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बालिका दिवस पर खाकी का अपनापा पाकर निहाल हुईं बेटियां

बिहारशरीफ। 60-62 बैच के 24 प्रशिक्षु डीएसपी के समूह ने सामाजिक संस्था चेतनालय की 39 छात्राओं के लिए राष्ट्रीय बालिका दिवस को यादगार बना दिया। खास यह कि विभिन्न कक्षाओं में पढ़ रहीं ये छात्राएं समाज में सबसे पिछड़े मांझी समुदाय की थीं। इन्हें बिहार पुलिस अकादमी शासन ने बकायदा बस भेजकर परिसर में आमंत्रित किया था।

By JagranEdited By: Published: Sun, 24 Jan 2021 11:08 PM (IST)Updated: Sun, 24 Jan 2021 11:08 PM (IST)
बालिका दिवस पर खाकी का अपनापा पाकर निहाल हुईं बेटियां
बालिका दिवस पर खाकी का अपनापा पाकर निहाल हुईं बेटियां

बिहारशरीफ। 60-62 बैच के 24 प्रशिक्षु डीएसपी के समूह ने सामाजिक संस्था चेतनालय की 39 छात्राओं के लिए राष्ट्रीय बालिका दिवस को यादगार बना दिया। खास यह कि विभिन्न कक्षाओं में पढ़ रहीं ये छात्राएं समाज में सबसे पिछड़े मांझी समुदाय की थीं। इन्हें बिहार पुलिस अकादमी शासन ने बकायदा बस भेजकर परिसर में आमंत्रित किया था। परिसर में आते के साथ सभी बेटियों को प्रशिक्षु डीएसपी के सोशल क्लब के सदस्यों ने उन्हें विशिष्ट होने का अहसास कराया। गुलाब का फूल देकर उनकी अगुवाई की गई। फिर सभी को प्रशासनिक भवन के सभागार में ले जाया गया। यहां उन्हें पुलिस व सिविल सर्विस के बारे में विस्तार से बताया गया। यह समझ विकसित करने की कोशिश की गई कि वे कैसे अपने जीवन का लक्ष्य तय करें और उस दिशा में किस तरह की तैयारी व पढ़ाई करें। बताया कि कोई भी प्रतियोगिता किसी को हराने नहीं, बल्कि खुद जीतने के अहसास के साथ करें। निश्चित सफलता मिलेगी। छात्राओं को नियमित अखबार पढ़ने की सलाह दी गई, ताकि वे देश-दुनिया की खबरों से अवगत होती रहें। एक महिला प्रशिक्षु डीएसपी ने कहा कि हर किसी के जीवन का मकसद होना चाहिए। खेलो, कूदो, खाओ-पीओ या पढ़ो, सब मन से करो। तब सबकुछ आत्मसात हो जाएगा, याद करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। खुद का उदाहरण दिया कि कैसे उन्होंने ट्रेनिग के दौरान 9 किलो वजन कम किया और अब वे 70 मिनट में 10 किलोमीटर के हर ट्रेनी को मिले लक्ष्य को पूरा करने का प्रयास कर रही हैं। उन्होंने सभी छात्राओं को अपने सहूलियत भरे जीवन से बाहर निकलकर परिश्रम करने की सीख दी।

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घुड़सवारी करा वीरांगना का अहसास कराया

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शैक्षिक सत्र के बाद छात्राओं को अकादमी परिसर में बने अस्तबल में ले जाया गया। यहां देसी-विदेशी नस्ल के दर्जन भर घोड़े सज-धजकर अपने केयरटेकर माउंटेड मिलिट्री पुलिस के जवानों के साथ खड़े थे। घोड़ों को देख छात्राएं खुशी से उछल पड़ीं। जिसने घुड़सवारी की इच्छा जताई, उन्हें घोड़ों पर बैठाया गया। 10वीं की छात्रा जूली ने कहा भी कि अब तक रानी लक्ष्मीबाई की घुड़सवारी के बारे में सुना था। आज खुद जीवन में पहली बार घोड़े पर बैठ वीरांगना होने का अहसास हो रहा है। यहां के बाद सारी छात्राओं को मेस में ले जाकर सम्मानपूर्वक भोजन कराया गया।

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छात्राओं के लिए हुई गणतंत्र दिवस की फुल ड्रेस रिहर्सल

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पुलिस अकादमी के झंडोत्तोलन ग्राउंड में छात्राओं के लिए विशेष तौर पर गणतंत्र दिवस की फुल ड्रेस रिहर्सल का आयोजन किया गया। सब कुछ गणतंत्र दिवस की परेड की तरह। महिला व पुरुष पुलिस बल की तीन टुकड़ियों ने अपने नायक के नेतृत्व में परेड की। सीनियर डीएसपी एडमिन स्मिता ने निदेशक की भूमिका में जिप्सी से टुकड़ियों का निरीक्षण व झंडोत्तोलन किया। माइक पर राष्ट्रगान गाया गया। इस दौरान सभी छात्राएं खड़ी हो गईं और तालियां बजाकर परेड कर रहे जवानों का हौसला बढ़ाया। अकादमी की ओर से सभी छात्राओं को एक-एक राष्ट्रध्वज भेंट किया गया।

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सिमुलेटर फायरिग व जिम देख रोमांच से भर गईं छात्राएं

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अंत में सभी छात्राओं को परिसर में बने अत्याधुनिक शूटिग रेंज व जिम में ले जाया गया। कसरत करने की तरह-तरह की मशीनों पर अभ्यास करके छात्राएं रोमांच से भर गईं। वहीं शूटिज रेंज में एयर प्रेशर से चलने वाली तरह-तरह की गन से बड़े से हॉल में निशानेबाजी देखी। कुछ छात्राओं ने खुद से लक्ष्य पर निशाना साधने का प्रयास भी किया। मुस्कुराती हुई छात्राओं ने यहां से निकलकर कहा कि अब तक ये सब फिल्मों में देखा था। सामने देखकर और खुद करके गजब का आत्मविश्वास भरा है। अब लगता है, हम भी पुलिस सेवा में जा सकते हैं। अंत में सभी छात्राओं को पुलिस अकादमी का लोगो लगा मोमेंटो देकर और दोबारा आने का वादा लेकर विदा किया गया।

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डीएम बनना चाहती है जूली मांझी

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बिहारशरीफ के संत मेरी स्कूल में 10वीं की छात्रा जूली मांझी ने जागरण से बातचीत में कहा कि वह 6 भाई-बहन है। इनमें से 4 बहनें चेतनालय में ही वर्षों से रहती आ रही हैं। पांचवीं तक की पढ़ाई चेतनालय में ही की। उसके बाद सीबीएसई माध्यम के स्कूल संत मैरी में चेतनालय प्रबंधन ने दाखिला करा दिया। लक्ष्य के बारे में पूछने पर बताया कि वह डीएम बनना चाहती है। ताकि समाज में पिछड़ गई जमात को मुख्य धारा में लाने का प्रयास कर सके। जूली राजगीर के उदनबीघा की है। उसके पिता महेश मांझी खेतिहर मजदूर हैं।

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बैंक मैनेजर बनेगी दोनों पैरों से दिव्यांग आरती

.... आरती दोनों पैरों से दिव्यांग है। परंतु चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान ऐसी कि सक्षम लोग भी प्रेरित हो जाएं। बताया कि वह एकंगरसराय के गोंदरबीघा की रहने वाली है। पिता का नाम मुरारी प्रसाद है। मेहनत-मजदूरी करते हैं। वह चार बहन व दो भाई है। कहा कि वह चेतनालय में 12 साल से रह रही है। अभी प्लस टू में है। हिदी भाषा की पढ़ाई अच्छी लगती है। भविष्य में बैंक मैनेजर बनना चाहती है। ...............

पार्वती के पिता नहीं, बनेगी पुलिस अफसर

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आठवीं की छात्रा पार्वती के पिता रामदेव मांझी की 2012 में मृत्यु हो चुकी है। वह नवादा जिले के बछवारा की निवासी है। छह भाई-बहन है। आगे पुलिस अफसर बनने का इरादा रखती है। ताकि समाज में सबको एक समान न्याय दिला सके।

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गरीब की बेटियों को गरिमापूर्ण जीवन देना इरादा : सिस्टर अग्निता

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सिस्टर अग्निता चेतनालय स्कूल की प्रिसिपल हैं। दिसंबर में ही ज्वाइन किया है। इससे पहले गया के नाजरथ अकादमी में शिक्षिका थीं। उन्होंने कहा कि गरीब व समाज के अंतिम कतार की बेटियों को गरिमापूर्ण जीवन देना हमारा एकमात्र लक्ष्य है। हम सोशल आउटटरिच प्रोग्राम के जरिए कुछ अच्छा करने व पढ़ने की चाहत रखने वाली बेटियों को चिह्नित कर अपने यहां लाती हैं। अभी चेतनालय के हॉस्टल में कुल 200 लड़कियां हैं। एडवाइजरी के अनुसार अभी इनमें 8, 9 व 10वीं कक्षा की छात्राएं ही बुलाई गई हैं। शेष अपने-अपने घरों में हैं। चेतनालय में पहली से पांचवीं तक की पढ़ाई होती है। जहां 250 बच्चे नामांकित हैं। इनमें कई डे स्कॉलर छात्र भी हैं। हॉस्टल सुविधा सिर्फ छात्राओं के लिए है। 5वीं से आगे की पढ़ाई की चाहत रखने वाली छात्राओं का नामांकन अन्य स्कूलों में चेतनालय प्रबंधन ही कराता है। उनकी पढ़ाई का खर्च वहन किया जाता है। नए साल में दायरा बढ़ाने की योजना है।


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