सबसे लंबे समय तक नालंदा के डीएम रहे डॉ. त्यागराजन
शाम के आकाश का सुनहरापन। कहते हैं कि सपने भी ऐसे ही सुनहरे होते हैं।
नालंदा । शाम के आकाश का सुनहरापन। कहते हैं कि सपने भी ऐसे ही सुनहरे होते हैं। वो सतरंगी सपने जो इंसान कभी बंद, तो कभी खुली आंखों से ¨जदगी के हर दौर में, हर पड़ाव पर देखता है। सपने इंसान की ¨जदगी का वो सच है जो अगर हकीकत की कसौटी पर खरे उतर जाए तो ¨जदगी को खुशियों की बहारों से सराबोर कर देते हैं। लेकिन सपनों और हकीकत के बीच के सफर में जो चुनौतियां पेश आती है दरअसल यहीं चुनौतियां सपने देखने वाले के हौसलों का असली इम्तिहान लेती हैं। 'लाइफ विदाउट स्ट्रगल' नो वे। अगर संघर्ष ही न हो तो फिर जीने का क्या फायदा। यह मानना था, शालीन व व्यवहार कुशल, कर्मठ व ईमानदार नालंदा के जिलाधिकारी डॉ.त्यागराजन एसएम का। उन्होंने अगस्त 2015 में नालंदा के जिलाधिकारी के रूप में अपना योगदान दिया। ट्रांसफर के बाद वे सबसे लंबे समय तक नालन्दा के डीएम बने रहने के लिए जाने जाएंगे।
शुरू से आईएएस बनने की इच्छा रखने वाले डॉ. त्यागराजन ने 2008 में एमबीबीएस की डिग्री ली, फिर 2010 में आईपीएस बन बतौर एएसपी ओड़ीसा में नौकरी की, लेकिन जो लाइफ के साथ कामिटमेंट था उसे पूरा करने में लगे रहे और आखिरकार 2011 मे भारतीय प्रशासनिक सेवा में चुन लिए गए। मूलरूप से तमिलनाडु के कोयम्बटूर के रहने रहने डॉ. त्यागराजन ने भी एक सपना देखा था लेकिन उस सपने की राह में जहां सैकड़ों मुसीबतें दीवार बन कर खड़ी हो गईं वहीं ढेरों चुनौतियों ने उसके सब्र का कड़ा इम्तिहान लिया। लेकिन वो कभी विचलित नहीं हुए। हां अगर उन्हें सबसे ज्यादा किसी के लिए संघर्ष करना पड़ा तो वो हिन्दी थी। डीएम के मुताबिक यही एक ऐसी ची•ा थी, जिससे वे काफी डरते थे। नालंदा में नगर आयुक्त और डीएम रहने के दौरान अच्छी ¨हदी बोलना व पढ़ना सीख गए। याद दिला दें कि वे आईएएस चुने जाने के बाद पूर्णिया में बतौर प्रशिक्षु रहे। उसके बाद इनकी पहली पो¨स्टग एसडीओ पटना सिटी हुई थी। उसके बाद वे नगर निगम के आयुक्त बनकर बिहारशरीफ आए थे। आयुक्त रहते हुए ये सफाई के क्षेत्र में कई बेहतर कार्य किए थे। इनकी देन थी कि आज सफाई कर्मी घर-घर जाकर कूडा-कचरा संग्रह करता देखा जा रहा है। उनके इमानदारी व कार्य के प्रति निष्ठा को देखते हुए सरकार ने नालंदा का डीएम बना दिया था। इनकी ²ढ़ इच्छाशक्ति ही थी कि उन्होंने शहर को स्मार्ट सिटी की रेस में लाकर खड़ा कर दिया था। इनके कार्यकाल में राजगीर के भूई गांव में ठोस कचरा प्रबंधन को देखने के लिए देश-विदेश के लोग आए दिन आते हैं। यहीं नहीं एकंगरसराय प्रखंड के चम्हेडा को मॉडल गांव के रूप में विकसित किया गया था। उपलब्धियों की अगर जिक्र किया जाय तो ये विद्युतीकरण कार्य बेहतर रूप से संपन्न कराने के एवज में इनको खुद प्रधानमंत्री सम्मानित कर चुके हैं। इनके हिस्से में उसके अलावा कई उपलब्धियां शामिल है। विभागीय कार्य करने की इनकी शैली की प्रशंसा करते विरोधी पार्टी के लोग भी नहीं थकते थे।