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ग्रामीणो का दो-टूक सवाल कब बदलेगी उनके गांव की तकदीर

बिहारशरीफ। चुनाव के समय बड़ी-बड़ी बातें करने वाली पार्टियों को हिलसा के बस्ता गांव स्थित विद्यालय की हालात को देखने की जरुरत है। विद्यालय के जर्जर भवन देखकर विश्वास नहीं होता कि दुनिया को ज्ञान से आलोकित करने वाले जिले के विद्यालयों की हालत ऐसी है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Oct 2020 06:42 PM (IST)Updated: Wed, 21 Oct 2020 05:14 AM (IST)
ग्रामीणो का दो-टूक सवाल कब बदलेगी उनके गांव की तकदीर
ग्रामीणो का दो-टूक सवाल कब बदलेगी उनके गांव की तकदीर

बिहारशरीफ। चुनाव के समय बड़ी-बड़ी बातें करने वाली पार्टियों को हिलसा के बस्ता गांव स्थित विद्यालय की हालात को देखने की जरुरत है। विद्यालय के जर्जर भवन देखकर विश्वास नहीं होता कि दुनिया को ज्ञान से आलोकित करने वाले जिले के विद्यालयों की हालत ऐसी है। विद्यालय की छत कब गिर जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। लेकिन, न तो प्रशासन का इस ओर ध्यान है न सरकारी नुमांइदे इस पर बात करना चाहते हैं। विद्यालय उपेक्षा का ऐसा शिकार बना कि अब केवल बरामदा ही रह गया है। शुक्र मनाएं कि संक्रमण के कारण आठ माह से विद्यालय बंद है। अन्यथा कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकती थी। मालूम हो नारायणपुर पंचायत के बस्ता गांव में बड़ी संख्या में नोनिया जाति के लोग रहते हैं। इस गांव में एक प्राथमिक विद्यालय व एक मध्य विद्यालय है। लेकिन प्राथमिक विद्यालय की हालत जर्जर है। विद्यालय में जाना मौत को दावत देने के समान है। बावजूद लॉकडाउन के पहले अभिभावक अपने बच्चों के जीवन संवारने के लिए उन्हें विद्यालय भेजने को मजबूर थे।

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वोट उसी को जो गांव के विद्यालय का कराएगा पुर्ननिर्माण

विधानसभा का चुनाव 3 नवंबर को होना है। ऐसे में बस्ती में नेताओं का आना-जाना आंरभ हो चुका है। पूर्व के चुनाव की तरह इस बार भी विद्यालय को संवारने तथा बिजली व सड़क को दुरुस्त करने का आश्वासन मिल रहा है। लेकिन इस बार गांव के लोगों का दो-टूक कहना है कि वोट उसे ही मिलेगा जो हमारे गांव के विद्यालय का पुर्ननिर्माण करा पाएगा। इसी क्रम में मंगलवार की सुबह कृष्ण मुरारी शरण उर्फ प्रेम मुखिया नामक प्रत्याशी गांव पहुंचे। उनके गांव पहुंचते ही दर्जनों महिला-पुरुष इक्कठे हो गए। उन्हें खरी-खोटी सुनाते हुए कहा कि इसके पूर्व विधानसभा के चुनाव में आए नेता तो चुनाव जीत गए लेकिन किसी ने वादा नहीं निभाया। ग्रामीणों ने सीधे शब्दों में कहा कि अब वोट उसे ही मिलेगा जो विद्यालय का पुर्ननिर्माण करा पाएगा। फिलहाल इस गांव में जो भी प्रत्याशी पहुंचते हैं उन्हें ग्रामीणों के कोपभाजन का शिकार होना पड़ता है। लोग पूछने को विवश हैं कि कब बदलेगी उनके गांव की तस्वीर। क्योंकि गांव में न तो सड़क है न बिजली का उत्तम प्रबंध।


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