भारी बारिश अलर्ट से प्रशासन हुआ गंभीर
नालंदा। सूबे में भारी बारिश की संभावना को देखते हुए जिला प्रशासन पहले ही सचेत हो गया है। ब
नालंदा। सूबे में भारी बारिश की संभावना को देखते हुए जिला प्रशासन पहले ही सचेत हो गया है। बाढ़ प्रभावित इलाकों को चिह्नित कर वहां के पंचायतों में तैनात ग्राम सेवक को पल-पल की खबर रखने और उससे जिला प्रशासन को अवगत कराने का निर्देश दिया गया है। वहीं आपदा प्रबंधन विभाग तथा जल प्रबंधन विभाग को सचेत रहने को कहा गया है। इस संबंध में जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन एसएम ने बताया कि बाढ़ की संभावना को देखते हुए जिले के सभी प्रखंडों के बीडीओ व अंचलाधिकारी की छुट्टी रद कर दी गई है। उन्हें निर्देश दिया गया है कि वे अगले आदेश तक मुख्यालय में रहें। वहीं से नदियों की स्थित पर पैनी नजर रखने और उसकी पल-पल की खबर आपदा प्रबंधन विभाग को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है।
-----------------------
क्यूं है नालंदा में बाढ़ की स्थिति
नालंदा जिले में नदियों को जोड़ने का काम अभी तक शुरू नहीं किया गया है। प्रत्येक वर्ष बरसात में बाढ़ की विभीषका झेलने वाले नालंदा, नवादा, पटना, शेखपुरा, लखीसराय व जमुई पहाड़ी बरसाती 11 नदियों को आपस में जोड़ने का काम प्रशासनिक स्तर से नहीं हुआ। वहीं सरकार के स्तर से भी कोई ठोस योजना अभी तक बन पाई है।
------------------------
जिले के 72 पंचायत होते प्रभावित
जिले के 72 पंचायत बाढ़ या थोड़़ी पानी या मामूली जल-जमाव से प्रभावित हो जाते हैं। पिछले वर्ष आई बाढ़ ने रहुई प्रखंड के इमामगंज, अंबा, दोसुत, पैठना, सुपासंग, बरांदी, सोसंदी, को बुरी तरह प्रभावित किया है। वहीं बिहारशरीफ प्रखंड के तेतरावां, सरबहदी, ¨सगथु, परोह, हरगावां, वियवानी, सलेमपुर, पलटपुरा के अलावा शहरी क्षेत्र के सोहसराय, आशा नगर व सोहडीह को प्रभावित किया था। इसके अतिरिक्त अस्थावां प्रखंड के नेरुत, जीयर, ओंदा, अस्थावां, भगवानपुर व दामोदरपुर पंचायत की फसलों को नुकसान पहुंचाया था। इसके अलावा हिलसा तथा करायपरसुराय प्रखंड के अधिकांश इलाके बाढ़ से प्रभावित थे।
----------------------
ये नदियां बरपाती कहर
जिले में बहने वाली लगभग एक दर्जन से उपर नदियां बरसात के मौसम में जिले में बाढ़ की कहर प्रत्येक वर्ष बरपाती हैं। जिसमें सबसे ज्यादा जन-धन का नुकसान पंचाने, जीराईन, गोईठवा, सकरी, लोकाईन आदि नदियां बरपाती हैं बाढ़ की कहर। इन नदियों का पानी का मुकम्मल निकास नहीं होने से बाढ़ आने की स्थित में कई दिनों तक पानी घटने का नाम नहीं लेता है।