जिला परिषद अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव
जिला परिषद की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। जिला परिषद अध्यक्ष पुष्पा देवी और उपा।
नवादा। जिला परिषद की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। जिला परिषद अध्यक्ष पुष्पा देवी और उपाध्यक्ष गीता देवी के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है। जिला परिषद के आठ सदस्यों ने जिला परिषद अध्यक्ष को पत्र सौंप कर अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा और मत विभाजन के लिए निर्धारित अवधि में विशेष बैठक बुलाने की मांग की है। गौरतलब है कि दो महीने के अंतराल में यह दूसरा अवसर पर है जब अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है। हालांकि तब उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया गया था। उस वक्त कई सदस्यों ने अपना पल्ला झाड़ लिया था और अविश्वास प्रस्ताव पर बैठक बुलाने की भी नौबत नहीं आई थी।
जिला परिषद सदस्य प्रेमा चौधरी, धर्मशीला देवी, अनिता कुमारी, मंजू देवी, कांति देवी, अंजनी कुमार, राजेंद्र प्रसाद ¨सह और अशोक यादव ने अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया है। जिसमें आरोप लगाया गया है कि दोनों जिला परिषद के आंतरिक राजस्व को बढ़ाने में रुचि नहीं रखते हैं। करीब छह सौ दुकानों का मासिक किराया प्रत्येक तीन साल पर दस प्रतिशत बढ़ना है, जिसे जिला परिषद की स्थाई समिति, वित्त अंकेक्षण तथा योजना समिति की बैठक में निर्णय करने का प्रावधान है। लेकिन वर्ष 2015 से अब तक बैठक नहीं होने के चलते दुकानों के किराया में वृद्धि नहीं हो सकी। आरोप यह भी है कि बिहार पंचायत राज अधिनियम 2006 के अधीन सामान्य बैठक करने से इनकार किया जाता है। दोनों पर पद का दुरुपयोग करने का भी आरोप है। बैठक पुस्तिका में छेड़छाड़ कर अलग से कुछ बात जोड़ दी जाती है। सदस्यों ने यह भी कहा है कि 20 दिसंबर 17 को दोनों बीच में बैठक छोड़ कर निकल गए, जो अधिनियम के विपरीत आचरण है। जिला परिषद की स्थाई समितियां पंगु हो चुकी हैं। सरकारी वाहन का उपयोग परिवार के सैर सपाटा के लिए किया जाता है।
बता दें कि इसके पूर्व जुलाई माह में छह सदस्यों ने संयुक्त हस्ताक्षर से अविश्वास प्रस्ताव की नोटिस दी थी। जिसमें दो सदस्यों ने गलत तरीके से हस्ताक्षर कराने का आरोप मढ़ अध्यक्ष के प्रति अपनी आस्था जता दी थी। तब अध्यक्ष ने अपेक्षित संख्या बल का अभाव बताते हुए विशेष बैठक बुलाने से इंकार कर दिया था। बाद में जिला पदाधिकारी ने भी नोटिस को अस्वीकृत कर दिया था। अब दोबारा अध्यक्ष के साथ ही उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास की नोटिस दिए जाने के बाद राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है।