व्रतियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को दिया अर्घ्य, पारण के साथ आज सम्पन्न हो जाएगा छठ व्रत
गुरुवार की शाम धूमधाम और आस्था के साथ अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया गया। शुक्रवार की सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर चैती छठ पर्व संपन्न हो जायेगा।बड़गांव घाट पर बड़गांव राजकीय मेला नव निर्माण समिति एवं गोपाल इंडस्ट्रीज की ओर से व्रतियों के बीच पूजन सामग्री व थैला आदि का वितरण किया गया। इसके अलावा ऐंजल योगा की ओर से प्याऊ की व्यवस्था की गई थी। यहां बता दें कि धीरे-धीरे चैती छठ का स्वरूप भी बड़ा होता जा रहा है।
नालन्दा : गुरुवार की शाम धूमधाम और आस्था के साथ अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया गया। शुक्रवार की सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर चैती छठ पर्व संपन्न हो जायेगा।बड़गांव घाट पर बड़गांव राजकीय मेला नव निर्माण समिति एवं गोपाल इंडस्ट्रीज की ओर से व्रतियों के बीच पूजन सामग्री व थैला आदि का वितरण किया गया। इसके अलावा ऐंजल योगा की ओर से प्याऊ की व्यवस्था की गई थी। यहां बता दें कि धीरे-धीरे चैती छठ का स्वरूप भी बड़ा होता जा रहा है। लोग इस पर्व को भी उतनी ही आस्था के साथ मनाते हैं जैसा काíतक मास में मनाया जाता है। बड़गांव तालाब घाट पर छठव्रतियों ने आस्था के साथ डुबकी लगायी। आस्था के महापर्व पर श्रद्धालुओं ने अस्तगामी सूर्य देवता को अर्घ्य दिया । बच्चें पटाखे फोड़ने में काफी मशगूल रहे तो महिलायें छठ मइया का गीत गाती रही। वहीं छठ वर्ती घंटों पानी में खड़ा होकर सूर्य देवता का ध्यान करती रही। बड़गांव मंदिर के पुजारी सह कार्यकारिणी सदस्य पिकेश पाठक ने बताया कि मूलरूप सूर्य षष्ठी व्रत होने के कारण इसे छठ कहा गया है।
पारिवारिक सुख-समृद्धि तथा मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए यह पर्व मनाया जाता है। स्त्री और पुरुष समान रूप से इस पर्व को मनाते हैं। छठ व्रत के सम्बन्ध में अनेक कथाएं प्रचलित हैं उनमें से एक कथा के अनुसार जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हार गये, तब श्री कृष्ण द्वारा बताये जाने पर द्रौपदी ने छठ व्रत रखा। तब उनकी मनोकामना पूरी हुईं तथा पांडवों को राजपाट वापस मिला। लोक परम्परा के अनुसार सूर्यदेव और छठी मईया का संबंध भाई-बहन का है। लोक मातृका षष्ठी की पहली पूजा सूर्य ने ही की थी। इधर बिहारशरीफ के बाबा मणिराम अखाड़ा छठ घाट, मोरा तालाब, सूर्य मंदिर आशानगर घाट आदि जगहों पर छठ र्वितयों ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्ध्य प्रदान किया। छठर्वितयों के लिए यहां पर सुरक्षा का पुख्ता बंदोबस्त किया गया था। महिलाओं के लिए चेंजर रूम के साथ पानी, बिजली आदि की पूरी व्यवस्था की गई थी।
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बड़गांव घाट प्रशासन कार्यालय में जमे रहे अधिकारी छठ पर्व पर सुरक्षा के मद्देनजर प्रशासन काफी चौकस नजर आया। घाट के बगल में ही कैम्प बनाया गया था। जहां एसडीएम संजय कुमार , डीसीएलआर राजगीर इफ्तिखार अहमद, सिलाव नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी राकेश कुमार शोहित, बीडीओ डॉ अंजनी कुमार, डीएसपी राजगीर सोमनाथ प्रसाद देर शाम तक जमे रहे। वहीं नालन्दा थाना प्रभारी दलबल के साथ गश्त लगते देखे गए।
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मेले के दौरान उचक्कों पर रही नजर, अफवाहों के बाजार रहा गर्म मेला परिसर में दिनभर उचक्कों के द्वारा छीन झपट का अफवाह फैला। हालांकि प्रशासन की मुस्तैदी से कोई घटना नही घटी। प्रथम अर्घ्य के दिन एक आंगनवाडी सेविका के मोबाइल छीनने की अफवाह फैली। परंतु थाना प्रभारी ने इसकी पुष्टि नही की। उन्होंने बताया कि यह मामला संदिग्ध है। थाने में इसकी कोई शिकायत नहीं कि गयी है।
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आदिग्रंथों में छठ की क्या है मान्यता छठ पूजा के दौरान केवल सूर्य देव की उपासना की जाती है, अपितु सूर्य देव की पत्नी उषा और प्रत्यूषा की भी आराधना की जाती है अर्थात प्रात:काल में सूर्य की प्रथम किरण ऊषा तथा सायंकाल में सूर्य की अंतिम किरण प्रत्यूषा को अर्घ्य देकर उनकी उपासना की जाती है।
छठ व्रती महिलाएं लगातार 36 घंटे का कठोर व्रत रखती हैं। इस दौरान वे पानी भी ग्रहण नहीं करती। पहला दिन नहाय-खाय के रूप में मनाया जाता है। अर्घ्य के लिए बांस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाया जाता है और व्रती के साथ परिवार तथा पड़ोस के सारे लोग अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने का ²श्य भक्तिमय होता है।
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डूबते सूर्य को क्यों अर्घ्य देते हैं?
मान्यता है कि सूर्य की एक पत्नी का नाम प्रत्यूषा है और ये अर्घ्य उन्हीं को दिया जाता है। संध्या समय अर्घ्य देने से विशेष तरह के लाभ होते हैं। इससे आंखों की रोशनी बढ़ती है. लम्बी आयु मिलती है और आíथक सम्पन्नता आती है। इस समय का अर्घ्य विद्यार्थी भी दे सकते हैं। इससे उनको शिक्षा में भी लाभ की संभावना बढ़ जाती है। माना जाता है कि सूर्य मुख्य रूप से तीन समय विशेष प्रभावशाली होता है - प्रात: , मध्यान्ह और सायंकाल।
प्रात:काल सूर्य की आराधना करने से स्वास्थ्य को बेहतर होता है. दोपहर की आराधना नाम-यश देती है। सायंकाल की आराधना सम्पन्नता प्रदान करती है.अस्ताचलगामी सूर्य अपनी दूसरी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं, जिनको अर्घ्य देना तुरंत प्रभावशाली होता है। जो लोग अस्ताचलगामी सूर्य की उपासना करते हैं, उन्हें प्रात:काल की उपासना भी जरूर करनी चाहिए।
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उदीयमान सूर्य को अर्ध्य देतीं छठव्रती फोटो: 16, 22 संवाद सूत्र, एकंगरसराय : ऐतिहासिक सूर्यनगरी औंगारीधाम घाट पर गुरुवार की शाम अस्ताचलगामी सूर्य को अर्ध्य दिया गया। वहीं तेल्हाड़ा, पिरोजा, धुरगांव, अमनार, उसमानपुर, धनगवां, ओप सूर्यमंदिर तालाबों में भी छठव्रतियों ने भगवान भास्कर की पूजा अर्चना की तथा अर्ध्य दिया। इस मौके पर विभिन्न घाटों पर आस्था का सैलाब देखने को मिला। पिछले वर्ष की तुलना में इस बार श्रद्धालुओं की भीड़ अधिक देखी गयी। यहां देश के विभिन्न भागों से लोग अर्ध्य देने आते हैं। दो दिनों पूर्व से ही घाट किनारे तंबू तान कर पूजा अर्चना में श्रद्धालु लगे हैं। औंगारीधाम मेले में प्रशासन की ओर से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये हैं। वहीं सामाजिक कार्यकर्ताओं का भरपूर सहयोग देखने को मिला। सुरक्षा के ²ष्टिकोण से सूर्यमंदिर के अन्दर व बाहर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। मेले में काफी संख्या में महिला पुलिस बल की भी तैनाती की गई है। तालाब घाटों के चारो तरफ रोशनी, तालाब में नाव, कई गोताखोर, पेयजल, स्वास्थ्य शिविर, कंट्रोल रूम, वाहन पाíकंग, शौंचालय,समेत कई व्यवस्थाएं देखने को मिली।
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राजगीर : लोक आस्था का महापर्व चैती छठ का चार दिनी अनुष्ठान के तीसरे दिन गुरुवार को अस्ताचलगामी सूर्यदेव को प्रथम अर्घ्यदान दिया गया। इससे पहले बुधवार को व्रती गुड़-दूध से बने खीर, घी वाली रोटी व अन्य प्रसाद आदित्य देव को भोग लगा कच्चा दूध या गंगाजल से अर्घ्य दान की। चैती छठ का निस्तार शुक्रवार की सुबह उदयाचल सूर्य को अर्घ्य देने के साथ हो जाएगा।
छठ व्रत को ले दुकानदार समिति के सदस्यों द्वारा सड़क की सफाई, धुलाई की गयी। इस कार्य में संजय कुमार, मो. जफ्फर आलम, महासचिव सूरज कुमार व सचिव गौरव कुमार के संयुक्त नेतृत्व में विक्की कुमार, सोनू कुमार चंद्रवंशी, अनमोल कुमार, सोनू यादव, लाला बाबू यादव, साहिल कुमार, राज कुमार, राजू रंजन उर्फ टुन्ना जी, पलन साव, अजीत कुमार सहित सभी लगे रहे।
इस दौरान समिति ने आज शुक्रवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य के बाद पारण करने वाली छठव्रतियों के लिए तड़के शुद्ध पेयजल की भी व्यवस्था करने का निर्णय लिया है।
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गिरियक : गुरुवार को अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अर्ध्य दिया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में महिला पुरुष बच्चे शामिल थे। भगवान महावीर के निर्वाण भूमि पावापुरी के 84 बीघा में फैले जल मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने अर्ध्य प्रदान किए। महापर्व के दूसरे दिन पावापुरी के जल मंदिर घाट पर पंचाने नदी स्थित त्रिवेणी धाम के घाट पर पोखरपुर, चोरसुआ, बकरा घाट पर भगवान भास्कर को प्रथम अर्घ्य प्रदान किया गया।