संकल्प तिलक लगाकर चरणबद्ध आंदोलन का किया आगाज
नालंदा । महाभारत काल खंड इतिहास के महत्वपूर्ण स्थलों में शुमार अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन नगरी राजगीर स्थ
नालंदा । महाभारत काल खंड इतिहास के महत्वपूर्ण स्थलों में शुमार अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन नगरी राजगीर स्थित मगध सम्राट जरासंध अखाड़े के विकास के लिए चंद्रवंशियों ने रविवार को जरासंध अखाड़ा परिसर के मिट्टी से संकल्प तिलक लगाकर चरणबद्ध आंदोलन का आगाज किया। राष्ट्रीय जरासन्ध अखाड़ा परिषद के बैनर तले आयोजित संकल्प सम्मेलन में देश भर से हजारों की संख्या में जुटे प्रतिनिधियों ने एक डंडा एक झंडा हमारा है। जरासंध अखाड़ा हमारा है के नारे के साथ चंद्रवंशियों ने देशव्यापी मुहिम छेड़ी। सम्मेलन की अध्यक्षता परिषद के उपसंयोजक सह राजगीर डोली यूनियन के अध्यक्ष बुलबुल कुमार चंद्रवंशी ने की। सम्मेलन के आयोजक सह संयोजक मिलन ¨सह चन्द्रवंशी ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि मगध इतिहास के पन्नो में प्राचीन राजगीर के ऐतिहासिक परिदृश्य पर अगर गौर फरमाएं। तो यहां का कण-कण मगध सम्राट जरासन्ध के महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है। लेकिन कालांतर से लेकर वर्तमान तक जरासन्ध से जुड़ी हरेक ऐतिहासिक धरोहर घोर उपेक्षा का शिकार है। उन्होंने कहा कि एक समय था जब जरासन्ध अखाड़े की मिट्टी के तिलक और पूजा के उपरांत ही कोई शुभ कार्य का शुभारंभ किया जाता था । परिषद के प्रमुख नंदकिशोर प्रसाद चंद्रवंशी ने कहा कि इस संकल्प सम्मेलन के माध्यम से सभी ने शपथ ली। कि इसके विकास के कार्य को अंजाम तक पहुंचा कर ही दम लेना है। सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे राजगीर डोली यूनियन अध्यक्ष बुलबुल कुमार चंद्रवंशी ने कहा कि सम्राट जरासंध सुबह शाम दूध से अखाड़े को पटाया व द्वंद प्रतियोगिता में अपने प्रतिद्वंद्वी को धूल चटाया करते थे।इस कारण किसी जमाने में जरासंध अखाड़ा की मिट्टी सफेद हुआ करती थी। जिसका तिलक माथे पर लगाने व द्वंद अथवा दंगल में प्रतियोगिता में शरीक होने से पहले पहलवान इस अखाड़े में पहुंचते थे। मगर वर्तमान में इस अखाड़े की दुर्दशा ने इसे लुप्तप्राय की श्रेणी में ला खड़ा कर दिया है। अखिल भारतीय चंद्रवंशी महासभा के प्रदेश संगठन मंत्री श्याम किशोर भारती ने कहा कि मगध सम्राट जरासंध अखाड़ा के ऐतिहासिक महत्व और प्राचीनता की अनदेखी सरकार द्वारा की जा रही है। उन्होंने कहा कि मगध के प्राचीन इतिहास में इस साम्राज्य के उत्कर्ष में सम्राट जरासंध का अद्वितीय योगदान रहा है। इस क्रम में सत्येन्द्र कुमार चंद्रवंशी, विनोद कुमार, जे पी चंद्रवंशी, अमित कुमार, आलोक कुमार, सनोज कुमार, जीवनलाल चंद्रवंशी आदि सहित अन्य राज्यों व जिलों से आए परिषद के प्रतिनिधियों ने अपनी राय प्रकट की।वहीं इससे पूर्व हजारों की संख्या में देश भर से पहुंचे परिषद के महिला पुरुष प्रतिनिधियों ने जरासंध अखाड़ा परिसर से लेकर सोन भंडार तक कई किलोमीटर लंबी मानव श्रृंखला का निर्माण किया।