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विश्व धरोहर बने बीते चार साल, विकास के चार कदम भी नहीं बढ़ा सकी सरकार

विश्व धरोहर बने बीते चार साल विकास के चार कदम भी नहीं बढ़ा सकी सरकार .... जब से यूनेस्को ने विवि के अवशेषों को भारत के 33 वें विश्व धरोहर के रूप में शामिल किया है तब से पर्यटन के वैश्विक फलक पर इसके स्वरुप को लेकर अब तक कोई बड़ा बदलाव देखने को नहीं मिला है। 300 मीटर के बफर जोन आज तक अतिक्रमणमुक्त नहीं हो पाया है। आज भी मुख्य द्वार पर दुकानदारों का ही कब्•ा है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 08 Jul 2020 11:30 PM (IST)Updated: Thu, 09 Jul 2020 06:12 AM (IST)
विश्व धरोहर बने बीते चार साल, विकास के चार कदम भी नहीं बढ़ा सकी सरकार
विश्व धरोहर बने बीते चार साल, विकास के चार कदम भी नहीं बढ़ा सकी सरकार

जागरण संवाददाता, बिहारशरीफ : जब से यूनेस्को ने विवि के अवशेषों को भारत के 33 वें विश्व धरोहर के रूप में शामिल किया है, तब से पर्यटन के वैश्विक फलक पर इसके स्वरुप को लेकर अब तक कोई बड़ा बदलाव देखने को नहीं मिला है। 300 मीटर के बफर जोन आज तक अतिक्रमणमुक्त नहीं हो पाया है। आज भी मुख्य द्वार पर दुकानदारों का ही कब्जा है। जबकि नियम के हिसाब से पूरे एरिया को क्लीन रखना था। ताकि पर्यटक दूर से इस धरोहर को देख सके। इसके लिए दुकानदारों के लिए अलग से मार्केट कॉम्प्लेक्स बनाने की बात थी।

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प्राचीन समय में बनी इस विरासत को देखकर यह अहसास हो जाता है कि उस समय की स्थापत्य कला को निखारने में बारीकी का कितना ख्याल रखा जाता था। 15 जुलाई 2016 को यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर में शामिल कर किया। बता दें कि इटली को होम ऑफ व‌र्ल्ड हेरिटेज साइट कहा जाता है, क्योंकि वहां पर 50 से ऊपर हेरिटेज साइट्स हैं। इसके बाद चीन, स्पेन, फ्रांस, जर्मनी, मैक्सिको और भारत में नालंदा विवि के अवशेष मिलाकर 36 व‌र्ल्ड हेरिटेज साइट्स हैं जिसमें कल्चरल और नेचुरल साइट्स शामिल है। हालांकि डीएम योगेंद्र सिंह ने इस क्षेत्र के विकास के लिए रोडमैप तैयार कर रखा है और विकास का कार्य भी चल रहा है लेकिन अभी बहुत सारे काम को अंजाम तक पहुंचाना है। कार्य का रफ्तार कछुए की तरह है। न तो क्षेत्र अतिक्रमणमुक्त हो पाया न साफ सफाई की व्यवस्था मुकम्मल तरीके से हो पाई। बैठकों में विकास कार्यों में तेजी का दावा करने वाली जिला प्रशासन अब धरातल पर आकर ध्यान दे, ताकि हेरिटेज टूरिज्म के रूप में इस क्षेत्र को विकसित किया जा सके। जहां तक सुरक्षा का सवाल है तो नॉ‌र्म्स के हिसाब से विश्व स्तरीय सुरक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं है। डायल 100, सीसीटीवी में आई हेल्प यू डेस्क, 24 घंटे गश्ती की व्यवस्था होनी चाहिए। नाम न छापने के शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि हमारे तरफ से कोई कमी नहीं है। अब जो भी करना है वह सरकार व प्रशासन को करना है।

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इस धरोहर को इंडस्ट्री के रूप में विकसित करने की दरकार इटली हो या भारत, पर्यटन एक ऐसा इंडस्ट्री है जिससे किसी भी देश या राज्य की सरकार चाहे तो अपने अपने क्षेत्रों का विकास पर्यटन के राजस्व से पूरी कर सकती है। शिमला, कश्मीर, तिरुपति इन तमाम जगहों पर जाके देखे। अकेला पर्यटन ही उन राज्यों की इकलौती इंडस्ट्री है जिसकी बदौलत राज्य का विकास आराम से होता है। ऐसे में बिहार का नालंदा जिला बेहतर विकल्प है। पंच पहाड़ियों व नैसर्गिक सौंदर्य को अपने आप में समेटे राजगीर भी अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर खास मुकाम रखती है।

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क्या है चुनौतियां नालंदा विवि के अवशेषों के विश्व धरोहर में शामिल होते ही अब इसके स्वरुप व संसाधन को विकसित करना जिला प्रशासन के लिए चुनौतीपूर्ण होगा। सब कुछ अंतर्राष्ट्रीय मानक के अनुसार करना होगा। सभी चीजों को ऑर्गेनाइज्ड करना होगा। स्थानीय लोगों के आजीविका का ख्याल रखना, ठहराव की व्यवस्था, होटल इंडस्ट्री का रुख नालंदा की ओर करना प्रशासन के लिए चुनौती से ज्यादा उपलब्धि होगी।

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स्थानीय लोगों का जुड़ाव •ारूरी विश्व धरोहर में नालंदा विवि के अवशेष के शमिल होने से जहां नालंदा जिले का मान अब अधिक हो गया है वही इसे सहेजने में स्थानीय लोगों की भूमिका अब अधिक हो जाएगी। स्थानीय लोगों का जुड़ाव ही उनके आजीविका का माध्यम भी बनेगा। यहां के लोगों को लाइफस्टाइल के साथ अपनी सोच भी बदलनी होगी।

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कब हुई थी व‌र्ल्ड हेरिटेज डे की शुरुआत व‌र्ल्ड हेरिटेज डे की शुरुआत 18 अप्रैल, 1982 को हुई थी। कार्यक्रम में कहा गया कि दुनियाभर में इस दिवस का आयोजन होना चाहिए। इस आइडिया को नवंबर 1982 में यूनेस्को के 22वें सेशंस में भी अनुमोदन कर दिया गया। उसके बाद हर साल 18 अप्रैल को इंटरनेशनल मोन्यूमेंट्स ऐंड साइट्स डे सेलिब्रेट किया जाता है, जिसे व‌र्ल्ड हेरिटेज डे भी कहा जाता है।

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1968 में'जॉनी मेरा नाम'शीर्षक फिल्म की शूटिग हुई थी इस विश्व धरोहर की आंगन में दूर से आई, देर से आयी, ओ मेरे राजा, खफा न होना। पांच दशक पहले नालंदा विवि के भग्नावशेषों के बीच हेमा मालिनी व देवानंद पर फिल्माये गए इस मनुहार भरे गीत शायद सभी को याद होगी। 1968 में'जॉनी मेरा नाम'शीर्षक फिल्म की शूटिग के सिलसिले में देवानंद व हेमामालिनी पूरी फिल्म यूनिट के साथ नालंदा पहुंचे थे। यहां के विभिन्न लोकेशन पर फिल्म के कुछ ²श्य व एक गाने की शूटिग हुई थी। इस फिल्म में देवानंद व ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी लीड रोल में थे। फिल्म के गाने व अन्य ²श्यों की शूटिग नालंदा विवि के इसी भग्नावशेष पर हुई थी। आज भी कई लोगों के जेहन में शूटिग की यादें ताजा हैं।

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ई टिकट से अब नालन्दा खंडहर व म्यूजियम में मिलेगी इंट्री लगभग तीन महीने से बंद पड़े स्मारक, म्यूजियम व व‌र्ल्ड हेरिटेज साइट प्राचीन नालन्दा विवि के भग्नावशेष सोमवार से गुलजार हो गया। यहां प्रवेश के लिए इ-टिकटिग की व्यवस्था की गई है। रविवार को खंडहर में ई टिकट के लिए बने नवनिर्मित काउंटर का उद्घाटन म्यूजियम के सहायक अधीक्षण पुरातत्वविद शंकर शर्मा ने किया। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इसके लिए जरूरी दिशानिर्देश के साथ खोलने की अनुमति दे दी है । जारी गाइडलाइन के तहत अब मैन्युअल तरीके से टिकट की बिक्री नहीं करने का फैसला लिया गया है। मास्क के साथ ई टिकट के माध्यम से ही अब प्रवेश की अनुमति दी जाएगी। साथ ही प्रवेश से पहले थर्मल स्क्रीनिग की जाएगी। खांसी व बुखार आदि के लक्षण होने पर नो एंट्री होगी।

इसके अलावा फिजिकल दूरी का पालन, अंदर घूमने की समय सीमा, आंतरिक व असुरक्षित भागों में जाने की मनाही, फोटोशूट पर रोक, परिसर के अंदर खाद्य पदार्थ ले जाने पर रोक, प्रवेश के समय रजिस्टर में इंट्री, खांसते व छींकते समय रुमाल या टिश्यू पेपर का उपयोग, जहां तहां थूकने पर प्रतिबंध के अलावा अपने सामान की सुरक्षा की गारंटी खुद करने के दिशा निर्देश जारी किया गया है।


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