साल-दर-साल बीत गए लेकिन नहीं बुझी शहरवासियों की प्यास
मुजफ्फरपुर। साल-दर-साल बीतते गए, लेकिन शहरवासियों की प्यास नहीं बुझी। इसके लिए मिली राशि को पानी की
मुजफ्फरपुर। साल-दर-साल बीतते गए, लेकिन शहरवासियों की प्यास नहीं बुझी। इसके लिए मिली राशि को पानी की तरह बहा दिया गया। कई योजनाएं बनीं। योजना मद में सरकार ने एक अरब से अधिक रुपये दिए। योजनाओं को कार्यरूप देने के लिए एजेंसियां बदलती गई, पैसे खर्च होते गए, लेकिन योजना जमीन पर नहीं उतर पाई। इस हालत के लिए नगर निगम, पीएचईडी व बुडको जिम्मेदार है।
सिस्टम में बीमारी से नहीं मिला लाभ
जलापूर्ति योजनाओं पर लाखों रुपये खर्च किए जा चुके हैं। सिस्टम में बीमारी के कारण योजनाओं का लाभ शहरवासियों को नहीं मिल रहा है।
जलापूर्ति योजना फेज वन व टू : पेयजल की कमी को पूरा करने के लिए सरकार ने दो फेज में जलापूर्ति योजना पर पीएचईडी के माध्यम से 28 करोड़ रुपये खर्च किए। योजना के तहत बनाए गए पंप असमय दम तोड़ गए।
समविकास योजना : शहर में आधा दर्जन पंप हाउस समविकास योजना के तहत स्थापित कराए गए। निगम व पीएचईडी के बीच हस्तांतरण विवाद के कारण योजना लंबे समय तक लटकी रही। विवाद के बाद कुछ पंप चालू हुए।
98 करोड़ की जलापूर्ति योजना : जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन के अंतर्गत शहर को 98 करोड़ रुपये का आवंटन प्राप्त हुआ। योजना के अंतर्गत शहर में जलापूर्ति पाइपलाइन बिछाने के साथ-साथ दस जलमीनार व 29 पंप हाउसों का निर्माण किया जाना है। योजना का डीपीआर एनबीसीसी ने बनाया था। बाद में सरकार ने योजना उससे वापस लेकर इसका जिम्मा बिहार शहरी आधारभूत संरचना लिमिटेड को सौंप दिया। बुडको द्वारा कार्य के लिए पिछले साल 59 करोड़ का टेंडर निकाला गया। इसके बाद नगर निगम, बुडको व निर्माण एजेंसी आइवीआरसीएल के बीच करार के बाद काम शुरू हुआ। एकरारनामा के अनुसार दो साल की समय सीमा यानी 19 दिसंबर 2013 तक योजना को पूरा करने की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन एजेंसी दस प्रतिशत काम भी नहीं कर पाई। बाद में योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
जलापूर्ति योजना के लिए एक दशक में सरकार से प्राप्त राशि :
12वें वित्त आयोग से प्राप्त
वर्ष 2006-07 : तीन करोड़ रुपये
वर्ष 2007-08 : पांच करोड़ रुपये
राज्य वित्त आयोग से प्राप्त राशि
वर्ष 2007-08 : 8 करोड़ रुपये
वर्ष 2008-09 : 12 करोड़ रुपये
वर्ष 2010-11 : 98 करोड़ रुपये