प्रेम विवाह के बाद जन्मी बच्ची का पिता होने से युवक का इन्कार, डीएनए टेस्ट में पिता होने की पुष्टि, अब आगे क्या... जानें
दस साल से कानूनी लड़ाई लड़ रही युवती को न्याय मिलने की जगी आस। हाईकोर्ट के आदेश से माता-पिता व बच्ची का कराया गया था डीएनए टेस्ट।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। दस साल पहले प्रेमजाल में गांव की युवती को फंसाया। अंतरजातीय होने से परिवार वाले जब राजी नहीं हुए तो बगावत कर घर से भागकर दोनों ने शादी की। इसके बाद एक बच्ची जन्म लिया। युवक का मन बदला। उसने शादी करने व उस बच्ची का पिता होने से इन्कार कर दिया। परिवार के दबाव में पत्नी को जाति सूचक शब्दों से अपमानित कर दूसरी लड़की से शादी रचाकर बाहर रहने लगा।
कानूनी लड़ाई
कुछ दिन तो युवती ससुराल में रही, लेकिन ससुर की बुरी नीयत ने वहां से भागने पर मजबूर कर दिया। हालांकि इसके बाद भी वह हिम्मत नहीं हारी। अपनी बेटी को पिता का नाम दिलाने व पति को सबक सिखाने के लिए 2015 में कानूनी लड़ाई शुरू की। पति, सास, ससुर व भैंसुर के खिलाफ दो जनवरी 2015 को औराई थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई। इसके बाद परिवार न्यायालय में भरण-पोषण वाद दाखिल किया। डीएनए टेस्ट के आधार पर उक्त युवक को ही बच्ची का जैविक पिता माना गया है। तीन फरवरी को विशेष कोर्ट (एससी एसटी) डीएनए टेस्ट रिपोर्ट व युवक की औपबंधिक जमानत के मामले को लेकर सुनवाई करेगी।
हाईकोर्ट के आदेश पर कराया गया डीएनए टेस्ट
मामला औराई थाना क्षेत्र के एक गांव का है। युवती के पति फणिभूषण शाही ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दाखिल की। इस पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत मंजूर नहीं की, लेकिन उसे सशर्त औपबंधिक जमानत दे दी। हाईकोर्ट की शर्त थी कि अगर डीएनए टेस्ट बच्ची से मैच नहींं करता है तो उसकी औपबंधिक जमानत अग्रिम जमानत में कंफर्म हो जाएगी।
अगर यह मैच नहीं हुआ तो फणिभूषण को निचली अदालत में आत्मसमर्पण कर नियमित जमानत की प्रार्थना वाली अर्जी दाखिल करनी होगी। हाईकोर्ट के समक्ष दंपती ने बच्ची के डीएनए टेस्ट कराने पर सहमति दे दी। इसके आधार पर फॉरेंसिंक साइंस लेबोरेट्री में कराए गए डीएनए टेस्ट में फणिभूषण को उस बच्ची का जैविक पिता माना गया है।
जगी न्याय की आस
युवती ने कहा कि वह पिछले दस साल से न्याय पाने के लिए संघर्ष कर रही है। डीएनए टेस्ट उसके पक्ष में आया है। इससे उसे न्याय व बेटी को पिता का नाम मिलने की आस जगी है। आगे भी उसकी कानूनी लड़ाई जारी रहेगी। उसके भरण-पोषण वाद में परिवार न्यायालय ने उसके पक्ष में आदेश दिया है। इसके तहत फणिभूषण को उसे भरण-पोषण की राशि देना है। इसके बावजूद उसे राशि नहीं दी जा रही है। तीन लाख से अधिक रुपये बकाया है। उसके खिलाफ कोर्ट ने वारंट जारी कर रखा है। आरोप लगाया कि औराई थानाध्यक्ष इस वारंट का तामिला नहीं करा रहे हैं।