युवाओं के प्रयास से संवर गई मालती पोखर की तस्वीर
शेखपुरा। कौन कहता है आकाश में सुराख नहीं हो सकता एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो। जी हां ऐसा ही नजारा देखने को शेखपुरा जिले में मिल रहा है। यह तस्वीर बरबीघा प्रखंड की जगदीशपुर पंचायत के तेतारपुर गांव स्थित मालती पोखर की है। इस तालाब की देखभाल साफ-सफाई रखरखाव जल संचय आदि की व्यवस्था गांव के युवाओं के हवाले हैं।
शेखपुरा। कौन कहता है आकाश में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो। जी हां ऐसा ही नजारा देखने को शेखपुरा जिले में मिल रहा है। यह तस्वीर बरबीघा प्रखंड की जगदीशपुर पंचायत के तेतारपुर गांव स्थित मालती पोखर की है। इस तालाब की देखभाल, साफ-सफाई, रखरखाव, जल संचय आदि की व्यवस्था गांव के युवाओं के हवाले हैं। गांव के लोगों ने एक पंचायत बुलाकर युवाओं की एक कमेटी बना दी है और इसके रखरखाव की पूरी जिम्मेवारी युवाओं को दे दी है।
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क्या-क्या करते हैं गांव के युवक
मालती पोखर के रखरखाव और साफ-सफाई को लेकर आधा दर्जन युवक प्रत्येक दिन सुबह में मॉर्निंग वॉक के समय तालाब के किनारे साफ-सफाई की व्यवस्था करते हैं। कचरे को हटाते हैं और तालाब के पानी में तैरते हुए गंदगी को भी बाहर निकालते हैं। युवाओं द्वारा नियमित रूप से यह कार्य किया जाता है। तालाब से मिट्टी निकालने का काम भी ग्रामीणों ने ही किया है।
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जल संचय का प्रमुख केंद्र है मालती पोखर तालाब
पिछले दो सालों से जहां भूजल स्तर को लेकर हाहाकार मचा था और जिले भर के तालाब सूख गए थे वही मालती पोखर लबालब भरा हुआ था। इस वजह से यहां कई धार्मिक अनुष्ठान, छठ आदि भी सफलतापूर्वक यहां हुए थे। बताया जाता है कि गांव के युवक इस तालाब में बरसात के दिनों में भी बरसात के पानी को जमा कर तालाब तक पहुंचाने के मुहिम में सक्रिय रहते हैं। तालाब तक पहुंचने वाले नहर के मुहाने की साफ-सफाई युवक मिलजुलकर करते हैं, ताकि तालाब तक पानी पहुंच सके और फिर तालाब में गंदगी नहीं हो इसका भी देखभाल करते हैं। तालाब में बरसात के दिनों में 20 फीट तक पानी जमा हुआ रहता है। इसमें मछली पालन भी इन्हीं युवाओं की कमेटी के हवाले रहता है। मछली पालन से हुए आमदनी को तालाब के रखरखाव और साफ-सफाई पर युवक खर्च करते हैं।
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तालाब किनारे लगे हैं पेड़-पौधे
मालती पोखर तालाब के किनारे गांव के लोगों के द्वारा अशोक, नीम, पीपल इत्यादि पौधे लगाए गए हैं। गांव के युवक जब सुबह में साफ-सफाई के लिए तालाब के पास आते हैं तो पेड़-पौधों की देखभाल भी करते हैं। इनमें पानी देते हैं। साथ ही साथ एक दो युवक अक्सर मवेशियों से भी पेड़ पौधों की रक्षा के लिए सक्रिय देखे जाते हैं । वहीं गांव के इस तालाब के पास सूर्य मंदिर की देखभाल और रखरखाव भी इन्हीं युवकों के कमेटी के पास है। यहां कार्तिक महीने में छठ पर्व पर युवाओं के द्वारा सबसे बेहतरीन व्यवस्था की जाती है। चाहे लाइट लगाने की बात हो या घाटों की साफ-सफाई, युवक सभी अपने हवाले रखते हैं। छठ पर्व पर तालाब में कोई नहीं डूबे इसको लेकर आधा दर्जन युवक तालाब में गोताखोर का भी काम करते हैं। हर साल एक दो किशोर को डूबने से गांव के युवक बचाते हैं। दशहरा, सरस्वती पूजा आदि के अवसर पर श्रद्धालुओं के द्वारा देवी-देवताओं की प्रतिमा का विसर्जन तालाब में ही किया जाता है परंतु गांव के युवक सक्रिय होकर अगले ही दिन प्रतिमाओं के विसर्जन के बाद जमा हुए कचरे को तालाब से तत्काल निकाल कर बाहर फेंक देते हैं।
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गोपाल कुमार कमेटी के सक्रिय सदस्य
गांव के ही गोपाल कुमार कमेटी के सक्रिय सदस्य और अध्यक्ष है। बताते हैं कि सभी ग्रामीणों के सहयोग से व्यवस्था संचालित है। जिसमें ग्रामीण शिवम कुमार, अंकित कुमार, गोलू कुमार, नीरज कुमार, प्रभाकर कुमार इत्यादि की भूमिका सराहनीय रहती है। बताया जाता है कि मंदिर में पुजारी का काम भी ग्रामीण तनिक सिंह और कारू सिंह के द्वारा किया जाता है। साथ ही साथ प्रत्येक दिन यहां भजन संध्या का आयोजन होता है। जिसमें रामविलास सिंह, नारायण सिंह, शिवशंकर सिंह, परशुराम सिंह, अनिल सिंह की सराहनीय भूमिका रहती है। इसी वजह से यहां रमणीय वातावरण बना रहता है और शहर से लोग मॉर्निंग वॉक के लिए भी यहां पहुंचते हैं।