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नेचर सफारी को मिला फायर सेफ्टी का रक्षा कवच

बिहारशरीफ। जिले में वन अच्छादित क्षेत्र का 60 प्रतिशत भाग अकेले राजगीर में है। इसकी खूबसूरती तथा हरियाली की फैली चादर लोगों को बरबस अपनी ओर आकर्षित करता रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 11 Apr 2021 12:02 AM (IST)Updated: Sun, 11 Apr 2021 12:02 AM (IST)
नेचर सफारी को मिला फायर सेफ्टी का रक्षा कवच
नेचर सफारी को मिला फायर सेफ्टी का रक्षा कवच

बिहारशरीफ। जिले में वन अच्छादित क्षेत्र का 60 प्रतिशत भाग अकेले राजगीर में है। इसकी खूबसूरती तथा हरियाली की फैली चादर लोगों को बरबस अपनी ओर आकर्षित करता रहा है। यही वजह है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का भी यह सबसे पसंदीदा स्थल है। इस क्षेत्र में सीएम की कई स्वप्निल योजनाएं भी उड़ान भर रही है। चाहे घोड़ा कटोरा की खूबसूरती हो या वेणुवन की रमणीकता सब सीएम के प्रयास का फल है। हाल ही में राजगीर की खूबसूरती में एक नया अध्याय जोड़ा गया है। वह है वाइल्ड लाइफ जू सफारी तथा नेचर सफारी।

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नेचर सफारी में प्रकृति के बीच रहने का लिया जा सकता आंनद

कुछ दिनों पहले राजगीर का नेचर सफारी आम लोगों के लिए खोला गया। यह सफारी देश के तमाम नेचर सफारियों से बिल्कुल भिन्न है। प्रकति के बीच रहने का आनंद यहां बखूबी लिया जा सकता है। खास बात तो यह है कि इसे पूरी तरह फायर सेफ्टी बनाया गया है। गर्मी के दिनों में अक्सर जंगलों में अगलगी की घटनाएं होती रहती है। ऐसे में पशु-पक्षियों तथा प्रकृति को कोई नुकसान न हो इसके लिए बड़ी संख्या में फायर सेफ्टी स्टॉफ की भी बहाली की गई है। फायर सेफ्टी की इस प्रक्रिया में फायर वाचर, फायर ब्लोअर को समाहित किया गया है। -------------------------

राजगीर में 242 प्रजाति के पक्षी तथा 140 तरह की जड़ी-बूटियां

राजगीर वनक्षेत्र 4 हजार 5 सौ हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैला है। जहां हजारों की संख्या में मेडिसनल प्लांट हैं। जो पूरे जिला को अकेल प्राणवायु देता है। वहीं यहां 242 प्रजाति के पक्षी, 100 से अधिक प्रजाति के सरीसृप, 272 प्रजाति के पेड़-पौधे तथा 140 प्रकार के चिन्हित जड़ी-बूटियां है जो अपने-आप में यह बड़ी विरासत है।

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फायर ब्लोअर से आग पर काबू पाने का इंतजाम इस संबंध में डीएफओ डॉ. नेशा मणि ने बताया कि वन प्रमंडल नालन्दा द्वारा राजगीर में पर्यावरण संरक्षण, पारिस्थितिकी तंत्र और जैव विविधता श्रृंखला की कड़ी को अटूट बनाए रखने के साथ फायर सेफ्टी को भी प्राथमिकता में रखा गया है। यहां के जंगल दुर्लभ पेड़-पौधों एवं वन्यजीवों से भरे पड़े हैं। जंगल तथा वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए पूरे वन क्षेत्र को कई भागों में बांटा गया है।

गर्मियों में सूखे पत्तों में आग लगने की घटना प्राय: होती रहती है। आग पत्तों के साथ बड़े-बड़े वृक्षों को भी अपना शिकार बना लेते हैं। ऐसे में आग का विस्तार न हो सके, इसके लिए कई आधुनिक उपाय किए गए हैं। इसके तहत जंगल के मध्य पेड़ से गिरे पत्तों को एक जगह इकट्ठा कर मशीन से नष्ट किया जाएगा । जिससे अगलगी की घटनाओं में कमी हो। वहीं क्षेत्र के हरेक भाग में एक-एक फायर वाचर को तैनात किया गया है। कुल मिलाकर नेचर सफारी की सुरक्षा हाइटेक तरीके से की जा रही है। ड्यूटी पर तैनात हरेक फायर वाचर को फायर ब्लोअर मशीन उपलब्ध कराया गया है।

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मई में जू-सफारी के उद्घाटन की संभावना

मालूम हो वाइल्ड लाइफ जू सफारी तथा नेचर सफारी दोनों हीं अलग यूनिट हैं। नेचर सफारी जहां आरंभ हो चुका है। वहीं जू सफारी में जंगली जानवरों को लाए जाने की कवायद जारी है। जू-सफारी का उद्घाटन मई महीने में होने की संभावना है। जू सफारी के डायरेक्टर हेमंत पाटिल ने बताया कि फायर सेफ्टी के व्यापक इंतजाम किए गए हैं। इसके लिए फायर वर्कर्स टीम गठित किया गया है। वहीं आग बुझाने की नई तकनीक फायर ब्लोअर का यहां प्रयोग किया जाएगा। जिसमें दूर से हीं आग पर काबू पाया जा सकेगा।

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जीपीएस सिस्टम से वन्य कर्मियों को किया गया है लैस

नेचर सफारी तथा जू सफारी दोनों हीं यूनिट के वन कर्मियों को जीपीएस सिस्टम से लैस किया गया है। यह आधुनिक सिस्टम गश्त एवं आग की सूचना के लिए विशेष उपयोगी होगा वहीं आग पर काबू पाने के लिए सेटेलाइट की मदद ली जाएगी। वहां से संबंधित वन क्षेत्रों के कंट्रोल रूम को अगलगी की सूचना फौरन भेजे जाने से वन को होने वाली बड़ी क्षति से बचाया जा सकेगा। इस क्रम में स्वचालित फायर अलार्म सिस्टम को भी लगाए जाने की योजना है। जिससे पर्यावरणीय बदलावों पर निगरानी रखकर आग की अवांछित मौजूदगी का पता लगाने के लिए किया जाएगा।


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