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बिहार में मध्यम अवधि की धान लगाने की जरूरत

धान की किस्मों पर अनुसंधान करें

By JagranEdited By: Published: Sat, 06 Aug 2022 06:31 PM (IST)Updated: Sat, 06 Aug 2022 06:31 PM (IST)
बिहार में मध्यम अवधि की धान लगाने की जरूरत
बिहार में मध्यम अवधि की धान लगाने की जरूरत

बिहार में मध्यम अवधि की धान लगाने की जरूरत

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संवादसूत्र, हरनौत : राजगीर के कन्वेंशन सेंटर में आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रम में भारतीय कृषि एवं अनुसंधान परिषद के उपमहानिदेशक (प्रसार) डा. एके सिंह ने शनिवार को बिहार और झारखंड के कृषि विज्ञानियों से कहा कि मध्यम अवधि के धान की किस्मों पर अनुसंधान करें। बिहार के संदर्भ में उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि आज भी राजेंद्र मंसूरी व राजेंद्र स्वेता आदि धान की किस्में बोयी जा रही है। पुरानी किस्मों की वजह से धान और गेहूं फायदे की खेती नहीं बन रही है। धान के साथ गेहूं के लिए भी अनुसंधान करने की जरूरत है। डा. सिंह ने कृषि विज्ञानियों से कहा कि बीजों एवं अन्य कृषि इनपुट को लेकर खेतों में जाएं और देखें कि किसानों की क्या परेशानियां हैं। देखें कि अनुसन्धान के तय मानक से किसान उत्पादित फसलों की दर में कितना अंतर है और क्यों है। उन्होंने विश्वविद्यालयों एवं कृषि विज्ञान केंद्रों के विज्ञानियों से कहा कि प्रयोगशालाओं में जाएं और नए बीजों पर अनुसन्धान करें। उन्होंने कहा कि कृषि तकनीक का अनुप्रयोग कृषि विज्ञान केंद्रों से ही आगे बढ़ेगी। बिहार में सूखे जैसी स्थिति में मध्यम अवधि (120 से 130 दिन) के धान से किसानों को लाभ मिल सकता है। उन्होंने कहा कि वर्षा कम होने की स्थिति में लंबी अवधि के धान की रोपनी देरी से हो रही है। इसका विपरीत असर गेहूं व अन्य रबी फसलों की बोआई पर पड़ेगा। उन्होंने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने व देसी गायों की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्रों में देसी गायें पाली जाएं। किसानों को तुलनात्मक खेती दिखाकर प्रेरित करने के लिए कृषि विज्ञान केंद्रों में प्राकृतिक खेती, जैविक खेती एवं पांरपरिक खेती का आच्छादन होना चाहिए। उपनिदेशक ने कहा कि बागवानी, मछली पालन, पशुपालन एवं मधुमक्खी पालन से किसानों की आमदनी दोगुनी हो सकती है। बताया कि देश भर के 75 हजार किसानों ने समेकित कृषि प्रणाली अपना कर आमदनी दोगुनी, तीन गुनी और चार गुनी बढ़ाई है। बता दें कि राजगीर के कन्वेंशन सेंटर में कृषि बिहार और झारखंड के सभी 68 कृषि विज्ञान केंद्रों के विज्ञानी एवं प्रमुख तथा चार कृषि विश्विद्यालयों के कुलपति एवं एक्सपर्ट खेती-किसानी की योजनाओं पर तीन दिवसीय मंथन के लिए जुटे हैं। आइसीएआर के एडीजी (प्रसार) डा. रणधीर सिंह, आइसीएआर-अटारी पटना के निदेशक अंजनि कुमार, बीएएसयू पटना के वीसी डा. रामेश्वर सिंह, बीएयू रांची के वीसी डा. ओएन सिंह, बीएयू सबौर, भागलपुर के वीसी डा. अरुण कुमार, डीआरपीसीएयू पूसा, समस्तीपुर के वीसी डा. कृष्ण कुमार ने कृषि एवं किसानी के लिए बेहतर सुझाव दिए।


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