पीएचसी में 4.30 घंटे बिना इलाज छटपटा कर मर गई सुनीता
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के बाहर हंगामा करते परिजन नूरसराय प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में रविवार की सुबह नूरसराय प्रखण्ड के चरुईपर पंचायत चरुईपर बेलदारी गॉव के छोटन जमादार की 26 वर्षीय पत्नी सुनीता देवी की मौत प्रसव में डॉ व नर्स की लापरवाही के कारण हो गई ग्रामीण ने लापरवाही के कारण जमकर हंगामा किया घटना की सूचना मिलते ही नूरसराय के आरक्षी निरीक्षक सैयद थानाध्यक्ष अभय कुमार घटना स्थल पर पहुँच मामला को शांत करने की कोशिश कर रहे थे।
नूरसराय : नूरसराय प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में प्रसव के लिए लाई गई महिला की समय पर चिकित्सा नहीं होने के कारण मौत हो गई। महिला के गर्भ में अजन्मे शिशु ने भी छटपटाकर दम तोड़ दिया। घटना रविवार सुबह की है। पीएचसी की व्यवस्था से निराश महिला का पति उसे टेम्पो पर लादकर बिहारशरीफ के लिए चला ही था कि अस्पताल से कुछ फर्लांग आगे महिला की मौत हो गई। तब वह बदहवासी में पत्नी का शव लेकर अस्पताल लौटा और चिकित्सक व नर्स पर लापरवाही का आरोप लगा फफक कर रोने लगा। इस बीच मृतका के परिजन भी जुट गए और दोषियों पर तत्काल कार्रवाई व मुआवजे की मांग करने लगे। हंगामा करीब दो-ढाई घंटे चला। इस दौरान पीएचसी की पूरी व्यवस्था ठप रही। खबर मिलते नूरसराय इंस्पेक्टर व थानाध्यक्ष कुछ पंचायत प्रतिनिधियों के साथ अस्पताल पहुंचे और मृतका के नाराज परिजनों को समझा-बुझाकर शांत किया। मृतका नूरसराय प्रखंड के चरुईपर बेलदारी गांव के छोटन जमादार की 26 वर्षीया पत्नी सुनीता देवी थी।
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प्रसव पीड़ा से छटपटाती रही महिला, 4.30 घंटे तक नहीं किया इलाज
मृतका के पति छोटन ने बताया कि प्रसव पीड़ा होने पर शनिवार की देर रात 2 बजे वह पत्नी को लेकर पीएचसी पहुंचा था। अस्पताल में कई नर्स थीं, सभी आराम फरमा रही थी। आरजू-मिन्नत करने पर भी कोई इलाज करने के लिए नहीं उठी। सभी एक-दूसरे पर टालती रही। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी के कमरे में भी ताला जड़ा था। वह बदहवास होकर इधर-उधर भटकता रहा। उधर, पत्नी दर्द से बेचैन थी, लगातार ब्लीडिग हो रही थी। जब पत्नी दर्द से चीखने लगी तो नर्स ने इलाज के बदले पैसे की मांग कर दी। छोटन ने कहा कि उसके पास पैसे नहीं हैं। वह मरीज को सदर अस्पताल रेफर कर दे। इस पर नर्स ने जवाब दिया कि सुबह में डॉक्टर आएंगे तो रेफर करेंगे। इस चक्कर में सुबह के 6.30 बज गए। तब तक प्रसूता की हालत बिगड़ चुकी थी। इसके बाद एक डाक्टर आए तो नर्स ने उनके कहने पर प्रसूता को इंजेक्शन दिया और हालत नाजुक देख सदर अस्पताल रेफर कर दिया।
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सदर अस्पताल रेफर किया पर नहीं दिया एम्बुलेंस
चिकित्साकर्मियों की लापरवाही इतने पर खत्म नहीं हुई। 4.30 घंटे तक बिना इलाज के नाजुक हालत में पहुंच चुकी प्रसूता को बिहारशरीफ सदर अस्पताल रेफर तो किया परंतु जाने के लिए एम्बुलेंस मुहैया नहीं कराया। बताया गया कि एम्बुलेंस किसी दूसरे मरीज को लाने भेजी गई है। विवश छोटन जमादार ने टेम्पो पर प्रसव पीड़ा से पस्त हो चुकी पत्नी सुनीता को लादा और बिहारशरीफ के लिए चल पड़ा। जैसे ही टेम्पो अस्पताल से कुछ फर्लांग दूर आगे बढ़ा सुनीता का सिर पति के कंधे पर लुढ़क गया। उसके प्राण-पखेरू उड़ चुके थे। बदहवासी में छोटन पत्नी का शव लेकर पीएचसी लौटा और फूट-फूट कर रोते हुए सिस्टम पर अपनी भड़ास निकाली।
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ड्रेसर को छुट्टी का आवेदन देकर पटना थे प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी
नूरसराय पीएचसी के ध्वस्त हो चुके सिस्टम की बानगी देखिये कि नर्स प्रसव से कराह रही महिला का इलाज नहीं करती। रात में ड्यूटी पर कथित तौर पर तैनात चिकित्सक सोये रहते हैं। उन्हें महिला के इलाज के लिए जगाने की जरूरत भी नहीं समझी जाती। पूछने पर यहां 2 साल से प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी इन्द्रदीप नारायण चौधरी कहते हैं कि उनकी तबीयत खराब है और पटना में इलाज करा रहे हैं। बताया, छुट्टी का आवेदन अस्पताल के ड्रेसर महेश चौधरी को दे दिया है। उसने सिविल सर्जन को मेल कर दिया होगा। वहीं महेश ने कहा कि उसने आवेदन सिविल सर्जन को मेल कर दिया है। इधर, सिविल सर्जन ने प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी के छुट्टी पर होने की जानकारी से इंकार किया है।
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डॉ. ओमप्रकाश ने कहा- ड्यूटी पर था, नर्स ने नहीं बताया
अब जरा नूरसराय पीएचसी में नाइट ड्यूटी पर तैनात डॉ ओमप्रकाश की सुनिये। उन्होंने कहा कि वे रात में पीएचसी में ही थे कितु किसी नर्स ने उन्हें प्रसूता की हालत खराब होने के बारे में बताया तक नहीं। ऐसे में सवाल उठता है कि ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर पीएचसी में कहां थे कि उनके कानों तक रात के सन्नाटे में महिला की प्रसव पीड़ा की कराह नहीं पहुंची। उसका पति बदहवास अस्पताल में चक्कर काटता रह गया, पर वे उसे क्यों नहीं नजर आए। स्वभाविक है, वे किसी कमरे में गहरी नींद में रहे होंगे।
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चढ़ावे के बाद मिलती है रात की ड्यूटी, ताकि हो सके मरीजों से कमाई
अस्पताल के एक कर्मी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि यहां प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को रात में ड्यूटी के लिए नर्सें चढ़ावा देती हैं, ताकि रात में लाचारी में आए मरीजों के परिजनों से वसूली करके कमाई कर सकें। एक और कड़वा सच बताया कि अस्पताल की नर्सों को मरहम-पट्टी के अलावा कुछ नहीं आता। चाहे तो कोई भी अधिकारी इसकी प्रैक्टिकल जांच करा ले। कई नर्सें तो मरीज की जानकारी रजिस्टर में दर्ज करने के काबिल भी नहीं हैं। बताया कि सरकार अस्पताल में प्रसव को बढ़ावा देने के लिए जच्चा के खाते में 1400 रुपए की प्रोत्साहन राशि जमा कराती है। नर्सों व आशा कार्यकर्ताओं की नजर इसी रकम के बदले कुछ नकद वसूलने पर होती है। येन-केन-प्रकारेण ये लोग प्रसूता के परिजनों से यह रकम ऐंठ ही लेती हैं। औसतन, हर रात पांच से छह प्रसव के मामले पीएचसी में आते हैं। इस हिसाब से रात की काली कमाई और ड्यूटी के लिए रिश्वतखोरी का सहज अनुमान लगाया जा सकता है।
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चुनाव को लेकर रद्द हैं छुट्टियां, होगी दोषी पर कार्रवाई : बीडीओ
नूरसराय बीडीओ राहुल कुमार ने कहा कि पीएचसी में इलाज के अभाव में प्रसूता की मौत के मामले की जांच करेंगे। रात में ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर व नर्सों पर कार्रवाई की अनुशंसा की जाएगी। पीएचसी प्रभारी के छुट्टी पर रहने के सवाल पर बीडीओ ने बताया कि चुनाव को लेकर सभी की छुट्टियां रद्द हैं। किन्हीं विषम परिस्थितियों में डीएम के आदेश से ही अपना मुख्यालय छोड़ना है। बहरहाल, पीएचसी प्रभारी के छुट्टी लेने का तौर-तरीका भी जांच का विषय है।
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जो सही लगे वह लिखिए, मुझे कुछ नहीं पता : सिविल सर्जन
पीएचसी में इलाज के अभाव में महिला की मौत के सवाल पर सिविल सर्जन परमानंद चौधरी अनमयस्क दिखे। कहा, वह दो दिन पहले ही आए हैं, उनको नूरसराय पीएचसी के प्रभारी की छुट्टी के आवेदन बारे में जानकारी नहीं है। वहीं मौत और उसके बाद हुए बवाल की भी सूचना नहीं है। कहा, आपको जो सही लगे लिखिए। वैसे मामले का पता करके जांच करवाई जाएगी। अगर किसी का दोष साबित हुआ तो कार्रवाई करेंगे।