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रानी विक्टोरिया के बिहार क्लब को ब्रिटिश वास्तुकला से संवारेगा निगम

बिहारशरीफ। समय बदला, तारीखें बदली, दिन और वर्ष भी बदले लेकिन 117 वर्षों में नहीं बदला तो वो है ब्रिटिश रानी विक्टोरिया का गिफ्ट किया हुआ बिहार क्लब। रानी ने वर्ष 1901 में इस क्लब की बि¨ल्डग बिहारशरीफ के एसडीओ के हवाले की थी। शुरुआत में यहां सिर्फ अंग्रेज अफसरों व उनके परिजनों को आने-जाने की अनुमति थी।

By JagranEdited By: Published: Sun, 16 Sep 2018 06:29 PM (IST)Updated: Sun, 16 Sep 2018 06:29 PM (IST)
रानी विक्टोरिया के बिहार क्लब को ब्रिटिश वास्तुकला से संवारेगा निगम
रानी विक्टोरिया के बिहार क्लब को ब्रिटिश वास्तुकला से संवारेगा निगम

बिहारशरीफ। समय बदला, तारीखें बदली, दिन और वर्ष भी बदले लेकिन 117 वर्षों में नहीं बदला तो वो है ब्रिटिश रानी विक्टोरिया का गिफ्ट किया हुआ बिहार क्लब। रानी ने वर्ष 1901 में इस क्लब की बि¨ल्डग बिहारशरीफ के एसडीओ के हवाले की थी। शुरुआत में यहां सिर्फ अंग्रेज अफसरों व उनके परिजनों को आने-जाने की अनुमति थी। देश आजाद हुआ तो यह आम लोगों के लिए उपलब्ध तो हो गया परंतु इस ऐतिहासिक क्लब के जीर्णोद्धार के लिए ठोस कदम नहीं उठाए जा सके। आज भी बिहार क्लब में रानी विक्टोरिया की कई ग्रुप फोटो यादगार लम्हों के रूप में टंगी हैं। इन दिनों शहर को स्मार्ट बनाने की कवायद के बीच 'बिहार क्लब' को 'विक्टोरिया क्लब' के तर्ज पर विकसित कर सहेजने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए बिहार क्लब को ब्रिटिश वास्तुकला के अनुसार नया लुक दिया जाएगा ताकि इसे देखने आने वाले अपने अतीत पर गौरव कर सकें।

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नगर आयुक्त सौरभ जोरबाल ने कहा कि विरासत और ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण की जवाबदेही सरकार और समाज दोनों की बनती है। ऐसी स्थापना किसी भी सभ्यता की निशानी होती हैं। यही नहीं युवा पीढ़ी को इनसे कई चीजें सीखने का मौका भी मिलता है। कहा कि इस विरासत को सुरक्षित और संरक्षित करने का मुख्य उद्देश्य इतिहास को सहेज कर रखना है। क्लब के सचिव रंजीत ¨सह ने कहा कि धरोहरों के मामले में नालंदा की वैश्विक पटल पर अहम पहचान रही है। विरासत वर्षो से अर्जित की गई सम्पदा होती है और यह अलग-अलग दौर के इतिहास की गवाह देती हैं।

विक्टोरिया से बिहार क्लब तक का सफर : वर्तमान में बिहार क्लब कभी विक्टोरिया क्लब के नाम से जाना जाता था। इसके इतिहास से अधिकांश लोग अंजान होंगे लेकिन इतिहास के पन्नों में इसका जिक्र •ारूर है। 1901 के बाद आजादी तक इस क्लब का नाम विक्टोरिया क्लब हुआ करता था। इस क्लब के अंदर प्रवेश करते सहसा दीवारों पर टंगी तस्वीरों पर नजर चली जाती है। इन तस्वीरों में क्लब परिसर में बना लॉन टेनिस कोर्ट व रानी विक्टोरिया की ग्रुप फोटोग्राफ शामिल हैं। कहा जाता है कि उस जमाने में यह आसपास के जिलों का इकलौता टेनिस कोर्ट था। परंतु आजादी के बाद इस क्लब कल्चर को कायम रखने का प्रयास नहीं हुआ। अगर यह टेनिस कोर्ट बरकरार रहता तो नालंदा की धरती से भी सानिया मिर्जा व महेश भूपति सरीखे खिलाड़ी सामने आ सकते थे।

क्या है योजना :

नगर आयुक्त ने बताया कि सितम्बर महीने के आखिरी तक टेंडर निकाला जाएगा। भवन को ब्रिटिश लुक देने के लिए ब्रिक्स, लाइट, आर्किटेक्चर और प्लांट्स का खास ध्यान रखा जाएगा। उन दिनों की फोटोग्राफ्स की विशेष प्रदर्शनी लगाई जाएगी। एक ई-लाइब्रेरी का भी निर्माण किया जाएगा। स्वि¨मग पुल के लिए एक ट्रेनर की बहाली भी की जाएगी। इस भवन की लाइ¨टग भी आकर्षण का केंद्र होगी। क्लब तक पहुंचने वाले रास्तों के दोनों तरफ 1910 के दशक में लगी स्ट्रीट लाइट की तरह की खूबसूरत नक्काशीदार स्ट्रीट लाइट लगाई जाएगी।


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