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कचरे से जैविक खाद बनाने की नगरनिगम की कवायद शुरू

नगर निगम क्षेत्र अंतर्गत 17 नम्बर वार्ड नंबर-5 में अवस्थित नगर निगम की जमीन पर कम्पोस्ट प्लांट का निर्माण किया जाना है जिस हेतु स्थल का निरीक्षण नगर आयुक्त महोदय द्वारा की गई। निरीक्षण के क्रम में नगर आयुक्त द्वारा श्री बिनोद कुमार बनौता कनीय अभियंता को आदेशित किया गया कि अविलंब मिशन मोड में कम्पोस्ट पिट का निर्माण गुणवत्तापूर्ण कराना सुनिश्चित करे।

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 Mar 2019 11:59 PM (IST)Updated: Mon, 25 Mar 2019 11:59 PM (IST)
कचरे से जैविक खाद बनाने की नगरनिगम की कवायद शुरू
कचरे से जैविक खाद बनाने की नगरनिगम की कवायद शुरू

बिहारशरीफ : कचरे को उपयोग में लाने की कवायद शुरू हो चुकी है। जैविक और अजैविक कचरे को अलग कर उन्हें विभिन्न उपयोगों में लाने के लिए नगर निगम की कई योजनाएं हैं। घर के गीले तथा सूखे कचरे को अलग-अलग बॉक्स में रखने के लिए हर घर को बॉक्स देने पर भी विचार किया जा रहा है। वहीं कचरे से कम्पोस्ट बनाए जाने की नगर निगम की बड़ी योजना है। इसको लेकर सोमवार को स्थानीय 17 नंबर के निकट वार्ड नंबर 5 स्थित मुक्तिधाम के पास की जमीन का निरीक्षण किया गया। साथ ही इस स्थल को कचरा प्रबंधन केन्द्र के रूप में विकसित करने पर सहमति दी गई। इस मौके पर नगर आयुक्त सौरभ जोरबाल के साथ सीटी मैनेजर राजीव कुमार तथा अभियंता मौजूद थे। 40 डिसमिल में बनाए जाने वाले इस कचरा प्रबंधन केन्द्र में जैविक तथा अजैविक पदार्थों को अलग कर उन्हें डिकम्पोस्ट किया जाएगा। निरीक्षण के दौरान नगर आयुक्त ने कनीय अभियंता विनोद कुमार को निर्माण कार्य मिशन मोड में लाने का आदेश दिया।

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आसान है कचरे से जैविक खाद बनाना

कचरे से निपटे के लिए पूरी दुनिया में रिसर्च किए जा रहे हैं। रासायनिक खाद के प्रयोग को स्वास्थ्य के विपरीत देखते हुए जैविक खाद को महत्व दिया जा रहा है। ऐसे में नगर निगम की ओर से डिकम्पोस्ट का यह कार्य वाकई प्रशंसनीय है। कचरे को जैविक खाद का रूप देने की प्रक्रिया भी काफी आसान है। इसके लिए डिकम्पोस्ट लिक्विड का कुछ अंश डिप में रखे गए कचरे पर डाल कर उसे 90 दिनों तक जूट के बोरे से ढंक दिया जाता है। साथ ही उस पर प्रतिदिन जल का छिड़काव किया जाता है ताकि नमी बनी रहे। 90 दिन के बाद कचरे का ढेर जैविक खाद में परिवर्तित हो जाता है।

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किन-किन स्थानों में बनाए जाएंगे कचरा प्रबंधन केन्द्र

कचरे से खाद बनाने के लिए शहर के कई क्षेत्रों का चयन किया गया है। जिसमें से वार्ड 45, 17, 5 के साथ कटरा पर, महलपर, टिकुलीपर आदि स्थान हैं। इन स्थानों में नगर निगम के वाहनों द्वारा एकत्रित किए गए कचरे से जैविक तथा अजैविक खाद को अलग किया जाएगा। अजैविक पदार्थ को जहां रिसाइकलिग के लिए भेजा जाएगा वहीं जैविक पदार्थ को खाद के रूप में परिणत किया जाएगा।

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इनसेट खबर

पॉलिथीन के बाद बिस्किट, चिप्स तथा फास्ट फूड के रैपर पर रोक की दरकार

जागरण संवाददाता, बिहारशरीफ: 28 अगस्त 18 को उच्च न्यायलय के आदेश के बाद पचास माइक्रोन से पतले पॉलिथीन पर रोक लगा दी गई थी। इस आदेश का अनुपालन कराना इतना सहज नहीं था लेकिन कार्यपालिका की संजीदगी ने इस कठिन कार्य को आसान बना दिया है। यदि इक्का-दुक्का को छोड़ दें तो शहर में पॉलिथीन पर पूर्ण पाबंदी दिखती है। सरकार के इस आदेश के साथ संजीदा लोगों को सरकार के उस आदेश का इंतजार है, जब बिस्किट के रैपर, चिप्स तथा अन्य फास्ट फूड के रैपर के प्रयोग पर रोक लग सके। पचास माइक्रोन के पॉलिथीन से कहीं घातक चमचमाता रैपर है। जिसे खत्म होने में हजार वर्ष से भी अधिक अवधि लग जाते हैं। ये चमचमाते रैपर न केवल ड्रेनेज सिस्टम को बाधित कर रहे हैं बल्कि यह जैविक तंत्र के लिए भी घातक है। रैपरों के प्रयोग से होने वाली हानि को भांपते हुए कई स्कूलों ने अपने कैंपस के अंदर बिस्किट, चिप्स, कुरकुरे, मिक्चर आदि लाने पर पाबंदी लगा दी है। अपने पूरे देश में अब तक सोलह राज्यों ने पॉलिथीन को पूरी तरह से बैन किया है। ये सारे राज्य साक्षरता के मामले में भी उंचे पायदान पर है। अब देखना कि कार्यपालिका इस मामले में कब तक संजीदा रहता है। क्योंकि इसके पहले न्यायपालिका ने प्रदूषण नियंत्रण को ले जुगाड़ वाहनों के संचालन पर भी पूर्ण रोक लगाया था लेकिन अपने जिले की स्थिति में कोई सुधार नहीं हो सका। जुगाड़ वाहन आज भी सड़कों पर फर्राटे के साथ चल रहे हैं।

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पॉलिथीन को लेकर विशेषज्ञों की राय

दुनिया भर के विशेषज्ञों की राय पॉलिथीन के मामले में समान है। उनका कहना है कि पॉलिथीन निर्माण की रफ्तार यदि यही रही तो 2020 तक पूरी दुनिया में 12 अरब टन प्लास्टिक कचरा जमा हो जाएगा। जिसे साफ करने में सैकड़ों वर्ष लग जाएंगे। वहीं पूरी दुनिया के कुल तेल (इंधन) का 8 प्रतिशत तेल प्लास्टिक उत्पादन में खत्म हो जाता हैं।

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किन चीजों से हुआ है प्लास्टिक का निर्माण

प्लास्टिक कार्बन परमाणु पर आधारित है। जिसे पॉलिमर कहा जाता है। यह कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, क्लोरीन और सल्फर जैसे तत्वों से युक्त सामग्री है। इसे जलाने पर जहां बड़ी मात्रा में कार्बन मुक्त होता है, वहीं जमीन के अंदर गाड़ने पर यह जमीन की उर्वरा शक्ति भी खत्म कर देता है। इसे नष्ट होने में करीब हजार वर्ष लग जाते हैं।

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सुने चिकित्सक की

शहर के जाने-माने चिकित्सक डॉ. पुरुषोत्तम कुमार कहते हैं कि पॉलिथीन जीवन के लिए घातक है। इसमें पाए जाने वाले कार्बनिक पदार्थ कैंसर की ओर धकेलते हैं। अक्सर लोग चाय की चुस्की प्लास्टिक के ग्लास में लेते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए घातक है। हमें इसके उपयोग से बचना चाहिए। वहीं बिस्किट तथा कुरकुरे के रैपर पर भी रोक लगाई जानी चाहिए क्योंकि यह पचास माइक्रोम के पॉलिथीन से कहीं ज्यादा घातक है।

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सुनें अधिकारी की

शहर में पॉलिथीन के प्रयोग पर पूर्ण रोक लग चुकी है। नगरनिगम द्वारा इसको लेकर आए दिन सघन छापेमारी की जा रही है। पॉलिथीन के मामले में निगम सख्त है। यदि छुपकर इसका प्रयोग किया जा रहा है तो इसकी सूचना तत्काल निगम को दें। निगम त्वरित कार्रवाई को ले कटिबद्ध है। वैसे पॉलिथीन जीवन के लिए घातक है। जिस पर अंकुश लगाने के लिए लोगों को स्वत: आगे आना चाहिए। चमचमाते रैपरों पर रोक लगाने का आदेश आने के बाद इसे भी सख्ती के साथ लागू किया जाएगा। सौरभ जोरबाल नगर आयुक्त


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