खुद के लिए बना लिए कृषि यंत्र, दूर हुई परेशानी, छह साल की मेहनत से मिली सफलता
रामनगर के विनय ने सुगरकेन प्लांटर पेयर रो और जनरल पीटीओ पावर वीडर बनाया। जोताई व गन्ने की बोवाई में आने वाले खर्च में आई कमी। कई जगह विनय हो चुके सम्मानित।
पश्चिम चंपारण, [गौरव]। जुनून हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं। उम्र भी बाधक नहीं बनती। इसे साबित किया है रामनगर प्रखंड के सिगड़ी बहुअरी गांव निवासी 61 वर्षीय किसान विनय पांडेय ने। उन्होंने खेती में आ रहे खर्च को कम करने के लिए दो यंत्र विकसित किए हैं। इससे सिंचाई, जोताई और बोवाई में आने वाले खर्च में काफी कमी आई है। इन यंत्रों को कई जगह प्रदर्शित भी कर चुके हैं, जहां कृषि विशेषज्ञों से सराहना मिली है। कई जगह सम्मानित हो चुके हैं।
खर्च से परेशान हो छोड़ दी थी गन्ने की खेती
स्नातक पास विनय पांडेय बड़े किसान हैं। करीब 20 एकड़ में खेती करते हैं। वर्ष 1990 में गन्ने की खेती शुरू की। कुछ वर्षों तक तो ठीक रहा। बाद में मजदूरी का बढ़ता खर्च और सिंचाई में दिक्कत के कारण नुकसान झेलना पड़ा। इसके चलते वर्ष 2007 में उन्होंने गन्ने की खेती छोड़ दी। इसके बाद नरकटियागंज की स्वदेशी चीनी मिल के तकनीकी विभाग से जुड़ गए। चीनी मिल में ही सिंचाई खर्च में कटौती के लिए जेनरेटर पर अनुसंधान किया। उन्होंने ऐसे जेनरेटर पर काम किया जिसमें मात्र 350 मिलीलीटर डीजल प्रति घंटे खर्च कर पानी के तीन मोटर चलाए जा सकें।
इससे न सिर्फ सिंचाई की लागत कम हुई, बल्कि पर्यावरण बचाने में भी सहयोग मिला। इसके लिए उन्हें पूसा कृषि अनुसंधान केंद्र में सम्मानित किया गया। वर्ष 2012 में 'चंपारण रत्न' से सम्मानित किया गया। इसी वर्ष उन्होंने दोबारा गन्ने की खेती की तरफ ध्यान देने की सोची। इसके लिए ऐसा कृषि यंत्र बनाने पर विचार किया, जिससे मजदूरों की जरूरत खत्म हो जाए। छह साल की मेहनत से सुगरकेन प्लांटर पेयर रो और जनरल पीटीओ पावर वीडर बना डाला। इन यंत्रों के लिए सामग्री की खरीदारी दिल्ली और स्थानीय बाजार से की। इस पर उन्होंने कुल 85 हजार रुपये खर्च किए।
उनका कहना है कि इसके समान जो यंत्र बाजार में उपलब्ध हैं, उनकी कीमत तकरीबन एक लाख 40 हजार है। सुगरकेन प्लांटर पेयर रो गन्ना बोवाई के लिए बेहतर यंत्र है। साथ ही यह खरपतवार जड़ से नष्ट कर देता है। जनरल पीटीओ पावर वीडर से जोताई होती है। कृषि वैज्ञानिकों ने बढ़ाया हौसला इन कृषि यंत्रों को बीते दिसंबर में उन्होंने फूलगेंदा सिंह कृषि अनुसंधान केंद्र, तमकुहीराज, यूपी में प्रदर्शित किया। इससे वहां एक एकड़ में गन्ने की बोवाई भी की गई। वहां इसकी तारीफ लखनऊ रिसर्च सेंटर से आए डायरेक्टर ने भी की। पूसा कृषि अनुसंधान केंद्र के डॉ. सुभाष चंद्रा भी उनके यंत्रों की तारीफ कर चुके हैं।
गन्ने के उपज में बना चुके कीर्तिमान
विनय बीते वर्ष एक हेक्टेयर में 1202 क्विंटल गन्ने की पैदावार कर कीर्तिमान बना चुके हैं। कम लागत पर हर साल गन्ने की अच्छी पैदावार कर रहे। क्षेत्र के कई किसान उनके पास आधुनिक विधि से गन्ने की खेती के गुर सीखने आते हैं। फिलहाल हार्वेस्टिंग एवं क्लीनिंग यंत्र पर काम कर रहे विनय कहते हैं कि सरकार को किसानों को सब्सिडी देने के बजाय अच्छे यंत्र विकसित करने पर जोर देना चाहिए।
तभी खेती-किसानी की हालत सुधरेगी। रामनगर के प्रखंड कृषि पदाधिकारी शंभू शरण सिंह ने बताया कि विनय का प्रयास निश्चित रूप से इलाके के किसानों के लिए लाभदायक है। वे अन्य किसानों के लिए प्रेरणास्रोत हैं। वैज्ञानिक विधि से खेती कर किसान आर्थिक रूप से समृद्ध हो सकते हैं।