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कड़क और ईमानदार नए डीएम को बनना होगा गुड इवेंट मैनेजर

योगेंद्र ¨सह मूलत: यूपी के उन्नाव जिले के वाशिंदे हैं। ये 2013 बैच के आइएएस हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 01 Feb 2019 05:56 PM (IST)Updated: Fri, 01 Feb 2019 05:56 PM (IST)
कड़क और ईमानदार नए डीएम को बनना होगा गुड इवेंट मैनेजर
कड़क और ईमानदार नए डीएम को बनना होगा गुड इवेंट मैनेजर

नालंदा । योगेंद्र ¨सह मूलत: यूपी के उन्नाव जिले के वाशिंदे हैं। ये 2013 बैच के आइएएस हैं। इनकी पहली पो¨स्टग पटना सिटी के एसडीओ के पद पर हुई थी। उसके कुछ दिनों बाद दनको बेतिया का बतौर डीडीसी बनाकर भेजा गया था। उन्हें पहली बार लगभग दस महीने पहले शेखपुरा का डीएम बनाकर भेजा गया था। शेखपुरा जिले में इनकी पहचान कड़क छवि वाले ईमानदार अफसर के रूप में की जाती थी। ये कार्य में लापरवाही के कारण जिले के कई अफसरों का वेतन बन्द कर प्रपत्र क गठित कर चुके हैं। जिनमें जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिला कृषि पदाधिकारी व जिला मत्स्य पालन पदाधिकारी प्रमुख हैं। जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था को पटरी पर लाने का श्रेय डीएम योगेंद्र ¨सह को ही जाता है। इन्होंने 8 साल से बंद पड़े ब्लड बैंक को चालू कराया था। सदर हॉस्पिटल में आईसीयू की स्थापना कराई थी।

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नालंदा जिले को इन नए डीएम से कई अपेक्षाएं हैं। इनमें सबसे बड़ी जवाबदेही सफलता पूर्वक लोकसभा चुनाव कराना व मतदान प्रतिशत बढ़ाने की होगी। वहीं आगामी अक्टूबर माह में राजगीर के विश्व शांति स्तूप की 50वीं वर्षगांठ भी मनाई जानी है। जिसमें राष्ट्रपति रामनाथ को¨वद के आने की संभावना है। कई देशों के प्रतिनिधि भी इसमें शामिल होंगे। इस तरह योगेंद्र ¨सह को गुड इवेंट मैनेजर की भूमिका में भी खरा उतरने की चुनौती होगी। नालंदा में आये दिन राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम होते रहते हैं। मुख्यमंत्री का भी आये दिन आना-जाना लगा रहता है।

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लक्ष्य के प्रति शुरू से समर्पित रहे हैं योगेंद्र

योगेंद्र शुरू से लक्ष्य के प्रति समर्पित रहे हैं। 2013 की यूपीएससी परीक्षा में अच्छे अंक हासिल करने के पहले ये 2012 में आइपीएस के लिए चुने गए थे। लेकिन ये तो आइएएस बनने की ठान लिए थे। इसलिए ये आइपीएस की नौकरी ज्वाइन नहीं किए थे और फिर 2013 की यूपीएससी की परीक्षा में बैठे। इस बार योगेंद्र आईएएस के लिए चुन लिए गए। ये पूरे देश में 28वीं रैं¨कग लाए थे। जहां तक इनकी शिक्षा की बात है ये इंटर तक पढ़ाई अपने जिले में करने के उपरांत ग्रेजुएशन दिल्ली के जवाहर लाल विवि से किया है। इनकी फितरत है कि ये स्कूलों के कार्यक्रम में शरीक होने के लिए सभी काम छोड़कर हिस्सा लेते रहते हैं। स्कूलों के नन्हे-नन्हे बच्चों के साथ पढ़ने व पढ़ाने में ये काफी रूची लेते हैं। मैट्रिक तक की शिक्षा ये अपने गांव के कॉलेज से ली थी। उसके बाद ये कानपुर से इंटरमीडिएट अच्छे अंक से उत्तीर्ण हुए थे।


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