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जापानियों ने अपनी मातृभाषा नहीं छोड़ी, नीतीश भी हिन्दी में बोले, फिर भी संवाद हो गया

बिहारशरीफ। राजगीर में विश्व शांति स्तूप के 49वें वार्षिकोत्सव की सबसे बड़ी खूबी जापानियों व मुख्यमंत्री के बीच अपनी अपनी भाषा का संवाद रहा।

By JagranEdited By: Published: Thu, 25 Oct 2018 10:54 PM (IST)Updated: Thu, 25 Oct 2018 10:54 PM (IST)
जापानियों ने अपनी मातृभाषा नहीं छोड़ी, नीतीश भी हिन्दी में बोले, फिर भी संवाद हो गया
जापानियों ने अपनी मातृभाषा नहीं छोड़ी, नीतीश भी हिन्दी में बोले, फिर भी संवाद हो गया

बिहारशरीफ। राजगीर में विश्व शांति स्तूप के 49वें वार्षिकोत्सव की सबसे बड़ी खूबी जापानियों व मुख्यमंत्री के बीच का अपनी-अपनी भाषा में संवाद रहा। जापान से आए प्रतिनिधयों ने अपनी आदत के अनुसार संबोधन के लिए किसी दूसरी भाषा का सहारा नहीं लिया। वे बेधड़क अपनी मातृभाषा में बोले, हालांकि उनकी बातों का अंग्रेजी में अनुवाद करके महाश्वेता महारथी ने सुनाया। अंत में संबोधन के लिए उठे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी हिन्दी में बोले, जिसका बाद में अनुवादक ने जापानी भाषा में अनुवाद करके सुनाया। इन संबोधनों के दौरान गौर करने योग्य बात ये रही कि दोनों तरफ के लोगों को एक-दूसरे की बात पल्ले नहीं पड़ रही थी, फिर भी धैर्य से एक-दूसरे को सुना। भाव समझ कर बीच-बीच में तालियां भी बजाईं। जापान से आए सीजीसी कम्पनी के अनुवादक और राजगीर विकास सोसाइटी की अध्यक्ष महाश्वेता महारथी ने भाषाई सेतु का काम किया।

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