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लगातार अतिक्रमण से सिकुड़ गई है पचवारा गांव की पोखर

करीब आठ दशक पूर्व जमींदार बद्री नारायण लाल के समय सिचाई के लिए खोदवाया गया वारिसलीगंज प्रखंड के सौर पंचायत की पंचवारा सरकारी पोखर इन दिनों बदहाल है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 26 Aug 2019 12:24 AM (IST)Updated: Mon, 26 Aug 2019 06:45 AM (IST)
लगातार अतिक्रमण से सिकुड़ गई है पचवारा गांव की पोखर
लगातार अतिक्रमण से सिकुड़ गई है पचवारा गांव की पोखर

करीब आठ दशक पूर्व जमींदार बद्री नारायण लाल के समय सिचाई के लिए खोदवाया गया वारिसलीगंज प्रखंड के सौर पंचायत की पंचवारा सरकारी पोखर इन दिनों बदहाल है। करीब तीन एकड़ भूभाग में फैला पोखर धीरे-धीरे सिकुड़ कर मात्र एकबीघा रह गई है। समय रहते अतिक्रमण हटवाकर जीर्णाद्धार नहीं हुआ तो आने वाली पीढ़ी को पोखर का अस्तित्व भी देखने को नहीं मिल सकेगा। राजापुर सौर से दक्षिण और पंचवारा गांव से पश्चिचम बधार स्थित श्मशान के बगल में अवस्थित पोखर किसी उद्धारक की बांट जोह रही है। ग्रामीणों ने पोखर में पानी नहीं होने के कारण फसलों को होने वाला नुकसान को गिनाया। राजापुर समेत अन्य लाभुक गांव के बुद्धिजीवियों ने पोखर की साफ सफाई कार्य के लिए सरकारी अधिकारियों से संपर्क करने की योजना बनाई। किसानों के अनुसार उक्त पोखर से पंचवारा, राजापुर, सौर, दौलतपुर सहित अन्य कई गांवों के किसानों की सैकड़ों एकड़ खेतों की हरियाली पोखर में जमा जल से होता था। जिसमें अब बरसात में भी समुचित जल का जमाव नहीं हो पाता है। वजह पोखर में धीरे धीरे गाद बढ़ते गई और किनारों का अतिक्रमण बगल के किसानों द्वारा कर लिया गया है। इस बावत सौर ग्रामीण सह पूर्व मुखिया अक्षय कुमार उर्फ गोरेलाल सिंह बताते हैं कि पोखर में गाद भर गया है। यहां तक जिस श्रोत से पानी पहुंचता था उसे भी मिटा दिया गया। ऐसे में तालाब जमींदोज हो गया है।

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क्या कहते हैं किसान-

- सौर गांव निवासी पूर्व मुखिया गोरेलाल सिंह कहते हैं कि अगर पोखर का जीर्णोद्धार हो जाए तो गर्मी के दिनों में भी पंचवारा, सौर राजापुर आदि गांव के किसान गर्मा मूंग, सब्जी आदि लगाकर आत्म निर्भर हो सकेंगे।

अक्षय कुमार उर्फ गोरेलाल सिंह, सौर। फोटो-32

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- जब पोखर में पानी होता था तब मवेशियों को नहलाने और सब्जी का सिचाई करने का प्रमुख साधन हुआ करता था। पोखर का जीर्णोद्धार के लिए गांव में जागरूकता अभियान चलाने का संकल्प लिया।

बाल्मिकी तिवारी, सौर। फोटो-33

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-पंचवारा पोखर का सबसे ज्यादा लाभ राजापुर गांव के किसानों को मिलता था। गांव की अधिकांश खेती योग्य भूमि तक पोखर की पानी से हरियाली रहती थी। पोखर में जल संचय के लिए लोगों को जागरूक होना होगा।

-उदय सिंह, राजापुर। फोटो-34

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- कभी किसी ने पोखर की सुरक्षा और संरक्षा के प्रति नहीं सोचा। जिस कारण पोखर उपेक्षित है। सरकार मनरेगा या किसी अन्य योजना से पोखर की साफ सफाई के लिए लोगों को आगे आना चाहिए।

-विनेश्वर महतो, सौर। फोटो-35

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अपने अस्तित्व को तलाश रहा अमावां पोखर ़फोटो-27

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राहुल कुमार, रजौली (नवादा) : प्रखंड के अमावां गांव से सटे स्थित पोखर अपना अस्तित्व को तलाश रहा हैं। एक समय था कि इससे दर्जनों गांव के किसानों को खेती करने के लिए भरपूर पानी मिलता था। लेकिन अभी स्थिति यह है कि एक एकड़ खेत का पटवन भी नहीं होता है। इसका मुख्य वजह है कि नदी से आने वाले श्रोतों का अस्तित्व खत्म होना। नदी का पानी इस पोखर तक नहीं पहुंच पाता है और इतना पर्याप्त मात्रा में बारिश नहीं होती है कि पोखर भर सके। पोखर का रकबा बहुत बड़ा है। ग्रामीण बताते हैं कि इस पोखर में पैन के माध्यम से धनार्जय नदी से पानी आती थी। लेकिन अब स्थिति चिताजनक है। कई जगह पर तो पैन का कोई अस्तित्व ही नहीं है। पोखर में भी काफी मिट्टी भर चुका है। कुछ लोग तो अब इसमें खेती करना शुरू कर दिए हैं क्योंकि पानी नहीं रहने के कारण पोखर के ऊपरी हिस्से की भूमि पूरे खेत की तरह हो गया है। पोखर का जिर्णोद्धार नहीं किया तो कुछ दिनों में इसका अस्तित्व खत्म हो जाएगा।

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क्या कहते हैं ग्रामीण

-एक समय था जब इस पोखर में लबालब पानी भरा हुआ रहता था और किसान के चेहरे पर खुशी होती थी। आज ऐसी स्थिति नहीं है।

शिवालय यादव। फोटो- 28

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-पोखर तक नदी से आने वाला पइन का अस्तित्व खत्म हो गया है, इसी वजह से पोखर में पानी नहीं जमा हो पाता है। जो काफी चिता का विषय है।

उमेश यादव। फोटो- 29

उमेश यादव

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-कुछ लोग पइन की जमीन का भी अतिक्रमण कर चुके हैं। इस वजह से नदी से पानी पोखर तक नहीं पहुंच पाता है। पइन की स्थिति भी जीर्ण शीर्ण है।

मो. जुबेर आलम। फोटो- 30


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