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भारतीय संस्कृति में सुख-शांति

मतदाता जागरूकता जन अधिकार मंच के संस्थापक आजाद गीता प्रसाद शर्मा ने कहा है कि भारतीय संस्कृति को अपनाए बगैर जीवन में सुख शांति की कल्पना बेमानी है।

By Edited By: Published: Wed, 30 Nov 2016 02:48 AM (IST)Updated: Wed, 30 Nov 2016 02:48 AM (IST)
भारतीय संस्कृति में सुख-शांति

नवादा। मतदाता जागरूकता जन अधिकार मंच के संस्थापक आजाद गीता प्रसाद शर्मा ने कहा है कि भारतीय संस्कृति को अपनाए बगैर जीवन में सुख शांति की कल्पना बेमानी है। आज के इस वैज्ञानिक युग में सुख शांति के अनेकों साधन मौजूद होने के बावजूद कोई सुखी नहीं है। हर कोई बेचैन है तो ¨नद छिनती जा रही है। रोगों का बढ़ना जारी है। इसके पीछे मुख्य बजह आध्यात्मिक ज्ञान का अभाव व वाह्यआडंवर है। उपरोक्त बातें उन्होंने मंगलवार को बुधौल कार्यालय में बढ़ते सुख-साधनों के बीच घटती खुशी पर आयोजित परिचर्चा को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि जहां आंतरिक ज्ञान हमें सन्मार्ग दिखाकर जीवन की मंजिल तक पहुंचाता है,वहीं वाह्यडंबर दिग्भ्रमित करते हुए आधुनिक सुख साधनों के जाल में उलझाकर भोग एवं ऐश्वर्य के साधनों की अग्रसर करता है। ऐसे में भारतीय संस्कृति रहित सुख-साधन वाले जीवन में कभी खुशी आ नहीं सकती। परिचर्चा को अन्य लोगों के अलावा श्रीकांत ¨सह,अशोक कुमार मालवीय,जगदीश प्रसाद ¨सह,मो. शमा,किशोरी चौहान,अधिवक्ता संजय ¨सह,अनिल कुमार,रामनारयण ¨सह,उपेन्द्र यादव आदि ने संबोधित किया।

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