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अ‌र्द्धवार्षिक परीक्षा के बाद पहली बार स्कूलों में होगा पैरेंट्स मीट

बिहारशरीफ। हाल में सरकारी विद्यालयों में सम्पन्न हुए कक्षा एक से आठ तक के बच्चों के अ‌र्द्धवार्षि

By JagranEdited By: Published: Fri, 26 Oct 2018 05:42 PM (IST)Updated: Fri, 26 Oct 2018 05:42 PM (IST)
अ‌र्द्धवार्षिक परीक्षा के बाद पहली बार स्कूलों में होगा पैरेंट्स मीट
अ‌र्द्धवार्षिक परीक्षा के बाद पहली बार स्कूलों में होगा पैरेंट्स मीट

बिहारशरीफ। हाल में सरकारी विद्यालयों में सम्पन्न हुए कक्षा एक से आठ तक के बच्चों के अ‌र्द्धवार्षिक परीक्षा की कापियां जांचनी शुरू कर दी गई है। बच्चों की बौद्धिक क्षमता का आकलन करने के लिए शिक्षा विभाग ने इस बार नया पैटर्न बनाया है। कॉपी का मूल्यांकन इस बार सीआरसी में कराया जा रहा है। 31 अक्टूबर तक हर हाल में कापियां जांच लेनी है। सबसे खास बात यह कि इस बार शिक्षक अपने विद्यालय के बच्चों की कापियां नहीं जांच सकेंगे। हर शिक्षक दूसरे विद्यालयों के बच्चों की कॉपियां जांचेंगे। इस तरह की व्यवस्था से बच्चों की बौद्धिक दक्षता के साथ शिक्षकों के पठन-पाठन के स्तर की भी परख हो जाएगी।

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कम अंक लाने वाले बच्चों की अलग से होगी क्लास

इस बार अ‌र्द्धवार्षिक परीक्षा में कम अंक लाने वाले बच्चों के लिए विशेष क्लास की व्यवस्था कराई जाएगी। ताकि वे जिन विषयों में कमजोर हैं, उसमें पूरी तरह से दक्ष हो सकें और अन्य मेधावी छात्रों के समकक्ष हो सकें।

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5 नवम्बर को शिक्षक-अभिभावक मीट

31 अक्टूबर तक कॉपियों का मूल्यांकन समाप्त होने के बाद सीआरसी में ही बच्चों के अभिभावकों के साथ पहली बार शिक्षक मीट होगा। अभिभावकों के साथ इस मीट का मुख्य उद्देश्य उनके अपने ही बच्चों की बौद्धिक क्षमता से अवगत कराना है। इससे सरकारी विद्यालयों में पढ़ रहे बच्चों की बौद्धिक क्षमता भी खुले आ जाएगी। अभिभावक यह भी देखेंगे की उनके बच्चे किन विषयों में कितने अंक लाए हैं। इससे शिक्षक के साथ अभिभावक भी जागरूक होंगे और अपने बच्चों पर ध्यान देंगे। इस बैठक में विद्यालय शिक्षा समिति के अध्यक्ष, सदस्य के अलावा शिक्षा विभाग के अधिकारी, बीईओ व आसपास के बुद्धिजीवी वर्ग के लोग भी शामिल होंगे।

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कहते हैं अधिकारी

अ‌र्द्धवार्षिक परीक्षा के मूल्यांकन में इस बार विभाग को यह पता चल जाएगा कि उनके विद्यालय में पढ़ाने वाले गुरुजी कितने सक्रिय है। यह परीक्षा सिर्फ बच्चों के लिए ही नहीं है बल्कि शिक्षा विभाग के तमाम पदाधिकारी के साथ शिक्षकों की भी है। खासकर शिक्षकों के लिए यह मूल्यांकन एक तरह का चुनौती के रूप में काम करेगा। पहले उन्हें स्कूलों में बच्चों की कॉपियों की जांच होती थी, इस कारण बच्चों को मनमाने अंक दे दिए जाते थे। इससे पता नहीं चल पाता था कि कौन से बच्चे पढ़ने में कमजोर हैं। लेकिन इस बार की नई व्यवस्था कई मायने में चौंकाने वाली होगी।

दिनेश्वर मिश्र

डीपीओ, सर्वशिक्षा अभियान

बिहारशरीफ


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