निजी ट्यूटर का बेटा बना एसडीएम
निजी ट्यूशन से जीविकोपार्जन करने वाले अरविद प्रसाद सिंह और गृहिणी रंजू देवी के पुत्र राजीव रंजन सिन्हा एसडीएम बन गये हैं। राजीव के इस सफलता से न सिर्फ उनके माता- पिता का सिर गर्व से ऊंचा हुआ है बल्कि इन्होंने नालन्दा जिला को गौरवान्वित किया है। इंजीनियर राजीव रंजन सिन्हा बिहारशरीफ के छोटी पहाड़ी मंसूर नगर निवासी हैं।
बिहारशरीफ : निजी ट्यूशन से जीविकोपार्जन करने वाले अरविद प्रसाद सिंह और गृहिणी रंजू देवी के पुत्र राजीव रंजन सिन्हा एसडीएम बन गये हैं। राजीव के इस सफलता से न सिर्फ उनके माता- पिता का सिर गर्व से ऊंचा हुआ है, बल्कि इन्होंने नालन्दा जिला को गौरवान्वित किया है। इंजीनियर राजीव रंजन सिन्हा बिहारशरीफ के छोटी पहाड़ी मंसूर नगर निवासी हैं। उन्होंने बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित 63 वीं परीक्षा में अपने पहले प्रयास में ही 28 वां रैंक लाकर बड़ी उपलब्धि हासिल की है। इन्हें बिहार प्रशासनिक सेवा में अनुमंडल पदाधिकारी के लिए चयनित किया गया है। 28 वर्षीय अविवाहित श्री सिन्हा इन दिनों दिल्ली में भारतीय बौद्धिक संपदा (आईपीओ) कार्यालय में बतौर जांच अधिकारी पदस्थापित हैं। इससे पहले भी उन्होंने मिलिट्री इंजीनियरिग सेवा में रह चुके थे। राजीव रंजन की इंटरमीडिएट स्तर तक की पढ़ाई बिहारशरीफ में ही हुई। वर्ष 2005 में उन्होंने सहोखर उच्च विद्यालय से मैट्रिक की परीक्षा पास की। स्थानीय केएसटी कॉलेज से इंटरमीडिएट उतीर्ण कर इंजीनियरिग का रुख किया। उन्होंने मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्विद्यालय (आरजीपीवी) से मेैकेनिकल इंजीनियरिग में बी.टेक. किया। इसके बाद इनका चयन मिलिट्री इंजीनियरिग सेवा (एमईएस)में बतौर जूनियर इंजीनियर हुआ था। दो वर्ष एमईएस में सेवा देने के बाद वर्ष 2016 में इनका चयन इंडियन पेटेंट ऑफिस नई दिल्ली के लिए ही गया। वर्तमान में यहीं सेवा दे रहे हैं। इनका सपना संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा पास कर भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाने का है। वे कहते हैं, उधर कोशिश होती रहेगी। इधर बतौर एसडीएम बिहार में नि:स्वार्थ भाव से सेवा लोगों की प्रशासनिक सेवा करता रहूंगा। राजीव का मानना है कि अपने आप पर भरोसा रखकर कठिन परिश्रम करने वाले हर हाल में सफल होते हैं। यही इनके सफलता का मूलमंत्र रहा। अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता को देते हुए राजीव रंजन ने दैनिक जागरण को बताया कि श्रीमछ्वागवत गीता का कर्म सिद्धान्त ने मुझे बहुत प्रेरित किया। मेरे पेरेंट्स ने मुझे इसी सिद्धान्त पर चल कर्म करते रहने को हमेशा प्रेरित किया। परंपरागत खाना बनाने पुस्तकें पढ़ने में रुचि रखने वाले श्री सिन्हा का मानना है कि सिविल सर्विस परीक्षा के लिए बड़े शहर और बड़े कोचिग संस्थान की अब उतनी भूमिका नहीं रही। जमाना इंटरनेट का है जो भी सामग्री या मार्गदर्शन चाहिए वो ऑनलाइन उपलब्ध है। वे कहते हैं गांव में रहकर परिश्रम करनेवाला भी सिविल सेवा में आ सकते हैं। बेसिक बुक्स का सिलेबस के अनुसार अध्ययन करें। निराश होने की जरूरत नहीं है। अब वो समय नहीं रहा। इंटरनेट ने आर्थिक कमजोरी को बाधा बनने से भी रोक दिया है। राजीव ने बताया कि बतौर एसडीएम मैं जनता की सेवा कानून के दायरे में रहकर पूरी निष्ठा से करूंगा। बेहतर प्रशासन देना मेरी प्राथमिकता होगी। इनका मानना है कि बिहार से पिछड़ेपन दूर हो रहा है। इसने पिछड़ेपन के सारे मिथक को तोड़ा है। लेकिन अभी भी बिहार सामाजिक शक्ति का गतिशील कर उसका सही इस्तेमाल की जरूरत है। बता दे,अरविद प्रसाद के दो पुत्र ही हैं। छोटा बेटा भी बिहार इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड में जूनियर इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं।