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ह्वेनसांग के बताए मार्ग पर चलने से भारत-चीन के बीच और घनिष्ट होगा संबंध

नालंदा। प्रसिद्ध चीनी बौद्ध भिक्षु ह्वेनसांग का 1352वां परिनिर्माण दिवस नव नालंदा महाविहार नालंदा द्वा

By Edited By: Published: Sat, 19 Mar 2016 08:32 PM (IST)Updated: Sat, 19 Mar 2016 08:32 PM (IST)
ह्वेनसांग के बताए मार्ग पर चलने से भारत-चीन के बीच और घनिष्ट होगा संबंध

नालंदा। प्रसिद्ध चीनी बौद्ध भिक्षु ह्वेनसांग का 1352वां परिनिर्माण दिवस नव नालंदा महाविहार नालंदा द्वारा शनिवार को मनाया गया। इस अवसर पर चीन के नामी-गिरामी इंजीनियर, वैज्ञानिक, उद्योगपति, व्यापारी, एकेडमिक इत्यादी क्षेत्र के 275 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल शामिल हुए।

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इस समारोह का मुख्य उद्देश्य ह्वेनसांग के कार्यकलापों से वर्तमान पीढ़ी को अवगत कराना। समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि बौद्ध भिक्षु जी जींग सीचुन ने कहा कि आज के परिवेश में भगवान बुद्ध के बताए रास्ते पर चलने की आवश्यकता है, तभी दुनिया में शांति और भाईचारा कायम होगी। चीन एवं भारत के बीच संबंध और घनिष्ट होगा। उन्होंने कहा कि ह्वेनसांग चीन के धरती का लाल था। उसने चीन से नालंदा आकर एक इतिहास रचा था। आज दार्शनिकों के लिए वह ध्रुवतारा के तरह चमक रहा है। सदियों पूर्व जन्मे ह्वेनसांग को लोग भूलते जा रहे हैं। उनके जैसे ²ढ़इच्छा के व्यक्तित्व से आज के पीढ़ी को अवगत कराना जरूरी है। उन्होंने कहा कि चीन के संस्थाओं और नव नालंदा महाविहार के बीच दोस्ती और प्रागाढ़ होंगे। समारोह को संबोधित करते हुए मगध विश्वविद्यालय के कुलपति डा. मो. इस्तियाक ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन करने के लिए नव नालंदा महाविहार को बधाई देता हूं। इस तरह के कार्यक्रम से चीन और भारत के बीच संबंध को और मजबूती मिलेगी और दोनों देश के युवा पीढ़ी एक नए इतिहास का निर्माण करेगी। नव नालंदा महाविहार के निदेशक डा. रविन्द्र पंत ने ह्वेनसांग पर रोशनी डालते हुए कहा कि ह्वेनसांग मेमोरियल हाल बनाने के पीछे देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और चाउ एन लाई का यही सपना था कि दोनों देश सांस्कृतिक एवं धार्मिक रूप से एक-दूसरे के करीब आएं। भगवान बुद्ध का अस्थि चाउ एन लाई ने महाविहार के तत्कालीन निदेशक भिक्षु जगदीश कश्यप को सौंपा था। इस अवसर पर विपसना के विद्वान एसएस तापड़िया ने 10 मिनट का अनापना करवाया तथा उन्होंने कहा कि विद्वान कश्यप, मतंग, अमोध ब्रज, परमाथ, व्रजबोधि, बुद्धजंग, कुमार जीव इन सभी ने बुद्ध से प्रेरीत होकर ह्वेनसांग भारत आया था। समारोह की शुरुआत बौद्ध भिक्षुओं के मंगलपाठ से किया गया। इस अवसर पर प्रो. डा. यू. कुण्डला, डा. अरुण कुमार, डा. आरके राणा, दीपक आनन्द, रजिस्ट्रार सुनील कुमार सिन्हा सहित महाविहार के सभी प्रोफेसर छात्र उपस्थित थे।


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