चूड़ी-लहठी बना समृद्ध हो रहीं मसूदा की महिलाएं
वारिसलीगंज प्रखंड के मसूदा गांव की महिलाएं प्रशिक्षण प्राप्त कर आर्थिक रूप से समृद्ध हो रही हैं। नाबार्ड से प्रशिक्षण मिलते ही उन महिलाओं के सपनों को पंख लग गए।
वारिसलीगंज प्रखंड के मसूदा गांव की महिलाएं प्रशिक्षण प्राप्त कर आर्थिक रूप से समृद्ध हो रही हैं। नाबार्ड से प्रशिक्षण मिलते ही उन महिलाओं के सपनों को पंख लग गए। आर्थिक उपार्जन कर महिलाएं अपनी इच्छा के अनुरूप बच्चों को अच्छे स्कूलों में नामांकन कर पठन पाठन करवा रही हैं। अब उन महिलाओं को छोटे-मोटे खर्च के लिए पति या परिवार के अन्य सदस्यों पर निर्भर नहीं रहना पड़ रहा। वे स्वयं परिवार को आर्थिक मदद देने लगी हैं। घरेलू कार्य निबटाकर मात्र दो से तीन घंटे समूह में बैठ कर चूड़ी-लहठी बना कर प्रतिदिन तीन से चार सौ रुपये कमा ले रही हैं। इन महिलाओं के स्वावलंबन को देख गांव समेत पास के सफीगंज की अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाएं भी समूह से जुड़ने लगी हैं। मसूदा ग्रामीण नई प्रयास संस्था की अध्यक्ष मीना देवी कहती हैं कि कल तक पति और परिवार पर पूर्ण आश्रित महिलाएं नाबार्ड के सहयोग से प्रशिक्षण प्राप्त कर चूड़ी-लहठी बनाने के स्वरोजगार से जुड़कर आर्थिक समृद्धि पा रही हैं। अध्यक्ष नाबार्ड के वर्तमान प्रबंधक गंगेश कुमार के सहयोग की प्रशंसा करते हुए कहती हैं कि महिलाओं को आर्थिक बुलंदी प्रदान करने में सराहनीय सहयोग मिला। मसूदा गांव की कमला देवी तो छह माह पूर्व नाबार्ड द्वारा पटना में आयोजित मेला सह प्रदर्शनी में 10 दिनों तक रहकर अपने हाथों से निर्मित चूड़ी लहठी की बिक्री कर हजारों रुपया मुनाफा कमा चुकी है। साथ ही बड़े बाजार में बिक्री का अनुभव भी प्राप्त किया।
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पड़ोसी जिले से मिल जाता है कच्चा माल
- चूड़ी लहठी निर्माण से जुड़ी मसूदा गांव की शांति देवी, कमला देवी, कारी देवी, समन्वयक चंपा देवी, रीता देवी, सुनीता देवी, रेखा देवी, खुश्बू कुमारी, सोनी कुमारी तथा सफीगंज की सोनी प्रवीण, सकीला प्रवीण, शबनम परवीन आदि ने बताया कि कच्चा माल पड़ोसी जिला गया, नालंदा के बिहारशरीफ तथा सिलाव से मिल जाता है। पूंजी की कमी के चलते बड़े पैमाने पर कच्चा माल खरीदने में काफी परेशानी होती है। एक बार ज्यादा माल खरीदने पर वह थोड़ा सस्ता मिलता, जिससे मुनाफा अधिक होता। बताया गया कि 10-10 दिनों के तीन शिफ्ट में विभिन्न समूहों की कुल 90 महिलाओं ने प्रशिक्षण प्राप्त किया है। जिसमे 83 महिलाएं बैंक से जुड़कर लघु ऋण प्राप्त कर चूड़ी लहठी बनाने का कार्य कर रही है।
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कहां होती है बिक्री
-समूह की महिलाओं द्वारा तैयार माल की बिक्री के लिए नाबार्ड के डीडीएम गंगेश कुमार के सहयोग से वारिसलीगंज प्रखंड कार्यालय परिसर के ट्राइसेम भवन में बनी दुकान को बिक्री के लिए आवंटित करवाया गया है। जबकि किसी भी प्रकार के हाट बाजार और मेला में दुकान लगा समूह की महिलाएं स्व निर्मित चूड़ी लहठी की बिक्री करती हैं। जबकि बाजार के कुछ दुकानदार थोक माल खरीदकर ले जाते हैं। महिलाओं के पास अब भी करीब 10 हजार डिब्बा माल बिक्री के लिए तैयार है। बताया गया कि बैंक अगर पर्याप्त ऋण उपलब्ध करवाए तो कमाई और अधिक होगी।
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पढ़ाई के साथ-साथ काम भी कर रही कुछ छात्राएं
- मसूदा गांव की गरीब परिवार की खुश्बू और सोनी चूड़ी और लहठी बनाकर शेष समय इंटर की पढ़ाई कर रही है। पढ़ाई का खर्च लड़कियां स्वयं कमा लेती हैं।जिससे वे सभी काफी खुश हैं। वह कहती हैं कि अब छोटी जरुरतों के लिए परिवार पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है।
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कहती हैं समूह की महिलाएं
- छह माह का प्रशिक्षण मिलने के बाद जीवन में काफी बदलाव आया है। परिवार पर आर्थिक निर्भरता समाप्त तो हुई ही, अपने बच्चों को अच्छे स्कूलों में पढ़ाई करवा रही हूं।
चंपा देवी, मसूदा, समन्वयक नई प्रयास। फोटो-09
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- बैंक का आंशिक ऋण से पूंजी कम पड़ता है, फलत: निर्माण में मुनाफा कम होता है। हालांकि आर्थिक बदहाली दूर हो गई है। अपने श्रृंगार प्रसाधन के लिए पति पर निर्भर नहीं होना पड़ता है।
शांति देवी, मसूदा। फोटो-10
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- घरेलू काम काज के बाद दो तीन घंटे की मेहनत से आर्थिक संपन्नता मिली है। घर बैठे प्रति दिन 10 डिब्बा चूड़ी लहठी बना लेती हूं, जिससे 3 से 4 सौ रुपया मुनाफा हो जाता है।
श्रीमती देवी, मसूदा। फोटो-11
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- नाबार्ड द्वारा पटना में आयोजित मेले में भाग लेने से बड़े बाजार में बिक्री का अनुभव मिला। साथ ही गांव में बनी चूड़ी को बाजार में पहचान मिली।
कमला देवी, मसूदा। फोटो-12
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- ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक स्वावलम्बी बनाने के लिए एसएचजी निर्माण कर नाबार्ड से प्रशिक्षण दिलवाया गया। बैंक से जोड़ घर बैठे कमाई के लिए रोजगार उपलब्ध करवाने का सिलसिला जारी रखी हूं।
मीना देवी, अध्यक्ष, नई प्रयास संस्था। फोटो-13