लावारिस नवजात बच्चों के लिए अस्पतालों में लगेगा पालना
बिहारशरीफ। जिला मुख्यालय सहित तमाम पीएचसी में पालना लगाए जाने की कवायद शुरू कर दी गई है। पालना लगाने
बिहारशरीफ। जिला मुख्यालय सहित तमाम पीएचसी में पालना लगाए जाने की कवायद शुरू कर दी गई है। पालना लगाने का मुख्य उद्देश्य है कि जो लोग अनचाहे बच्चे को लावारिस अवस्था में जहां-तहां मरने के लिए फेंक देते हैं, वैसे नवजात को सुरक्षा प्रदान करने के लिए समाज कल्याण विभाग के तहत संचालित बाल संरक्षण इकाई के नेतृत्व में इस कार्यक्रम की शुरुआत की गई है। जिला कल्याण शाखा के कर्मचारी शशि रंजन पांडेय ने बताया कि जो लोग अपने अनचाहे नवजात शिशु को रखना नहीं चाहते हो वे इस पालने में आकर अपने शिशु को रख दें। ऐसे शिशु के स्वास्थ्य की जांच कराकर बाल संरक्षण इकाई के द्वारा उसकी देखभाल के लिए मदर टेरेसा संस्थान को सौंपा जाता है। यह संस्थान 3 साल तक ऐसे लावारिस बच्चों का पालन पोषण करती है दत्तक ग्रहण कानून के तहत ऐसे बच्चों को गोद लिया जा सकता है। बताया गया कि सदर अस्पताल से लेकर प्रखंड के अस्पतालों में और ग्रामीण इलाकों के पीएचसी में एक-एक पालना लगाया जाएगा। उन्होंने बताया कि समाज में ऐसी घटना देखने को मिलती है जिसमें नवजात बच्चे या अनचाहे बच्चे के जन्म के बाद लोग मरने के लिए जहां-तहां फेंक देते हैं। इस पालना योजना से ऐसे बच्चों को नया जीवन मिलेगा।
हर पीएचसी में लगाया जाएगा एक-एक पालना : सिविल सर्जन डॉ. यूपी वर्मा ने कहा कि लावारिस व अनाथ बच्चों का ठीक ढंग से परवरिश हो सके इसके लिए सरकार की ओर से इस तरह की व्यवस्था की गई है। इस व्यवस्था के तहत सदर अस्पताल सहित प्रत्येक पीएचसी व एपीएचसी में एक-एक पालने लगाए जाएंगे। इसका मुख्य उद्देश्य लावारिस व अनाथ बच्चे का सही तरीके से परवरिश करना है। अस्पताल प्रशासन की ओर से बच्चों के लिए वस्त्र और दूध के अलावा उपचार की पूरी व्यवस्था की जाएगी। तीन साल के बाद बच्चों को अनाथ आश्रम में शिफ्ट करा दिया जाएगा।