3 लाख 11 हजार में लगी लाडू की बोली
गिरियक : पूरी दुनिया को शांति के संदेश से आलोकित करने वाले भगवान महावीर का 2544वां निर्वाण महोत्सव ब
गिरियक : पूरी दुनिया को शांति के संदेश से आलोकित करने वाले भगवान महावीर का 2544वां निर्वाण महोत्सव बुधवार को संपन्न हो गया। इस मौके पर पूरे श्वेतांबर मंदिर को पुष्प व पत्तियों से सजाया गया था। तीन दिनों तक चलने वाले इस महोत्सव में देश-दुनिया के हजारो श्रद्धालुओं ने भाग लिया। इस क्रम में बुधवार को पावापुरी गांव श्वेतांबर मंदिर से एक भव्य रथ-यात्रा निकाली गई, जिसमें चांदी के रथ पर भगवान महावीर की प्रतिमा प्रतिष्ठापित की गई थी। इस रथ-यात्रा के साथ सैकड़ो की संख्या में श्रद्धालु चलते रहे। इस संदर्भ में श्वेतांबर मंदिर के पूर्व ट्रस्टी स्वर्गीय जय ¨सह के पौत्र वधु पुष्पा ¨सह ने बताया कि दीपावली के मौके पर सारी रात मंदिर में मंत्रों का जाप होता रहता है। मंदिर की ट्रस्टी जैसी सुचाती ने बताया कि इस साल श्रद्धालुओं की संख्या में आशातीत वृद्धि हुई है।
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कोठारी परिवार ने उंची बोली लगाकर चढ़ाया लाडू
भगवान महावीर की प्रतिमा पर लाडू चढ़ाने की परंपरा काफी पुरानी है। उंची बोली लगाने वाले व्यक्ति को ही लाडू चढ़ाने का सौभाग्य प्राप्त होता है। बुधवार को जल मंदिर में बोथरा परिवार ने 3 लाख 11 हजार रुपए की सबसे ऊंची बोली लगाकर सौभाग्य प्रापत किया। वहीं दूसरे लाडू की प्रथम बोली मंदिर के भंडार से शुरू की गई एवं मुंबई निवासी जिगना बेन राजेश भाई कोठारी ने लगाई। वहीं मनीष बावले ने तीन पुष्प, तीन छात्र दान स्वरूप दिए।
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15 कारीगरों की कड़ी मेहनत से बने लाडू
श्रवेतांबर मंदिर में लाडू निर्माण का कार्य बिहारशरीफ के राधाकृष्णन मिष्टान भंडार द्वारा किया गया। जिसके निर्माण में कुल 15 कारीगरों को लगाया गया था। एक सौ आठ किलो के इस लाडू निर्माण में काफी मेहनत लगती है। कारीगर बड़े ही बारिकी से लाडू को आकृति देते हैं। जिसे एक बड़े बर्तन में रखा जाता है।