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वटवृक्ष की पूजा कर सुहागिनों ने मांगा अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद

बिहारशरीफ। बुधवार को सुहागिनों ने पति की लंबी उम्र के लिए वट वृक्ष की पूजा की। सुहागिनों ने वृक्ष में रक्षा सूत्र बांध आशीर्वाद मांगा। यह व्रत जिले भर में आज गुरुवार सुबह मनानी है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 09 Jun 2021 11:35 PM (IST)Updated: Wed, 09 Jun 2021 11:35 PM (IST)
वटवृक्ष की पूजा कर सुहागिनों ने मांगा अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद
वटवृक्ष की पूजा कर सुहागिनों ने मांगा अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद

बिहारशरीफ। बुधवार को सुहागिनों ने पति की लंबी उम्र के लिए वट वृक्ष की पूजा की। सुहागिनों ने वृक्ष में रक्षा सूत्र बांध आशीर्वाद मांगा। यह व्रत जिले भर में आज गुरुवार सुबह मनानी है। बुधवार को अमावस्या की तिथि अपराह्न करीब दो बजे से शुरू हुई। आज गुरुवार को भी अमावस्या है। लेकिन 1:42 बजे से सूर्यग्रहण लगने के कारण बहुतायत सुहागिनों ने इस व्रत के लिए बुधवार का ही चुनाव किया। चंडी के भगवान पुर निवासी एवं धर्म शास्त्र के जानकार रंजीत पांडेय ने बताया कि सावित्री-सत्यवान की कथा स्कंद पुराण में आती है।

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पति को दीर्घायु की कामना के लिए वट वृक्ष की पूजा की जाती है। इसे वट-सावित्री व्रत भी का जाता है। कहते हैं, मद्र देश (मद्रास अब चेन्नई) के राजा धृष्टद्युम्न की इकलौती संतान सावित्री थी जो आदि शक्ति मां गायत्री की अवतार थीं। सावित्री के तेज के भय से कोई भी राजकुमार उनसे विवाह करने को राजी नहीं था। इसलिए पिता ने उन्हें स्वयं वर चुनने की छूट दे दी। सावित्री ने सत्यवान को चुना जो था तो राजकुमार लेकिन पड़ोस के एक राजा ने उनके अंधे माता-पिता का राज हड़प लिया था। इस कारण सत्यवान मां पिता को लेकर वनवासी हो गए थे।

कथा के अनुसार, सत्यवान अल्पायु था और इस बात की मुनादी महर्षि नारद ने सावित्री को कर दी थी। लेकिन पति के रुप में सत्यवान को वरन कर चुकी सावित्री ने दूसरे वर चुनने से इन्कार कर दिया।

वटवृक्ष के नीचे ही यमराज ने सत्यवान के प्राण लेने आ गए। सावित्री पति की मौत के बाद यमराज के पीछे चल दी। सावित्री की पति भक्ति से प्रसन्न यमराज ने वरदान मांगने को कहा। सावित्री ने तीन वरदान मांगा जिसमें सबसे पहला था कि मैं सत्यवान के सौ पुत्रों की मां बनूं। यह वरदान देने के बाद यमराज सत्यवान को प्राण दान देने को विवश हो गए। सावित्री ने सास ससुर के आँखों की रोशनी एवं राजपाट ही वापस मांग ली।श्री पांडेय ने बताया कि वट वृक्ष के नीचे ही सत्यवान जीवित हुए थे तब से वट पूजा का चलन हो गया। बताया, दक्षिण भारत में यह व्रत ज्येष्ठ पूर्णिमा को मनाया जाता है। बताया कि वट वृक्ष के जड़ में भगवान ब्रह्म, तना में भगवान विष्णु एवं पत्तियों में भगवान शिव का निवास होता है। इसलिए वट वृक्ष को नष्ट नहीं करना चाहिए।

प्रकृति का वरदान है वट वृक्ष

पर्यावरण प्रेमी वट वृक्ष को प्रकृति का वरदान मानते हैं। इस कारण भी इसकी पूजा का विज्ञानी महत्व है। बरगद विशाल होता है। यह सैकड़ों साल तक जीवित रहता है। यही विज्ञानी कारण है कि सुहागिनें वट की पूजा कर अपने पति की उम्र वट वृक्ष की पाने का आशीर्वाद मांगती है। बरगद का एक पेड़ फैल कर बड़े भू-भाग में पसर सकता है। यह अपने आप में एक जंगल का निर्माण कर सकता है। साथ ही हजारों पशु-पक्षियों को आश्रय एवं भोजन प्रदान कर सकता है। बारिश करवाने एवं पृथ्वी की गर्मी कम करने की क्षमता इस पेड़ में है। पर्यावरण प्रेमी एवं मिशन हरियाली के प्रमुख राजीव रंजन भारती ने कहा कि बरगद कभी समाप्त ना होने वाला पेड़ है। क्योंकि यह अपनी शाखाओं को विस्तार देने के लिए नए स्तम्भ जड़ का निर्माण करता है। इस पेड़ पर पशु पक्षी आवास बनाना पसंद करते हैं। कहा, हर किसी को बरगद लगाना चाहिए। यह पर्यावरण को शुद्ध करने के लिए बहुत उपयोगी है।

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सुहागिनों ने ली वट वृक्ष लगाने का संकल्प

वट-सावित्री पूजा के दौरान सुहागिनें वट वृक्ष लगाने एवं उसकी रक्षा कर पेड़ बनाने तथा उसी का पूजन करने का संकल्प व्यक्त की हैं।

वट पूजन का विज्ञानी आधार

हरनौत के आदर्श नगर निवासी मुकेश कुमार पत्नी सृष्टि अनूपमा कहते हैं कि वट वृक्ष की पूजा का वैज्ञानिक आधार है मैं इस बार बट वृक्ष लगाओ गी और उसे पूजन करोगे सृष्टि हरनौत के लोयला हाई स्कूल में शिक्षिका हैं और बलवा पर के मूल वाशिन्दे हैं।

प्रकृति प्रेम का छुपा संदेश

शिक्षिका के पद पर नियोजित हरनौत निवासी विभा कुमारी कहती हैं कि वट सावित्री पूजा पति की दीर्घायु के लिए की जाती है। लेकिन इसमें प्रकृति प्रेम का संदेश भी छूपा है। पेड़ों से प्रेम करना चाहिए। मैँ भी वट वृक्ष लगाउंगी। विभा के पति पप्पु कुमार पीडीएस डीलर हैं।

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आश्रय का प्रतीक है वट वृक्ष

हरनौत के आदर्श नगर निवासी शिक्षक मुकेश कुमार की पत्नी सरोजिनी कुमारी गृहिणी हैं। इन्होंने भी वट- सावित्री व्रत रखा तथा वट वृक्ष लगाने का संकल्प लिया। कहती हैं, वटवृक्ष आश्रय दाता होता है। इसकी सेवा करनी ही चाहिए। इसके पूजन का बड़ा महत्व है।

वट पूजन से त्रिदेव होते प्रसन्न

हरनौत के रूपसपुर निवासी पवन कुमार की पत्नी अंजली कुमारी ने भी वट-सावित्री व्रत रखा। इन्होंने वट वृक्ष लगाने का संकल्प व्यक्त किया है। कहा, वट वृक्ष में त्रिदेव यानी ब्रह्म, विष्णु एवं महेश का निवास होता है। हालांकि इनकी जीविका लकड़ी के व्यवसाय से जुड़ा है । फिर भी इन्होंने हरे पेड़ों को बचाने का पक्ष रखा। इनका मानना है कि पेड़ से ही जीव जंतु की सुरक्षा है।

नहीं जाना पूजा के लिए दूर

हरनौत के पोरई निवासी पवन कुमार गुड्डू कुमार की पत्नी वर्षा देवी ग्रहणी है इन्होंने अपने घर के आगे वट वृक्ष लगाने का संकल्प व्यक्त किया कहा निकट में पेड़ होने से वट पूजा करने दूर नहीं जाना पड़ेगा। इनकी जीविका लकड़ी के व्यवसाय से चलता है।

पक्षियों का होगा बसेरा

चंडी प्रखंड के सुदूरवर्ती सरथा पंचायत के टांडा पर निवासी ग्रामीण आवास सहायक रामानंद कुमार की पत्नी प्रियंका भारती ने वट पूजन के बाद कहा कि वट वृक्ष लगा उसकी पूजा करूंगी। पड़ोस की महिलाओं को भी प्रेरित कर पेड़ लगवाऊंगी। कहा, बरगद के पेड़ अधिक होने से पक्षियों का बसेरा बनेगा।


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