मौसम की बेरूखी से किसान परेशान, घट सकता है खेती का दायरा
नवादा। मौसम की बेरूखी से किसान परेशान हैं। ऐसे में धान की खेती पर प्रतिकूल असर पड़ सकता ह
नवादा। मौसम की बेरूखी से किसान परेशान हैं। ऐसे में धान की खेती पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। भदई की आश तो लगभग समाप्त हो ही चुकी है, धान पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। आम तौर पर जिले के किसान रोहिणी नक्षत्र में ही धान के बिचड़े गिराने का काम करते थे। इस वर्ष खेतों में नमी के अभाव में धान के बिचड़े गिराना तो दूर खेतों की जोताई तक नहीं हो सकी है। वैसे बिचड़ा गिराने का समय 30 जून तक माना जाता है, लेकिन अबतक जिले में कृषि आरंभ होने के लायक बारिश नहीं होने व जून के समाप्त होने में मात्र ग्यारह दिन शेष रहने से अपेक्षित मात्रा में धान के बिचड़े डाले जा सकेंगे इसमें संदेह है। पिर खेती का दायरा घटने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। वैसे कृषि विभाग ने अबतक जिले में 05 प्रतिशत खेतों में बिचड़े डाले जाने का दावा किया है जबकि गतवर्ष अबतक 40 प्रतिशत खेतों में धान के बिचड़े गिराए जा चुके थे। मक्का व भदई की आशा समाप्त
- जिले में लगाए जाने वाले मक्का के साथ भदई फसलों में मड़ुआ, उड़द के साथ सनई जैसी फसलों की आशा लगभग समाप्त हो चुकी है। आम तौर पर किसान इन फसलों को काटने के बाद खेतों में पुन: धान की रोपाई किया करते थे। इससे उन्हें दोगुना लाभ प्राप्त होता था। इन फसलों को लगाने की समय सीमा समाप्त होने को है और अबतक इन फसलों के बीज तक खेतों में नहीं डाले जा सके हैं। ऐसे में भदई फसलों की आश समाप्त हो चुकी है।
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अबतक नहीं हुआ मानसून का आगमन
- आमतौर पर जिले में 10 से 15 जून तक मॉनसून की बारिश आरंभ हो जाती थी। इसके पूर्व प्री मॉनसून की बारिश होने से किसान खेतों की जोताई पूर्व में ही कर लिया करते थे। इस वर्ष प्री मॉनसून की बारिश तो हुई ही नहीं अब मॉनसून की बारिश पर भी आफत है। जून अठारह दिन समाप्त हो गया। आकाश से पानी के बजाय आग के गोले बरस रहे हैं, जिससे किसानों का कलेजा फट रहा है। अभी ºेतों में भदई के साथ धान के बिचडे लगने थे लेकिन किसान बारिश की आश में हाथ पर हाथ धरे बैठे आकाश में रह रहकर छा रहे बादलों की ओर देख रहे हैं। आवश्यकता झमाझम बारिश की है, लेकिन कहीं कहीं बूंदाबांदी होकर रह जा रही है। जिससे किसी प्रकार का कार्य हो नहीं सकता। जिले की कृषि वर्षा पर आधारित है और वर्षा है कि धरती पर उतरने का नाम ही नहीं ले रही है। 85 हजार हेक्टेयर में धान आच्छादन का लक्ष्य
- जिले में 85 हजार हेक्टेयर भूमि में कृषि विभाग ने धान उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है। इनमें 1527 एकड़ में श्री विधि से धान आच्छादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसमें तनावरोधी धान के लिए 1204 एकड़, पैडी ट्रांसप्लांट के लिए 580 एकड़ धान आच्छादन का लक्ष्य निर्धारित है। वैसे धान के कई ऐसे किस्म बाजार में आ चुके हैं जो 80 से 100 दिनों में तैयार हो जाते हैं। बावजूद बिचड़ा डालने का समय 30 जून रहने से बिचड़ा डाले भी जा सकेंगें इसमें संदेह है। भूजल स्तर में लगातार हो रही गिरावट तथा इसके 60 फीट तक नीचे चले जाने से बो¨रग पंपों के सहारे खेती करना भी समस्या उत्पन्न कर रहा है। ऐसे में संपन्न किसान भी बिचड़ा डालने से परहेज कर रहे हैं।
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कहते हैं पदाधिकारी
- इस वर्ष मॉनसून के समय पर आने से कृषि कार्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। बावजूद अभी 30 जून तक बिचड़ा डालने का समय है। ऐसे मे अगर बारिश हुई तो धान आच्छादन का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।
सुनील कुमार, जिला कृषि पदाधिकारी, नवादा।