राष्ट्र की अभेद्य सुरक्षा प्रणाली में मजबूती के लिए आयुध निर्माणी नालंदा प्रतिबद्ध : महाप्रबंधक
देश के व्यापक सुरक्षा पद्धति में अपना अहम योगदान देते हुए आयुध निर्माणी नालंदा ।
राजगीर : देश के व्यापक सुरक्षा पद्धति में अपना अहम योगदान देते हुए आयुध निर्माणी नालंदा तत्परता के साथ अपने निर्धारित लक्ष्य में अग्रसर है। बिहार के नालंदा जिला स्थित अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन नगरी राजगीर में स्थापित आयुध निर्माणी आज भारत के रक्षा तंत्र का एक अभिन्न अंग बन चुका है। जिसने अपने बेहतरीन अपने उत्पाद में बेहतरीन प्रदर्शन व उपलब्धियों के दौर से गुजरते हुए बीएमसीएस यानी बाई माड्यूलर चार्ज सिस्टम तथा नाईट्रोसेलुलोज उत्पादन सह आपूर्ति क्षेत्र में आई एस ओ प्रमाण पत्र निर्गत कर लिया है।
उक्त बातें आयुध निर्माणी नालंदा के महाप्रबंधक बीपी मिश्रा ने सोमवार को निर्माणी के प्रशासनिक भवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि विगत 14 अप्रैल 1999 में भारत के तत्कालीन रक्षामंत्री जॉर्ज फर्नांडीस के इस निर्माणी के शिलान्यास के पश्चात, देश को बीएमसीएस उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से नवंबर 2001 में इस निर्माणी परियोजना को स्वीकृति प्रदान की गई। इस क्रम में वित्तिय वर्ष 2016-17 में निर्माणी को प्रथम दफा थल सेना के फर्स्ट ईंडेंट को पूरा करने के लिए 50 हजार बी एम सी एस के निर्माण का लक्ष्य दिया गया था।
उन्होंने निर्माणी के उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आयुध निर्माणी नालंदा ने देश भर में पहली बार स्वदेशी प्रणाली के तहत बीएमसीएस का उत्पादन आरंभ कर इस रिकॉर्ड को अपने नाम किया है। जो अत्याधुनिक संस्करण का एक बेहद स्वदेशी नमूना कहा जा सकता है।
इस क्रम में उन्होंने निर्माणी के स्थापना के बाद यहां ठप रहे कार्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पूर्व में बी एम सी एस के निर्माण के लिए डेनल तथा इजरायल के आईएमआई जैसे विदेशी कंपनियों को ठेका सौंपा जाना था। लेकिन राजनैतिक सामंजस्य के कारण उक्त कंपनी का ठेका रद्द हो जाने से निर्माणी में कार्य प्रणाली आगे नहीं बढ़ सका।
मगर बाद में आत्मसक्षमता का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए निर्माणी ने तमिलनाडु से आयात कराते जा रहे स्वदेशी सामग्रियों के बल पर बी एम सी एस का निर्माण का बीड़ा उठाया। वर्तमान में अपने कार्यकुशल सह विशेषज्ञ तथा सभी कर्मियों के अथक परिश्रम से यह निर्माणी अपने निर्धारित लक्ष्य को हासिल कर रही है।
वहीं उन्होंने बी एम सी एस के कार्य सह रक्षा प्रणाली के उपयोग पर चर्चा की। कहा कि यह आधुनिक तकनीक पर आधारित सामरिक महत्व का एम्युनिशन यानी आयुध संभार है जो 155 एम एम के आर्टलरी यानी तोपों से दागे गए विस्फोटक बारूद को अपने उत्पन्न थर्स्ट से निर्धारित मारक लक्ष्य तक पहुंचाती है। उन्होंने कहा कि अभी दो किस्मों के बी एम सी एस क्रमश: एम-91 तथा एम-92 का उत्पादन किया जा रहा है। जिसमें एम-91 की मारक क्षमता 7 से 12 किमी तथा एम-92 की मारक क्षमता 13 से 48 किमी की दूरी तक है। इस क्रम में निर्माणी ने पिछले वित्तीय वर्ष 2017-18 में लगभग 200 करोड़ मूल्य का उत्पादन लक्ष्य संपन्न करते हुए वर्तमान वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए निर्धारित 2 लाख मॉड्यूल के अपने उत्पादन लक्ष्य की ओर अग्रसर है। जबकि बीते 2018 के माह दिसम्बर तक अपने उत्पादन का 80 फीसदी लक्ष्य को प्राप्त कर चुका है ।
इस क्रम में उन्होंने कारगिल युद्ध में आर्टिलरी तोपों के निर्णायक भूमिका में बीएमसीएस के हुए भरपूर प्रयोग पर कहा कि इस युद्ध के दौरान उक्त मॉड्यूल का महत्व और भी बढ़ा दिया है।
उन्होंने आयुध निर्माणी नालंदा के सभी प्लांट यूनिट के हो रहे स्थापना पर भी चर्चा की। जिसमें खास कर ट्रिपल बेस प्रोपलैंड, ¨सगल बेस प्रोपलैंड व एन जी-एस जी प्लांट हैं। वहीं मुख्य प्लांट की स्थापना प्रक्रियारत है।
वहीं उन्होंने निर्माणी के रासायनिक कार्य प्रणाली तथा राजगीर के पर्यावरण संरक्षण सह संवर्धन में निर्माणी द्वारा ईको फ्रेंडली की भूमिका पर प्रकाश डाला। कहा कि चूंकि उत्पादन प्रक्रिया में पानी की अधिकतम खपत को देखते हुए विपुलांचलगिरि पर्वत से गिरते बारिश के पानी को रैन हार्वे¨स्टग के तहत यहां के चार सरोवरों में संग्रहित कर उपयोग में लाया जा रहा है। जबकि निर्माणी परिसर व आस पास के क्षेत्रों को हरियाली से आच्छादित किया गया है।
वहीं समय समय पर स्वच्छता अभियान सह जागरूकता कार्यक्रम चलाकर निर्माणी पर्यावरण संरक्षण सारोकार पर स्थानीय नागरिकों के साथ जुड़कर एक नया आयाम भी गढ़ रही है। उन्होंने कहा कि इस क्रम में रक्षा उत्पादन में नित्य नये कीर्तिमान स्थापित करने के अलावे पर्यावरण संरक्षण अभियान में आयुध निर्माणी नालंदा ने सराहनीय योगदान ही नहीं कर रही। बल्कि दूसरे उद्योगों के लिए भी एक प्रत्यक्ष उदाहरणस्वरूप है।
इस दौरान निर्माणी के अपर महाप्रबंधक विजय कुमार व ए के ¨सह, संयुक्त महाप्रबंधक प्रवीण कुमार, उप महाप्रबंधक बी एस भंडारी, प्रशासनिक कार्यप्रबंधक हितेश व वरिष्ठ अनुवादक सह समन्वयक सह जनसंपर्क अधिकारी ज्ञानेन्द्र मोहन ज्ञान उपस्थित थे।