हिसुआ में शुक्रवार को राजनीति बिज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रो. अवधेश

By Edited By: Published: Fri, 18 Mar 2016 08:26 PM (IST)Updated: Fri, 18 Mar 2016 08:26 PM (IST)
मौलिक अधिकार की आड़ 
में देश की अखंडता पर चोट

हिसुआ (नवादा)। टीएस कालेज हिसुआ में शुक्रवार को राजनीति बिज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रो. अवधेश कुमार ¨सह की देख-रेख में भारतीय लोकतंत्र एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया। मगध विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. डा. सीताराम ¨सह, विनोबाभावे विश्वविद्यालय के प्रो. डा. एसएन ¨सह, प्राचार्य डा. गणेश शर्मा, प्रो. अवधेश कुमार ¨सह एवं प्रो. डा. अंजनी कुमार ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। मुख्य वक्ता डा. एसएन ¨सह ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार नागरिकों को प्राप्त है। मौलिक अधिकार के तहत भारतीय नागरिकों को समानता एवं स्वतंत्रता का अधिकार मिला है। संविधान में प्रत्येक नागरिकों को स्वतंत्र रूप से अपनी बात रखने का अधिकार मिला हुआ है। लेकिन आज कुछ लोग इस अधिकार का दुरूपयोग कर रहे हैं। इस तुच्छ स्वार्थी एवं राजनीतिक दल मौलिक अधिकार की आड़ में देश की अखंडता को खंडित करने के प्रयास में हैं। अमेरिका, इंगलैंड सहित अन्य लोकतांत्रिक देश में मौलिक अधिकार की प्रस्तावना बाद में ली गई। भारतीय लोकतंत्र एवं स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति के कारण यदि भारत की अस्मिता खतरे में पड़ती है तो उसका बचाव सर्वोच्च न्यायालय करता है। भारतीय संविधान की अनुसूची पृष्ठ 19 में प्रत्येक नागरिकों का कर्तव्य बनता है कि राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ दोस्ताना संबन्द्ध, लोक व्यवस्था, शिष्टाचार्य एवं सदाचार्य, न्यायिक अवमानना, मानहानी, अपराध उद्दोपन्न एवं भारत की संप्रभूता एवं अखंडता की रक्षा करना है। समय समय पर इसकी रक्षा की कसौटीयों का निर्धारण सर्वोच्च न्यायालय द्वारा किया जाता है। उन्होंने कहा कि जब न्यायपालिका को ऐसा लगता है कि विधायका द्वारा किए गए कार्यों से देश की अखंडता खतरे में पड सकती है तो न्यायपालिका उसमें हस्तक्षेप करता है। उन्होंने कहा कि हैदराबाद विश्वविद्यालय में रोहित बेमुला की आत्महत्या एवं जेएनयू में कन्हैया कुमार एवं उनके साथियों द्वारा भारत की अखंडता पर जो कुठाराघात किया है, वह स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति का दुरूपयोग है। स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति का उपयोग सदा सदुपयोग एवं देश के हीत में हो, न की लोकतंत्र की बुराइयों में हो। सेमिनार में अपना विचार रखते हुए मगध विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा. सीताराम ¨सह ने कहा कि व्यक्ति की स्वतंत्रता का नकारात्मक सोच एवं सकारात्मक सोच दो पहलू हैं। चाहे वह जेएनयू का मामला हो या हैदराबाद विश्वविद्यालय का, यह नकारात्मक सोच का परिणाम है। आज हिन्द देश के निवासी हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान, नेपाल, चीन, बांग्लादेश आतंकवादी साये में जी रहा है। देश की अखंडता पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। मौके पर कई लोग उपस्थित थे।

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