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फणीश्वरनाथ रेणु की 95वीं जयंती मनी

नालंदा। शुक्रवार को स्थानीय मोगलकुआं स्थित नाई महासभा कार्यालय के सभागार में राष्ट्रीय नाई म

By Edited By: Published: Fri, 04 Mar 2016 06:08 PM (IST)Updated: Fri, 04 Mar 2016 06:08 PM (IST)
फणीश्वरनाथ रेणु की 95वीं जयंती मनी

नालंदा। शुक्रवार को स्थानीय मोगलकुआं स्थित नाई महासभा कार्यालय के सभागार में राष्ट्रीय नाई महासभा के तत्वावधान में कथाशिल्पी फणीश्वरनाथ रेणु की 95वीं जयंती का आयोजन नाई महासभा के जिला उपाध्यक्ष प्रो. महेश्वर ठाकुर की अध्यक्षता में हुई। इस मौके पर शिक्षाविद राकेश बिहार शर्मा ने कहा कि साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर पद्दश्री फणीश्वरनाथ रेणु की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि देश की आजादी में अहम भूमिका निभाने वाली और आंचलिक भाषा को देश विदेशि में पहुंचाने वाले इस महान विभूति की याद को संजोने की आवश्यकता है। वे स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में सहभागी बने। वर्ष 1950 में उस नेपाली क्रांतिकारी आंदोलन में भी हिस्सा लिया जिसके फलस्वरूप नेपाल में जनतंत्र की स्थापना हुई। रेणु जी की लेखन शैली विवराणात्मक थी। रेणु साहित्य में आंचलिक स्वर के अप्रतिम ध्वज वाह है उनकी स्मृति हमें सदैव नवीन उर्जा से भरती है। उनकी प्रसिद्ध कहानियों में मारे गए गुलफाम (तीसरी कसम) एक आदम रात्रि की महक लाल पान की बेगम तबे एकला चलो रे पंचलाइट ठेस आदि है। इस अवसर पर बिहार अराजपत्रित शिक्षक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष हरेन्द्र चौधरी, राष्ट्रीय नाई महासभा के प्रदेश सचिव विनय कुमार आलोक, समाजसेवी राजेश ठाकुमार, सुधीर कुमार, दिनेश कुमार अजित कुमार मिश्रा सहित दर्जनों लोग मौजूद थे।

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