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निर्देश के बावजूद सरकारी स्कूलों के बच्चों के लिए नहीं ली जाती गाइड की सेवा

बिहारशरीफ। नालंदा विवि के भग्नावशेषों के यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल होने के बाद यहां टूरिस्ट गाइड का काम करने वालों को उम्मीद दी थी अब यह फुल टाइम रोजगार हो जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Fri, 30 Oct 2020 06:30 PM (IST)Updated: Fri, 30 Oct 2020 06:30 PM (IST)
निर्देश के बावजूद सरकारी स्कूलों के बच्चों के लिए नहीं ली जाती गाइड की सेवा
निर्देश के बावजूद सरकारी स्कूलों के बच्चों के लिए नहीं ली जाती गाइड की सेवा

बिहारशरीफ। नालंदा विवि के भग्नावशेषों के यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल होने के बाद यहां टूरिस्ट गाइड का काम करने वालों को उम्मीद दी थी, अब यह फुल टाइम रोजगार हो जाएगा। परंतु पर्यटन सुविधाओं की कमी के कारण यहां हर साल हजारों विदेशी टूरिस्ट आते तो हैं, पर ठहरते नहीं। दो-तीन घंटे में ही आधी-अधूरी जानकारी लेकर लौट जाते हैं। विदेशी पर्यटक ही टूरिस्ट गाइड की आजीविका का आधार हैं। सरकार ने भी स्कूली छात्र-छात्राओं को ऐतिहासिक महत्व के स्थलों की तथ्यपरक जानकारी देने के लिए गाइड की कमाई की व्यवस्था की है, परंतु यह अमल में नहीं लाई जाती।

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गाइड प्रवीण कुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री परिभ्रमण योजना के तहत सूबे भर के स्कूली छात्र-छात्राओं को यहां घुमाने लाया जाता है। सरकारी निर्देश है कि बच्चों को प्राचीन नालंदा विवि के बारे में विस्तार से जानकारी देने के लिए पर्यटन विभाग के मान्यता प्राप्त गाइड की मदद ली जाए। इसके लिए बतौर मेहनताना पांच सौ रुपए देने का प्रावधान भी है। परन्तु व्यवहार में ऐसा नहीं होता। अगर ऐसा होने लगे तो पिक सीजन में टूरिस्ट गाइड की आमदनी और बढ़ जाए। इतना ही नहीं नालंदा विवि, पावापुरी जल मंदिर व राजगीर में मात्र 17 टूरिस्ट गाइड पर्यटन विभाग से पंजीकृत हैं। इनमें से तीन वर्किंग नहीं हैं। इनके अलावा छह बुजुर्ग गाइड भी हैं, जो अनुभव व जानकारी के आधार पर पर्यटकों को नालंदा के ऐतिहासिक व पुरातात्विक स्थलों के बारे में बताते हैं। परन्तु ये लोग पंजीकृत नहीं हैं। जाहिर है, युवा वर्ग गाइड बनने को इच्छुक नहीं है। इसलिए हर साल 50 से 60 हजार विदेश पर्यटकों के आगमन की तुलना में नालंदा में पंजीकृत टूरिस्ट गाइड की संख्या बेहद कम है। एक दशक से टूरिस्ट गाइड प्रवीण कहते हैं कि देसी-विदेशी पर्यटकों का नालंदा, राजगीर व पावापुरी में कम से कम तीन-चार दिन ठहराव हो तो टूरिस्ट गाइड की जरूरत बढ़ जाएगी। इसके बाद नए लोग भी इस पेशे को अपनाना पसंद करेंगे।

गाइड प्रवीण मूलत: बिहारशरीफ के अंबेर मोहल्ले के बाशिदे हैं। नालंदा कॉलेज से टूरिज्म व ट्रैवेल मैनेजमेंट में ग्रेजुएशन किया है। बिहार टूरिज्म डिपार्टमेंट ने हाजीपुर के होटल मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट में टूर और होटल बुकिग की एक साल की स्पेशल ट्रेनिग दिलाई है। सात साल एयर इंडिया के बीपीओ में काम का अनुभव है।


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