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पश्चिम चंपारण के वाल्मीकिनगर में मिला दुर्लभ प्रजाति का पीला कछुआ, जानिए यह किस तरह औरों से है अलग

इसका वजन 20 किलोचाल भी तेज। दुर्लभ प्रजाति के कछुए को देख वन विभाग के अधिकारी गदगद। वाल्मीकिनगर रेंजर महेश प्रसाद ने बताया कि पीले रंग का कछुआ आमतौर पर दिखाई नहीं देता है। भारत में बहुत ही कम जगह ऐसे कछुए मिलते हैं।

By Ajit KumarEdited By: Published: Fri, 09 Oct 2020 02:35 PM (IST)Updated: Fri, 09 Oct 2020 02:35 PM (IST)
पश्चिम चंपारण के वाल्मीकिनगर में मिला दुर्लभ प्रजाति का पीला कछुआ, जानिए यह किस तरह औरों से है अलग
पश्चिम चंपारण के मुख्य तिरहुत नहर के छह आरडी नहर में मिला यह कछुआ।

पश्चिम चंपारण, जेएनएन। वाल्मीकिनगर स्थित तिरहुत नहर में एक दुर्लभ प्रजाति के पीले रंग के कछुए को देखा गया। स्थानीय लोगों ने उसे सुरक्षित बचाकर वन विभाग के हवाले कर दिया। शुक्रवार की सुबह स्थानीय लोगों ने को मुख्य तिरहुत नहर के छह आरडी नहर में एक कछुआ देखा। कुछ अलग प्रजाति के कछुए को देखकर लोगों में उत्सुकता दिखी। वे उसे पकड़कर ले गए और इसकी जानकारी वन विभाग को दी । सूचना के बाद वन विभाग की टीम मौके पर पहुंच कर कछुए को अपने कब्जे में लेकर जटाशंकर जंगल में छोड़ दिया।

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 इस बाबत वाल्मीकिनगर रेंजर महेश प्रसाद ने बताया कि मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम ने कछुए के ऊपर लगे कीचड़ को धोया तो वह पीले रंग का निकला। बताया कि पीले रंग का कछुआ आमतौर पर दिखाई नहीं देता है। भारत में बहुत ही कम जगह ऐसे कछुए मिलते हैं। वनकर्मियों ने बताया कि उन्होंने इस तरह का कछुआ पहली बार देखा है। यह दुर्लभ प्रजाति का है। इसका वजन 20 किलो से अधिक है। वहीं उसकी चाल भी तेज है। प्रकृति प्रेमी मनोज कुमार ने बताया कि कछुआ की प्रजातियों में इससे अधिक वजनी कछुआ मिलते हैं। लेकिन वाल्मीकि नगर में मिले 20 किलो से अधिक वजन का कछुआ अपने आप में दुर्लभ प्रजाति का है। 


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