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गायक उदित नारायण ने कहा - गीतकारों को राजनीति से कोई मतलब नहीं

गायक और बिहार की नामचीन हस्तियाों में शामिल उदित नारायण राजगीर महोत्सव में भाग लेने पहुंचे। उन्होंने बताया कि बिहार की मिट्टी में ही वो मिठास है जिसने मेरी आवाज को मधुर बनाया।

By Kajal KumariEdited By: Published: Sat, 26 Nov 2016 08:54 AM (IST)Updated: Sat, 26 Nov 2016 10:36 PM (IST)
गायक उदित नारायण ने कहा - गीतकारों को राजनीति से कोई मतलब नहीं

नालंदा [मुकेश/जनमेजय]। रोमांटिक गानों को अपनी आवाज देकर लोगों को दीवाना बनाने वाले मशहूर बॉलीवुड गायक उदित नारायण शुक्रवार को राजगीर पहुंचे। राजगीर महोत्सव में अपनी आवाज का जादू बिखेरने आए उदित ने कुल 36 भाषाओं में गीत गाए हैं।

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पद्मश्री, पद्म विभूषण व तीन बार राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित बिहार के उदित कहते हैं कि उनकी आवाज में जो मिठास आई वह बिहार की देन है।

रेडियो पर पहली बार गया था मैथिली गीत

किसान परिवार में जन्मे उदित ने अपने पारंपरिक पेशे को छोड़ संगीत का रास्ता चुना। वह बताते हैं, नेपाल के काठमांडू रेडियो स्टेशन में अपने पहले मैथिली गीत सुन-सुन पनभरनी गे... को वहां के लोगों ने काफी सराहा। इसके बाद भारतीय विद्या भवन चैपाटी में संगीत की ट्रेनिंग लेने के बाद उनकी आवाज में और निखार आया। वर्ष 1988 में मो. रफी के साथ उन्हें गीत गाने का मौका मिला।

पापा कहते हैं... गीत ने दिलाई अलग पहचान

उन्होंने बताया कि फिल्म कयामत से कयामत तक के गीतों ने पूरे देश में प्रसिद्धि दिलाई। इस फिल्म का गाना पापा कहते हैं बड़ा नाम करेगा, बेटा हमारा ऐसा काम करेगा... उस समय के हर नौजवान की जुबान पर था।

उदित नारायण से बातचीत के अंश:

सवाल : ज्ञान की धरती पर आकर आप कैसा महसूस कर रहे हैं?

जवाब : यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे इस ज्ञान की धरती नालंदा आने का अवसर मिला। इसके लिए बिहार सरकार व पर्यटन विभाग का अभारी हूं। नालंदा व राजगीर के बारे में बहुत कुछ सुना था।

कौन-सा गीत आप अक्सर गुनगुनाते हैं?

जवाब : वैसे मैंने सैकड़ों गीत गाए, लेकिन कयामत से कयामत तक फिल्म के गीत- पापा कहते हैं बड़ा काम काम करेगा... ने मुझे अलग पहचान दिलाई। इसलिए अक्सर यह गीत मेरे जुबान पर रहता है।

क्या आपने थियेटर में भी गीत गाया है?

-अपने संघर्ष के दौर में फारबिसगंज के विमला थियेटर में मुझे गाने का मौका मिला। वहां मेरी आवाज को काफी सराहा गया।

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-मैं बिहार के सुपौल जिला के छोटे से कस्बे बायसी गांव का रहने वाला हूं। मेरे पिता किसान थे और मां घरेलू महिला थीं। मैं अक्सर अपनी मां के साथ छठ व दुर्गापूजा के मौके पर गीत गाया करता था। सच कहूं तो मैं अपने पिता के अनुरूप नहीं बन पाया। पिता चाहते थे कि मैं डॉक्टर या इंजीनियर बनूं, लेकिन मेरा झुकाव शुरू से संगीत की ओर था।

आपकी आवाज की मिठास का राज क्या है?

मैं बिहार में पैदा हुआ हूं। यहां की माटी ने ही मेरे आवाज को मधुर बनाया है। इसका मैं हमेशा आभारी रहूंगा।

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आप बिहार में लागू पूर्ण शराबबंदी को किस रूप में देखते हैं?

मुस्कुराते हुए, गीतकारों को राजनीति से कोई मतलब नहीं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक योग्य व सुलझे राजनेता हैं। उनके फैसले का सम्मान करता हूं। एक बात साफ करना चाहूंगा कि जो लोग कई सालों से शराब के आदी हैं, उनके लिए एकाएक पूर्ण शराबबंदी उचित नहीं है।


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