लाखों का कारोबार कराए अतासराय, व्यवस्था कारोबारियों को नहीं सुहाए
बिहारशरीफ। जो दिखता है वह बिकता है। बदलते रिटेल बाजार का यह सूत्र वाक्य है। पशु मेले में भी जो दिखता है वही बिकता है लेकिन कीमत बिचौलिए के गमछे में छुपी रहती है। कंधे से गमछी उतारी और अंगुली पकड़कर दाम तय कर दिया।
बिहारशरीफ। जो दिखता है, वह बिकता है। बदलते रिटेल बाजार का यह सूत्र वाक्य है। पशु मेले में भी जो दिखता है, वही बिकता है लेकिन कीमत बिचौलिए के गमछे में छुपी रहती है। कंधे से गमछी उतारी और अंगुली पकड़कर दाम तय कर दिया। मोल-भाव का यह तौर-तरीका वर्षों पुरानी परंपरा को जीवित रखे हुए है। इस्लामपुर नगर पंचायत क्षेत्र की वार्ड संख्या एक अतासराय में प्रत्येक सोमवार को पशु हाट लगता है। यहां बकरी से लेकर गाय व भैंस तक खरीद-बिक्री होती है। बैल का जमाना लद गया। इसके अलावा पशुओं की साज-सज्जा के लिए भी पशुपालक यहां आते हैं। हाट में पशुओं के साज-श्रृंगार के सामान खूब बिकते हैं। इनमें मोती का माला, शंख व कौड़ी की सर्वाधिक मांग होती है। पशु हाट वाले दिन किसान यहां बिक्री के लिए शाक-सब्जी भी लेकर आते हैं। अन्य सामान भी मिलते हैं।
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छह से सात दशक से लगता आ रहा मेला, बस स्टैंड हटा
इस्लामपुर के अतासराय में पशुओं का बाजार कब से लग रहा है, इसकी मुक्कमल जानकारी उपलब्ध नहीं है। लेकिन पुराने लोग बताते हैं कि यह पशु हाट 6-7 दशकों से लगता आ रहा है। इसके सैरात की बंदोबस्ती इस्लामपुर नगर पंचायत करता है। बीते साल नवंबर में नगर पंचायत शासन ने बाजार से बस स्टैंड को हटाकर पशु हाट में कर दिया था। कुछ दिनों तक तो ठीक-ठाक रहा। लेकिन स्थानीय बस संचालकों ने यहां से बस स्टैंड हटा लिया। अब मलिकसराय में मुख्य सड़क पर बस लगनी शुरू हो गई है।
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ढाई एकड़ का पशु हाट अतिक्रमण का शिकार
पशु हाट ढाई एकड़ रकबे में फैला है। जमीन सरकारी है। धीरे-धीरे भूमि अतिक्रमण का शिकार हो रही है। कई बार हाट की जमीन को प्रशासन ने मुक्त कराया है, लेकिन दोबारा पहले से अधिक हाट की भूमि अतिक्रमित कर ली गयी है।
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आठ घंटे के लिए सज जाती हैं हजार दुकानें
हाट के दिन सोमवार को यहां लगभग एक हजार छोटी-बड़ी दुकानें सज जाती हैं। आठ घंटे के इस हाट में लोगों को सूई से लेकर जरूरत के हर सामान मिल जाता है। वहीं इसके सहारे बड़ी संख्या में लोग रोजगार से जुड़ते हैं। बुजुर्गों की मानें तो पहले प्रखंड के धमौली, इचहोस, रानीपुर, मखदुमपुर, काजीचक, मनिचक, खटोलना बिगहा, हेरथु समेत दर्जनों गांव के लोग यहां खरीद-फरोख्त को आते थे। अतासराय व आसपास के लोगों की आजीविका भी हाट से जुड़ी थी। अब इसमें कुछ कमी आई है।
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शेड जर्जर, झोपड़ी खस्ताहाल, बरसात में हो जाता बेहाल
2019-20 वित्तीय वर्ष में पशु मेले की बंदोबस्ती 71 लाख में हुई थी। कोरोना व लॉक डाउन के कारण समय पर बंदोबस्ती नहीं हो सकी। मेला भी बंद रहा। इस कारण इस साल मात्र 45 लाख में ही मेला बंदोबस्त हो सका। परंतु सालाना बड़े राजस्व की प्राप्ति के बाद भी हाट का विकास नहीं हो पाया है। पूर्व में बना शेड पूरी तरह जर्जर हो चुका है। झोपड़ी भी खस्ताहाल है। जल निकासी की समुचित व्यवस्था नहीं रहने के कारण बारिश के बाद हाट में प्रवेश करना मुश्किल हो जाता है। हर हफ्ते हाट के बाद गंदगी का अंबार लग जाता है। सफाईकर्मी औपचारिकता पूरी करते हैं। इससे व्यवसाय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इतना ही नहीं हाट में पेयजल, शौचालय व रौशनी तक की सुविधा नहीं है। जबकि बड़ी संख्या में महिलाएं हाट करने पहुंचती हैं। सरकारी स्तर पर प्रत्येक वर्ष हाट का डाक किया जाता है लेकिन हाट में आधारभूत संरचना के अभाव के कारण हाट से लोग विमुख होते जा रहे हैं। लोगों ने प्रशासन से इस्लामपुर पशु हाट में आवश्यक सुविधाओं की मांग सहित इसके स्वरूप में परिवर्तन लाने की मांग की है।
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अधिकारी बोले
इस्लामपुर नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी नवीन कुमार ने कहा कि अतासराय में पशु हाट की व्यवस्था सुदृढ़ करने की योजना बन रही है। पेयजल व शौचालय की मूलभूत सुविधाएं जल्द ही बहाल कर दी जाएगी।